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July 25, 2025
Ahaan News

ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी द्वारा गुरू पूर्णिमा पर पूर्वज स्मृति समारोह का किया गया आयोजन

देश और समाज में उनके योगदान को भी याद किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किए l

ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी के द्वारा लगातार छोटे - छोटे प्रयासों से ब्रह्मर्षि वंश और परिवार को पुनः जागृत करते हुए बड़े - बड़े काम किए जा रहे हैं। ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी नाम ही अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है और अपने नाम के अनुसार जागृत होकर कोलकाता से हर एक को लगातार जोड़ रहे हैं और मजबूत करते जा रहे हैं। समाज के पूर्वजों को और उनकी कृतियों को लेकर सामने रखना और उनके तस्वीरें सामने लाकर एक - एक से पहचान कराना बहुत बड़ी बात है। इसी कड़ी में श्रावण मास के कामिका एकादशी पर ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी के तत्वाधान में स्वतंत्रता सेनानियो कि धरती बैरकपुर में पूर्वज स्मृति समारोह और गुरु पूर्णिमा का आयोजन किया गया है l

 

कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व शिक्षक बैकुंठनाथ पांडेय की अध्यक्ष में स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय की शहीद स्मारक और मंगल पांडेय चौक स्थित स्टैचू पर माल्यार्पण किया गया l जिसमें स्वामी रंग रामानुजाचार्य 3 पुण्यतिथि, बैकुंठ शुक्ला 118वीं जयंती व 91वीं पुण्यतिथि, महावीर त्यागी 45वीं पुण्यतिथि , चौधरी रघुवीर सिंह त्यागी 153वी जयंती व 56वीं पुण्यतिथि,साधु शरण शाही 106 वीं जयंती व 34वीं पुण्यतिथि , महेश प्रसाद सिंह 124 वीं जयंती, मंगल पांडेय 198 वीं जयंती,किशोरी प्रसन्न सिंह 41वीं पुण्यतिथि, सहजानान्द सरस्वती 75वीं पुण्यतिथि, मंगला राय  49वीं पुण्यतिथि, भुल्लर ठाकुर 125वीं जयंती, रामदेव सिंह 34वीं पुण्यतिथि, राजबल्लव बाबू  10वीं पुण्यतिथि, ब्रह्मेश्वर मुखिया 13वीं पुण्यतिथि, नरसिम्हा राव 104वीं जयंती, स्वामी विमलानद सरस्वती 17वीं पुण्यतिथि, कुबेर नाथ राय 29वीं पुण्यतिथि भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज 126वा और लक्ष्मी नारायण कॉलेज 69 स्थापना दिवस भी मनाया गया l 

देश और समाज में उनके योगदान को भी याद किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किए l 

समाज के विभिन्न स्थानों से लोग सम्मिलित हुए और अपने- अपने विचारों जैसे नैतिक शिक्षा, बढ़ती उम्र में विवाह, परीक्षा में सहयोग, मोबाइल से परिवार टूटने का सबसे बड़ा कारण बताया गया l कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व प्रधानाध्यापक विजय कुमार पांडेय,डॉ विनोद कुमार, रामकुमार सिंह, तारकेश राय, अभिषेक राय, रविन्द्र कुंवर, रवि भूषण कुमार, संतोष सिंह, संजीव पांडे, अजय पांडे, कृष्ण कांत कुमार, अजीत सिंह, राजेश कुमार, कामेश्वर तिवारी, विमलेश सिंह, शंकर सिंह, कल्याण सिंह, नीतीश आनंद, जिम्मी सिंह, मंतोष सिंह, श्याम नारायण राय , धीरज कुमार, अभिषेक सिंह, शिल्पी सिंह इत्यादि लोग सम्मिलित हुए l धन्यवाद ज्ञापन कामेश्वर प्रसाद सिंह के द्वारा किया गया l

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 25, 2025
Ahaan News

कोई बोलतई रे : पार्ट: 4 : चारा घोटाले के बाद हाजीपुर नगर परिषद का घोटाला

नाला, गली, मौहल्ला, सड़क, कचड़ा सभी प्रबंधन के नाम पर चारा घोटाले से भी बड़ा घोटाला, मगर कौन करेगा जांच, क्यों चोर-चोर मौसेरे भाई

हाजीपुर विधानसभा का इतिहास समय और परिस्थितियों के अनुसार कभी नहीं बदला। यहां के विधायक का इतिहास कब्जा करने और लूट खसोट का लगातार बना हुआ है। लगभग दर्जन भर विधायक हाजीपुर से हो चुके हैं और उनमें 2-4 को छोड़ दें तो सब बेईमानी के उच्च स्तर को प्राप्त किए। वहीं नगर निगम, हाजीपुर की स्थापना 1869 में हुआ और 2001 में नव निर्माण की ओर बढ़ा तो नगर परिषद, हाजीपुर बना और राजनीतिक दृष्टिकोण से यह छोटा सा क्षेत्र राजनीतिक उद्योग का केंद्र बन गया। समय बदला मगर हाजीपुर शहरी क्षेत्रों का लगातार विनाश होता चला गया। 

हाजीपुर (विधानसभा और नगर परिषद) पर भाजपा (BJP यानि भारतीय जनता पार्टी) का कब्जा और हत्या व मौत के साथ सड़कों व नालों के साथ उसके ढक्कनों पर कब्जा कर व्यक्तिगत कमाई करते नहीं है तो करते क्या हैं ? टैक्स के नाम पर नमक से लेकर सोना तक लोगों को सरकारें लूट रही है मगर धरातलीय हकीकत से कोसों दूर हैं या जानबूझकर अनदेखा करती हैं।

श्री हरि का क्षेत्र जहां श्रीहरि और श्रीहर दोनों का आगमन हुआ और बना हरिहर क्षेत्र। आज श्री हरिहर क्षेत्र का नाम बदलकर हाजीपुर हो गया और लगभग 150 वर्षों से निरंतर प्रगति की ओर बढ़ने की जगह निरंतर अवनति की ओर बढ़ रहा है। नगर परिषद हाजीपुर में सड़कों पर मौत की दुकान खोली गई हैं। लगातार 5 सालों से सिवरेज और नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर शहर को गड्ढों में तब्दील कर दिया गया है तो वहीं जो सड़कें बन रही हैं उसमें 80-90% घोटाला हैं। अगर कहें कि 100% तो ग़लत होगा क्योंकि कुछ 10-20% तो खर्च हुआ ही हैं इसलिए तो गड्ढों को भरने का असंवैधानिक प्रयास किया गया है।

दो साल पहले एक चर्चा में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद हाजीपुर ने बताया कि 2012 से अबतक एक भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। वहीं लगातार सिवरेज और नमामि गंगे योजना के तहत जो भी काम हो रहा है वह जब पुरा होगा तो सड़क बनेगा। जबकि काम को करते हुए सड़कों को गड्ढों से मुक्त करते हुए जाना है लेकिन वह नहीं हो रहा है समझिए कुछ कारण है जो हमारे हाथ में नहीं है।

नगर परिषद, हाजीपुर, वैशाली पर टिप्पणी करना भी जरूरी है क्योंकि यह क्षेत्र हमेशा से 2-4 तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री देता आया है तो वहीं इसी क्षेत्र व इस क्षेत्र में जन्म लिए नेता 2 हैं जो केन्द्रीय मंत्रीमंडल के हिस्सा है। वहीं शहर का विकास करने का छोटा सा भी प्रयास नहीं दिखाई देता है। वर्तमान समय में जो सड़कें बन रही हैं वह धीरे-धीरे उखड़ने भी लगा है और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 होते-होते सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा। चुनावी सड़क निर्माण में आज शहरी क्षेत्रों में सांसद, विधायक और सभापति सब के सब BJP और NDA के साथी है लेकिन जनता के तकलीफ़ से किसी को मतलब नहीं है।

बिहार में चारा घोटाला एक समय बहुत बड़ा घोटाला था लेकिन आज अगर नगर परिषद हाजीपुर की बात करें तो चारा घोटाला बौना नज़र आयेगा। 

आपको एक बात और जानना चाहिए कि वैशाली जिले का मुख्यालय है हाजीपुर और यहां जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और उनकी पुरी टीम बैठती हैं। वहीं दिन में 2-4 बार शहर के सड़कों पर इनका आना-जाना लगा रहता है। लेकिन एक बड़ा आश्चर्य है कि वैशाली पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को सड़कों पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को नालों पर कब्जा और सड़कों पर अतिक्रमण नहीं दिखाई देता है। वहीं अवैध कब्जा कर धंधा कराने में नगर परिषद हाजीपुर की भागीदारी सुनिश्चित हैं और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की सहमति से मौन रहने वाली नगर थाना, हाजीपुर अपनी सभी जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त ही मानती हैं। इसका कारण है कि एक राजनीतिक व्यवस्था के तहत एक व्यक्ति का हाजीपुर में दबदबा ही नहीं बल्कि लोगों की सांसें उनके हाथों में है। इसलिए कोई बोलता नहीं है।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 22, 2025
Ahaan News

खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) - 01

धनखड़ को गेटआउट किया गया या फिर धनखड़ ने जस्टिस लोया बनने से पहले इस्तीफा दिया ?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के द्वारा अचानक और अप्रत्याशित तरीके से दिए गए इस्तीफे को लेकर पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच दो तरह की स्टोरी चल रही है। एक कहानी कहती है कि इस्तीफे का मजबून बनाकर धनखड़ के पास भेज कर दस्तखत कराये गये यानी देशी भाषा में कहा जाय तो उन्हें गेट आउट कर दिया गया तो दूसरी कहानी कहती है कि धनखड़ के इस्तीफे के पीछे खुद को वी वी गिरी बनाने की चाहत है। अब जिस तरह का बयान धनखड़ का सामने आया है कि वे न तो दिये गये इस्तीफे पर पुनर्विचार करेंगे ना ही विदाई भाषण देंगे। वह भी बता रहा है कि भीतर ही भीतर कुछ तो खिचड़ी पक रही है। इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि क्या एडवोकेट जगदीप धनखड़ का इस्तीफा खुद को जस्टिस लोया होने से बचाने के लिए तो नहीं है और वे कुछ ही दिनों में सत्यपाल मलिक की भूमिका में तो दिखाई नहीं देंगे।

माननीय राष्ट्रपति जी, सेहत को प्राथमिकता देने और डाक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(A) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रगट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा। जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और अमूल्य समर्थन रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदो से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा और मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला वो अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही कि मैंने भारत के अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इस इतिहास के महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ जगदीप धनखड़।

ये उस अंग्रेजी में लिखे इस्तीफा पत्र का तरजुमा हैं जो महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को लिखा गया है। इस पत्र में इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया गया है और यह बात किसी भी खूंट से विश्वसनीय नहीं लगती है। यह ठीक है कि तकरीबन एक महीना पहले 25 जून को उत्तराखंड के नैनीताल में कुमाऊं युनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट रहे धनखड़ की तबीयत बिगड़ी थी। इसके पहले 9 मार्च को सीने में दर्द होने के कारण दिल्ली एम्स में 3 दिन भर्ती भी रहे। मगर 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन उन्होने बकायदा सदन की कार्यवाही को संचालित किया। शाम को विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात भी की लेकिन रात को 9 बजे उपराष्ट्रपति कार्यालय के ट्यूटर अकाउंट पर अपलोड किये गये इस्तीफा पत्र से देश को जानकारी हुई कि देश के द्वितीय नागरिक जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दे दिया है। मगर सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अस्वस्थता की वजह से पद त्याग करता है और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित एक की तरफ से भी संवेदना तक व्यक्त नहीं की गई।

जबकि जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार का रक्षा कवच बनकर संवैधानिक मर्यादाओं को भी तार - तार करने में कोई कोताही नहीं बरती। भारत के इतिहास में जगदीप धनखड़ एक ऐसे उपराष्ट्रपति के रूप में याद किये जायेंगे जिन्होंने अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया है जबकि इसके पहले उपराष्ट्रपति ने या तो राष्ट्रपति चुन लिये जाने की वजह से इस्तीफा दिया था या फिर दुनिया को अलविदा कहने से कुर्सी खाली हुई थी। जगदीप धनखड़ को 6 अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति चुना गया था और उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाने का निर्णय बीजेपी द्वारा उनके पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते लिया गया था जहां उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार की नाक में दम कर रखा था। राज्यसभा में सभापति की आसंदी पर बैठकर उन्होंने जिस सिद्दत के साथ मोदी सरकार पर आंच नहीं आने दी भले ही उसके लिए थोक के भाव विपक्षी सांसदों को सदन से निष्कासित करना पड़ा। जगदीप धनखड़ इस मामले में भी देश के इकलौते उपराष्ट्रपति के रूप में जाने जायेंगे जिन पर विपक्ष ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए पद से हटाये जाने का नोटिस दिया था। मोदी सरकार का पक्ष लेते हुए उन्होंने न्यायपालिका से भी दो - दो हाथ करने से परहेज नहीं किया। जहां चीफ जस्टिस आफ इंडिया का कहना है कि संविधान सबसे ऊपर है वहीं धनखड़ ने कहा कि संसद तो संविधान से भी ऊपर है। जबकि ऐसा कहना न तो संवैधानिक मर्यादाओं के अनुकूल है न ही उपराष्ट्रपति को आधिकारिक इजाजत देता है।

संसद के बाहर और भीतर 21 जुलाई और उससे पहले घटे घटनाक्रम पर एक नजर डाली जाय तो कुछ हद तक जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे छिपे कारणों का अंदाजा लगाया जा सकता है। सत्र शुरू होने के पहले धनखड़ की विपक्षी पार्टियों के नेताओं से अंतरंग मुलाकात यहां तक कि इंडिया गठबंधन से पल्ला झाड़ने के बाद अरविंद केजरीवाल की जगदीप धनखड़ से हुई गुफ्तगूं। सत्र के दौरान पहले दिन ही विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खरगे को मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए पूरा मौका देना इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा सभापति के अधिकारों को हडपते हुए उपराष्ट्रपति और सभापति आसंदी की गरिमा और मर्यादा को रौंदना, संसद के भीतर अपने कार्यालय में बीजेपी के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं के साथ पीएम मोदी की मुलाकात, संसद के भीतर ही गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अपने कार्यालय में एनडीए के मंत्रियों से आपात मुलाकात।

क्या जगदीप धनखड़ को इत्मिनान हो गया है कि मोदी सरकार जल्द ही धराशायी होने वाली है और उन्होंने अपनी आगे की पारी खेलने की बिसात बिछाते हुए इस्तीफा दिया है ? क्या आने वाले वक्त में जगदीप धनखड़ सत्यपाल मलिक का किरदार निभाते हुए दिखाई देंगे और झुका हुआ जाट और टूटी हुई खाट की मरम्मत करेंगे ? कारण जगदीप धनखड़ की फितरत मैदान छोड़कर भागने वाली तो नहीं है। चलते - चलते आजादी के बाद से चुने हुए उपराष्ट्रपतियों पर एक नजर डाल ली जानी चाहिए। प्रथम उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद राष्ट्रपति बने। जाकिर हुसैन भी कार्यकाल पूरा करने के बाद राष्ट्रपति चुने गए (1962-67)। वी वी गिरी की गद्दी जरूर गई मगर बाद में वे राष्ट्रपति बने (1976-69)। गोपाल स्वरूप पाठक (1969-74), बी डी जत्ती (1974-79), मोहम्मद हिदायुतउल्ला (1979-84), रामास्वामी वेंकटरमन (1984-87) उसके बाद राष्ट्रपति बन गये, शंकर दयाल शर्मा (1987-92), के आर नारायणन (1992-97), कृष्णकांत (1997-2002) (कार्यकाल पूरा होने के बीच ही निधन हो गया था), भैरोंसिंह शेखावत (2002-07), मोहम्मद हाफिज अंसारी (2007-2017) (लगातार दो कार्यकाल पूरा किया), वैंकैया नायडू (2017-22) और उसके बाद जगदीप धनखड़ 2022 - 21 जुलाई 2025 - (रहना था 2027 तक क्या मोदी द्वारा राष्ट्रपति नहीं बनाये जाने की नियत भांप गए थे धनखड़)।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता 
स्वतंत्र पत्रकार
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 22, 2025
Ahaan News

काॅरपोरेट हो गया भारत सरकार, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से लिया गया इस्तीफा के साथ कई राज्यों और व्यक्तियों पर रहेगा निशाना

चुनावों में जीत के हिसाब से तय हो रहा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे पदों पर भर्ती होने वाले व्यक्ति

भक्त होना इतना भी आसान नहीं, दिल और दिमाग गिरवी रखना पड़ता है और जमीर भी। 

जगदीप धनखड़ होना आसान नहीं होता हैं पढ़ा - लिखा और व्यक्तित्व का धनी होकर भी गुलामी मानसिकता से ग्रस्त यह आसान सफ़र नहीं था। जगदीप धनखड़ तब सुर्खियों में आये जब यह बंगाल के राज्यपाल बने और बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लड़ने लगे थे जैसे विपक्ष में बैठे हो। ममता बनर्जी की साख गिराने में नरेंद्र दामोदर दास मोदी सरकार को खुब मदद किया और इसका परिणाम मिला की बंगाल में 2021 में हुई विधानसभा चुनाव में कुछ महत्वपूर्ण विधानसभा की सीटें मिली और बढ़त भी प्राप्त किया, भाजपा यानी BJP ने। जिसके बाद जगदीप धनखड़ को भारत के दुसरे नागरिक होने का गौरव प्राप्त हुआ और 2022 में उप-राष्ट्रपति, भारत का पद सौंपा गया। हां संविधान के तहत एक खानापूर्ति के लिए प्रक्रिया जरूर हुआ लेकिन वह महज़ एक दिखावा ही था। 

जगदीप धनखड़ उप-राष्ट्रपति पद पर बैठने के साथ ही भारत के सभी प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं पर सीधे टिका-टिप्पणी करना शुरू कर दिया। पेशेवर वकील होते हुए राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सदन के सदस्य लंबे समय से रहे हैं। जगदीप धनखड़ विधानसभा, लोकसभा और केन्द्रीय मंत्रीमंडल के भी सदस्य रहें हैं और राज्यपाल के बाद उप-राष्ट्रपति का पद संभालते हुए विदाई कल देर शाम लें ली। अपने इस्तीफे में राष्ट्रपति भारत को स्वास्थ्य कारण बताया हैं लेकिन कुछ समयों में किसान को लेकर गंभीरता दिखा रहे थे वह भी दबाव का कारण हो सकता हैं। भारत के केन्द्रीय कृषि मंत्री के सामने अपने आपको भारत का दुसरा व्यक्ति होने के नाते किसानों के साथ किए गए वादे पूरे करने की ओर ध्यान आकर्षित किया था।

आपको जानना चाहिए कि बिहार चुनाव की तारीखें घोषित होने ही वाली है और अगले 30-40 दिनों के अंदर ही बिहार में चुनाव की तारीखें घोषित कर दिया जाएगा। जिसके कारण बिहार में गठबंधन के साथी नीतीश कुमार को कमजोर करने के कई नीतियों पर काम करने को तैयार भाजपा जगदीप धनखड़ के माध्यम से नीतीश कुमार को कुछ संदेश देने का भी काम कर दिया है। वहीं ज्ञात हो कि जगदीप धनखड़ के इस्कुतीफे के माध्यम से नीतीश कुमार का उच्च सदन में जाने का सपने के सहारे भाजपा को मजबूत करने का हो सकता है प्रयास। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार कहा है कि भारत के सभी सदन का सदस्य रहे चुका हूं और बस उच्च सदन में आना सपना है। वहीं कहीं नीतीश कुमार के लिए खाली तो नहीं कराया गया उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से पद और लिया गया इस्तीफा?

वहीं भाजपा में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए वर्तमान सत्ता जिनके उम्र को लेकर बनाये गए नियम खुद के लिए काल बन गया है। वहीं अगर भाजपा को कमजोर कर संभालते दिखाने के रास्ते पर सत्ताधारी कामयाब हो जाते हैं तो प्रधानमंत्री की कुर्सी सुरक्षित रख सकते हैं। 

वैसे नीतीश कुमार के कुछ महीनों से हरकतें यह बतलाती हैं कि उनका राज्यसभा में ले जाना उच्च सदन के संचालन पर बड़ा प्रभाव पर सकता हैं। उच्च सदन को रोजाना चलाना वर्तमान परिस्थितियों में जिसमें नीतीश कुमार स्वस्थ्य नहीं दिखाई देते हैं जिससे परेशानी हो सकती हैं। तो वहीं चंद दिनों के लिए नीतीश कुमार के राजनीतिक अंतिम पद पर बैठाकर दुसरे के माध्यम से उच्च सदन का संचालन कराया जा सकता हैं। नीतीश कुमार का उप-राष्ट्रपति पद पर बैठना एक राजनीतिक षड्यंत्र होगा और अगले दो वर्षों में उप-राष्ट्रपति चुनाव तक में कई चेहरे इस पद पर दिखाई दे सकते हैं।

उपराष्ट्रपति पद के लिए लगातार कई नाम आने लगे हैं लेकिन राजनीतिक चरित्र चुनावी माहौल में एक से अधिक लोगों का दावेदार के रूप में नाम सामने आने लग हैं। जिसमें - डीवाई चंद्रचूड़, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली, भारत। वर्तमान उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के माध्यम से भूमिहार ब्राह्मण और ब्राह्मण को बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल चुनाव को लेकर आगे लाया जा सकता हैं। वहीं कांग्रेस युक्त भाजपा में भी कई महत्वपूर्ण उम्मीदवार हैं जो गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक क्षेत्रों में आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण होंगे इसलिए दो साल उप-राष्ट्रपति पद राजनीतिक खेल का अड्डा बना रहेगा ऐसा ही लक्षण दिखाई देता है।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 17, 2025
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प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने रोगी हितधारक मंच के साथ की समीक्षा बैठक

-फाइलेरिया मरीजों के लाइन लिस्ट को आईएचआईपी में प्रविष्टि कराने को कहा

-एमएमडीपी क्लीनिक खोलने का भी दिया निर्देश

वैशाली - प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हाजीपुर में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजय दास के अध्यक्षता में रोगी हितधारक मंच की समीक्षा बैठक की गई। समीक्षा बैठक के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा सीएचओ और रोगी हितधारक मंच के सदस्यों से उनके द्वारा किए गए कार्यों और प्रगति के बारे में जाना। मौके पर थाथन एचडब्ल्यूसी के सीएचओ और रोगी हितधारक मंच के सदस्य मुकेश चाहर ने बताया कि पहले हम लोगों के द्वारा जो गतिविधि या स्वास्थ्य चर्चाएं करते थे, उनमें फाइलेरिया बीमारी को शामिल नहीं करते थे। 

रोगी हितधारक मंच के बनने के बाद से अपने केंद्र पर एमएमडीपी प्रशिक्षण और किट वितरण किया गया। स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम किये अब जो गतिविधि करते हैं। वेलनेस कैलेंडर में जो एक्टिविटी करनी है हर महीने में उसमें भी बहुत सहयोग मिलता है। वहीं एएनएम पुष्पा कुमारी ने बताया कि अब टीकाकरण में भी फाइलेरिया या कालाजार के बारे में भी जानकारी देते हैं। 

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा सभी उपस्थित रोगी हितधारक मंच के सदस्यों को बताया कि वे अपने यहां फाइलेरिया मरीजों का लाइन लिस्ट तैयार कीजिए आईएचआईपी में एंट्री करवाएं। उसके बाद सभी को अपने सेंटर पर एमएमडीपी क्लीनिक खोलना होगा। जिसमें मंगलवार के दिन फाइलेरिया मरीजों को व्यायाम सिखाया जाएगा और एमएमडीपी किट की जरूरत है उनको दिया जाएगा। समीक्षा बैठक में बीएचएम, बीसीएम, बीएचआई, आशा फैसिलिटेटर सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 17, 2025
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डायरिया को नियंत्रित करने जिले में चलेगा “ स्टॉप डायरिया कैम्पेन”

-पांच वर्ष के लगभग 6 लाख बच्चों को किया गया है चिन्हित -ओआरएस के पैकेट किए जाएंगे वितरित

वैशाली - सदर अस्पताल में गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ श्याम नंदन प्रसाद के द्वारा स्टॉप डायरिया कैंपेन 2025 का उद्घाटन किया गया. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी वैशाली द्वारा बताया गया कि स्टॉप डायरिया कैंपेन 2025 हेतु 15 जुलाई से 14 सितंबर तक जिले के कुल 6,09,08,1 लक्षित बच्चों को लगभग 7 लाख घरों में आशा कार्यकर्ता द्वारा भ्रमण कर ओआरएस पैकेट वितरित किया जाएगा एवं डाईरिया से पीड़ित बच्चों को चिन्हित कर ओआरएस एवं जिंक की गोली उपलब्ध करायी जाएगी. उन्होंने बताया कि वर्तमान परिपेक्ष में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुल मृत्यु का लगभग 10% मृत्यु डायरिया से होती है. जिसका मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है. 

इन मृत्यु को ओआरएस एवं जिंक के उपयोग से कम किया जा सकता है. कैंपेन की सफलता हेतु पूर्व में कार्य योजना बनाई जा चुकी है. आशा द्वारा घर-घर भ्रमण कर घर के सदस्यों को घोल तैयार करने की विधि साफ-सफाई एवं हाथ धोने के तरीकों की जानकारी प्रदान की जाएगी. अभियान के दौरान सभी घरों में दो माह से 6 माह के बच्चों को जिंक की आधा गोली और 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली 14 दिनों तक दिया जाना है. सदर अस्पताल परिसर में ओआरएस कॉर्नर लगाया गया है, जिसमें 5 वर्ष तक के बच्चों के अभिभावक को ओआरएस घोल तैयार करने की विधि बताई गई. 

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी वैशाली ने घोल तैयार करने का तरीका बताया एवं वहां उपस्थित बच्चों और उनके अभिभावकों को दो-दो पैकेट ओआरएस उपलब्ध कराया गया. उद्घाटन के समय डॉ संजय दास जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डॉ रतन प्रकाश अधीक्षक सदर अस्पताल, डॉ राजेश किशोर साहू जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी, डीपीएम डॉ कुमार मनोज, डीसीएम निभा रानी, यूनिसेफ की एसएमसी मधुमिता कुमारी, मोहम्मद जकी अहमद, रणधीर कुमार, शशि रंजन एवं अजीत रंजन सहित अन्य पदाधिकारी सहित सभी स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।
 

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July 17, 2025
Ahaan News

भगवानपुर और चेहराकला के दो बच्चों को अहमदाबाद में मिलेगी नई जिंदगी

-अब तक जिले के 139 बच्चों को मिल चुका है जीवनदान

-बुधवार को सदर अस्पताल श्री सत्य साईं अस्पताल किया गया रवाना

वैशाली - मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना जिले के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। 139 बच्चों की सफल सर्जरी के बाद बुधवार को सदर अस्पताल से भगवानपुर और चेहराकला के दो बच्चों को हृदय में छेद के ऑपरेशन के लिए भेजा गया। दोनों ही बच्चों को श्री सत्य साईं हृदय अस्पताल अहमदाबाद भेजा गया। आरबीएसके की जिला समन्वयक डॉ शाइस्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत हृदय में छिद्र वाले बच्चों का निशुल्क जांच व ऑपरेशन कराया जाता है। इसमें जांच से लेकर ऑपरेशन तक की व्यवस्था निशुल्क होती है। 

ऑपरेशन के बाद भी बच्चों की निशुल्क जांच सदर अस्पताल में होती है। बच्चों में हृदय रोग सहित अन्य रोगों की पहचान के लिए आरबीएसके की टीम लगातार स्कूलों और आंगनबाड़ी सेंटर पर जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग करती है। संदिग्ध रोगी होने पर जांच और उपचार की व्यवस्था होती है। बुधवार को बच्चों को अहमदाबाद भेजने के दौरान सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद, डीपीएम डॉ कुमार मनोज, आरबीएसके डीसी डॉ शाइस्ता, डीएमएनई ऋतुराज, डीसीएम निभा रानी सिन्हा, डीडीए सूचित कुमार, डीईओ अशरफुल होदा सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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July 17, 2025
Ahaan News

परिवार नियोजन मेले से जिले में नए गर्भनिरोधक की हुई शुरुआत

-15 महिलाओं ने पहले ही दिन लगाया एमपीए सबक्यूटेनियस

-एमपीए सबक्यूटेनियस भी बास्केट ऑफ च्वाइस में हुआ शामिल 

वैशाली - विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर सदर अस्पताल में मंगलवार को परिवार नियोजन पखवाड़ा मेला का आयोजन किया गया। इस मेले की विधिवत शुरुआत सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद ने की। मेले के दौरान डॉ प्रियंका ने 15 महिलाओं को एमपीए सबक्यूटेनियस लगाकर जिले में नए गर्भनिरोधक की शुरुआत भी की। मेले के दौरान सीएस डॉ श्यामनंदन प्रसाद ने कहा कि नए गर्भनिरोधक के जिले में सफल संचालन के लिए पीएसआई इंडिया के द्वारा तकनीकी सहयोग किया जा रहा है। मेले के अंदर छह स्टॉल लगे हैं। जिन पर परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधन के बारे में जानकारी व इच्छुक लाभार्थियों को निशुल्क सेवा भी मिलेगी। जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन काफी जरूरी है। इसका सकारात्मक प्रभाव खुशहाल जीवन के साथ अच्छे मेटरनल हेल्थ के लिए भी जरूरी है। मेले में जननी सूर्या क्लीनिक द्वारा भी अपना स्टॉल लगाया गया था। जिसमें संतोष कुमार एवं काउंसलर सोनिया लोगों को परिवार नियोजन पर जानकारी दे रही थीं।

जिले के पांच स्वास्थ्य केंद्रों पर एमपीए सबक्यूटेनियस की होगी व्यवस्था: 


डीसीएम निभा रानी सिन्हा ने बताया कि जिले में नए आए एमपीए सबक्यूटेनियस एक अंतरा सूई है। जो अंत: त्वचीय इंजेक्शन है। इसे लगाने में दर्द नहीं होता है। यह प्रीलोडेड इंजेक्शन है। वहीं अंतरा से इसमें दवा की मात्रा भी कम होती है। एमपीए सबक्यूटेनियस को जिले के सदर अस्पताल, गोरौल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एचडब्ल्यूसी इस्लामपुर, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधो तथा एचडब्ल्यूसी पीरोही में लगाया जाएगा। मौके पर एनसीडी पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज कुमार, पीसीआई इंडिया की सेकुमारी सुरभि, डीएमएनई ऋतुराज कुमार, डीएएम अमित आनंद, डीपीसी विकास कुमार, सुचित कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
 

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July 17, 2025
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जिले में 15 जुलाई से मनाया जायेगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा

- बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा जरूर दें अभिभावक व शिक्षक

- ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग से डायरिया से होने वाली मुत्यु को टाला जा सकता है

मोतिहारी - जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा 15 जुलाई से 14 सितंबर तक मनाया जायेगा। इस सम्बन्ध में डीसीएम ने बताया की पखवाड़ा को मनाने का मुख्य उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाली शिशु मुत्यु के शून्य स्तर को प्राप्त करना है। उन्होंने बताया कि 13 प्रतिशत तक मौत डायरिया के कारण होती है तथा इनमें से अधिकांश मौतें ग्रीष्म और मानसून के मौसम में होती हैं। डायरिया से होने वाली मुत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग से डायरिया से होने वाली मुत्यु को टाला जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ रविभूषण श्रीवास्तव ने बताया की ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान होने वाले दिक्क़तो में काफ़ी असरदार है।उन्होंने बताया की आवश्यकतानुसार जिंक एवं ओआरएस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जा रहा है।पखवाड़े के आयोजन को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक बच्चों को जिंक और ओआरएस  उपलब्ध करायी जा सके।
सिविल सर्जन ने बताया कि मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। जिसके कारण जहां सर्दी-खांसी, जुकाम समेत अन्य मौसमी बीमारी आम हो गई है। वहीं, इसके साथ डायरिया की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हमें विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। डायरिया से बचाव को लिए लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। दरअसल, बदलते मौसम में डायरिया के प्रकोप में आने का प्रबल संभावना हो जाती है। जिसके दायरे में कोई भी यानी सभी आयु वर्ग के लोग आ सकता है। उन्होंने कहा की बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा देना काफ़ी जरूरी है इससे बच्चे कई प्रकार के रोगों से सुरक्षित हो सकते है। इसलिए अभिभावक, व शिक्षक इसपे ध्यान रखते हुए भोजन के पूर्ब एवं शौचालय के बाद हाथ धोना जरूर सिखाए।उन्होंने कहा की डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती है और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।

स्वच्छ जल का उपयोग करें, स्तनपान के साथ ऊपरी आहार का सेवन करें :

डीआईओ डॉ एससी शर्मा ने कहा की नवजात बच्चों को दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार और भोजन जारी रखा जाना चाहिए. पीने के लिए साफ और सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें. खाना बनाने और खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोना जरूरी है. दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें.खुले में शौच नहीं जायें. बच्चे के मल का सुरक्षित एवं त्वरित निपटान.स्तनपान जारी रखें, जिसमें उन बच्चों को स्तनपान कराना भी शामिल है जिन्हें स्तनपान कराया जा रहा है तथा बीमारी के दौरान और बाद में अतिरिक्त आहार दें.सुरक्षित संचालन के बाद स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें.माँ को भोजन तैयार करने से पहले, बच्चे को खिलाने से पहले तथा बच्चे का मल साफ करने के बाद अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए।

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July 17, 2025
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कालाजार नियंत्रण के लिए 21 जुलाई से आईआरएस द्वितीय चक्र की होगी शुरूआत

- 15 प्रखंडों के 133 गांवों में होगा सिंथेटिक पॉयरेथॉइराइड का छिड़काव

- इस वर्ष कालाजार के 27 मरीज हुए हैं चिन्हित

 

मुज़फ़्फ़रपुर - जिले में कालाजार उन्मूलन के लिए 21 जुलाई से आईआरएस के द्वितीय चक्र की शुरुआत होगी। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि आईआरएस के द्वितीय चक्र में 15 प्रखण्डों के 133 कालाजार प्रभावित गाँवों के सभी घरों में 40 दलों द्वारा 60 कार्य दिवस के अन्दर सिंथेटिक पॉयरेथॉइराइड का छिड़काव कराने का लक्ष्य है। इसके लिए सभी प्रखंडों के एसएफडब्लू को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एसएफडब्लू प्रशिक्षण लेकर अपने प्रखंड के छिड़काव दल को प्रशिक्षित करेंगे। 


छिड़काव के साथ साथ दलों द्वारा कालाजार मरीजो की खोज भी की जायेगी और ग्रामीणों को कालाजार, मलेरिया, डेंगू, मस्तिष्क ज्वर तथा फाईलेरिया आदि से बचाव की जानकारी भी दी जायेगी। संभावित कालाजार मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित स्वास्थ्य केंद्र पे भेज कर जांच करवाई जाएगी। उन्होंने इसमे छिड़काव कर्मियों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें अच्छी तरह सभी घरों के सभी कमरों, पूजा घर, रसोई घर, बरामदा, गोशाला तथा शौचालय की दीवारों पर 6 फीट तक गुणवत्तापूर्ण छिड़काव के निर्देश दिए ताकि जिला मे कालाजार की स्थिति शून्य हो सके।

विदित हो कि जिले के सभी प्रखण्ड मानक के अनुरूप कालाजार उन्मूलन ( प्रखण्ड स्तर पर प्रति दस हजार की आबादी पर एक से कम मरीज) का लक्ष्य प्राप्त करने के दिशा में तेजी से अग्रसर है। वर्ष 2021 में कालाजार के 126, 2022 में 78, 2023 में 50, 2024 में 48 मरीज प्रतिवेदित हुए थे। इस वर्ष 2025 मे जून तक 27 कालाजार के मरीज मिले हैं जिनका ईलाज चल रहा है।


जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार ने  बताया कि सभी प्रभावित गाँवों के शत प्रतिशत घरों मे गुणवत्तापूर्ण छिड़काव हमारा लक्ष्य है और इसके लिए ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है।

मौके पर भीडीसीओ राकेश कुमार एवं विपीन कुमार, पिरामल पीएल इफ्तिखार अहमद खान, बीएचआई संजय रंजन एवं प्रदीप कुमार, भीबीडीएस राजीव रंजन सहित सभी प्रखंडों के एसएफडब्लू मौजूद थे।

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