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May 29, 2025
Ahaan News

"क्रिमिनल जस्टिस: ए फैमिली मैटर" के प्रमोशन को पटना आये लोकप्रिय अभिनेता पंकज त्रिपाठी

कहा - “माधव मिश्रा पटना से है, इसलिए यहां से हम शुरु कर रहे हैं प्रमोशन”

पटना : राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय अभिनेता बिहार की शान, पंकज त्रिपाठी ने अपने  सुपर हिट वेब शो के चौथे सीजन - “क्रिमिनल जस्टिस: ए फैमिली मैटर” के प्रमोशन की शुरुआत आज बिहार की राजधानी पटना से की। इस अवसर पर उन्होंने मैत्री हॉल, होटल ताज, सिटी सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया से बातचीत की और शो से जुड़ी कई अहम बातें साझा कीं।

पंकज त्रिपाठी ने कहा, “इस शो का मेरा किरदार ‘माधव मिश्रा’ का है, जो पटना से है। ऐसे में मेरे लिए यह भावनात्मक रूप से जुड़ाव का विषय था कि इस बार इसके सीजन 4 की शुरुआत भी यहीं से की जाए। पटना मेरी कर्मभूमि रही है, मैंने यहीं से थियेटर की शुरुआत की और यहीं से अभिनय का बीज मन में पनपा। इसलिए यह स्वाभाविक था कि जब मेरा किरदार भी पटना से है, तो प्रमोशन भी यहीं से शुरू हो।” मालूम हो कि अप्लॉज एंटरटेनमेंट द्वारा बीबीसी स्टूडियोज़ इंडिया के सहयोग से निर्मित और रोहन सिप्पी द्वारा निर्देशित, क्रिमिनल जस्टिस का चौथा अध्याय 29 मई से केवल जियोहॉटस्टार पर देखा जा सकेगा।

पत्रकारों से बातचीत में पंकज त्रिपाठी ने आगे कहा कि “क्रिमिनल जस्टिस” एक लीगल ड्रामा है, जो कोर्ट रूम की कार्यशैली और कानून से जुड़े पहलुओं को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करता है। लीगल ड्रामा में आमतौर पर ह्यूमर की गुंजाइश कम होती है, लेकिन ‘माधव मिश्रा’ जैसे किरदार की उपस्थिति से शो में सिचुएशनल ह्यूमर उत्पन्न होता है, जो दर्शकों को न केवल गंभीर विषय से जोड़ता है, बल्कि भावनात्मक और मनोरंजक भी बनाता है।



पंकज त्रिपाठी ने अपने अभिनय के बारे में बताते हुए कहा, “मैं पटना में थिएटर करता था और सिनेमा में करियर बनाने का सपना देखता था। फिर मुंबई गया और छोटे-छोटे सीन से शुरुआत की। माधव मिश्रा का किरदार भी इसी तरह का है – पटना से लोयर बनने मुंबई गया और अपनी मेहनत से बड़ा वकील बना।”

उन्होंने शो की विशेषता पर जोर देते हुए बताया कि “सीजन 1 में मेरा किरदार अकेला था, फिर सीजन 2 में शादी हुई, सीजन 3 में साला और अब सीजन 4 में एक नया कुछ देखने को मिलेगा। इसमें पटना और बिहार के स्थानीय स्लैंग, बोलियों और माहौल को भी शामिल किया गया है, जिससे बिहार के दर्शकों को इससे गहरा जुड़ाव महसूस होगा।”  पंकज त्रिपाठी ने यह भी साझा किया कि बीबीसी की इसी नाम की मूल सीरिज का यह भारतीय रूपांतरण है। जहां बीबीसी ने दो सीजन बनाए, वहीं भारतीय दर्शकों के प्यार की वजह से हम चौथे सीजन तक पहुंच चुके हैं।

एक मजेदार टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “अगर मौका मिलता तो मैं कालीन भैया का भी केस लड़ लेता!” वहीं, सिनेमा में आने की प्रेरणा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने मनोज वाजपेयी का नाम लेते हुए कहा कि “मनोज भैया की फिल्मों को देखकर ही मैंने सिनेमा में आने की ठानी।” प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पंकज त्रिपाठी आत्मीय और सहज अंदाज में नजर आए। उन्होंने उम्मीद जताई कि दर्शकों को इस बार भी ‘क्रिमिनल जस्टिस’ का चौथा सीजन उतना ही पसंद आएगा, जितना कि पिछली कड़ियाँ।

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May 29, 2025
Ahaan News

भोजपुरी में अच्छे शब्द चयन, शुद्ध भाषा और सकारात्मक विषयों को मिले बढ़ावा: चेतना

*भोजपुरी सिनेमा के पुनर्जागरण की पहल: पटना में चेतना झाम द्वारा आयोजित "महा प्रेस कांफ्रेंस" में मंत्रियों ने किया समर्थन*


पटना,  राजधानी पटना के प्रतिष्ठित होटल मौर्या में आज एक ऐतिहासिक पहल के तहत स्कमाखी एंटरटेनमेंट प्रा. लि. और चेतना झाम द्वारा पहली बार "महा प्रेस कांफ्रेंस" का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भोजपुरी सिनेमा के उत्थान, भाषा की गरिमा की रक्षा और पारिवारिक, साफ-सुथरी फिल्मों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के माननीय मंत्री श्री मोतीलाल प्रसाद, पर्यटन विभाग के माननीय मंत्री श्री राजू कुमार सिंह और फिल्म निर्माता चेतना झाम विशेष रूप से उपस्थित रहे।

चेतना झाम ने कहा, “भोजपुरी सिनेमा को राष्ट्रपिता डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गौरवपूर्ण शुरुआत दी थी, लेकिन अब उसकी गरिमा लुप्त होती जा रही है। जरूरत है अच्छे शब्द चयन, शुद्ध भाषा और सकारात्मक विषयों की। मेरी नई फिल्म 'अनमोल घड़ी' की शूटिंग पूरे बिहार में होगी। हमारा ध्येय साफ-सुथरी, प्रेरणादायक और युवाओं को जोड़ने वाली फिल्में बनाना है।” चेतना झाम ने यह भी कहा कि थियेटरों और हॉल मालिकों से मिलकर भोजपुरी फिल्मों को प्राथमिकता देने पर बातचीत की जाए और इसका रोडमैप तैयार किया जाए।

मौके पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री श्री मोतीलाल प्रसाद ने स्पष्ट किया कि बिहार सरकार क्षेत्रीय भाषाओं, विशेषकर भोजपुरी में बनने वाली गुणवत्तापूर्ण फिल्मों को पूर्ण सहयोग दे रही है। उन्होंने कहा, “अगर किसी फिल्म की 75% शूटिंग बिहार में होती है, तो उसे 4 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। भोजपुरी हमारी मातृभाषा है, इसे अश्लीलता से नहीं, उत्कृष्टता से जोड़ा जाना चाहिए। शुद्ध भाषा, अच्छा संदेश और सामाजिक सरोकारों वाली फिल्में सरकार की प्राथमिकता हैं।”

वहीं, पर्यटन मंत्री श्री राजू कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में कला, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया, “हम फिल्म मेकर्स को सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गयाजी, वाल्मीकिनगर, वैशाली जैसे ऐतिहासिक स्थलों को शूटिंग के लिए तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री जी की प्रगति यात्रा के दौरान स्वीकृत 800 करोड़ की योजनाएं राज्य में पर्यटन और संस्कृति को मजबूती देने के लिए कार्यरत हैं।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त रूप से कहा कि अब वक्त आ गया है जब भोजपुरी और बिहार की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को गरिमा और सम्मान मिले। चेतना झाम ने यह भी प्रस्ताव रखा कि सरकार को थिएटर मालिकों और फिल्म वितरकों के साथ एक स्पष्ट नीति पर काम करना चाहिए जिससे साफ-सुथरी फिल्मों को प्राथमिकता दी जा सके और द्विअर्थी या अपमानजनक कंटेंट को रोका जा सके।

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May 29, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~~~~~ कैसा सामाजिक और पारिवारिक न्याय जी!!

हं काकाजी,सुननीहां जे लालू के छोटका तेजस्वीया के लड़िका भईल बा।--मुखियाजी सोफे पर पैर फैलाते हुए।


मुखियाजी, सामाजिक न्याय की बैसाखी कितनी शानदार , जानदार रही है कि उसके सहारे राजद सुप्रीमो,लालू यादव और उनकी ठेपाछाप पत्नी राबड़ी देवी, दोनों बिहार के मुख्यमंत्री रह चूके हैं। इतना हीं नहीं, बैसाखी ने चपरासी के क्वार्टर से उठाकर उनके परिवार को आज खरबपतियों की गिनती में ला खड़ा किया है। आजकल बिहार की राजनीति में ये परिवार फिर से सुर्खियों में है।--बैठकी जमते हीं उमाकाका मुस्कुराये।

हं काकाजी,सुननीहां जे लालू के छोटका तेजस्वीया के लड़िका भईल बा।--मुखियाजी सोफे पर पैर फैलाते हुए।

चलिये, इसके लिए लालू परिवार को शुभकामनाएं लेकिन उससे पहले लालूजी के बड़े लड़के ने सोसल मीडिया पर फोटो के साथ एक पोस्ट शेयर किया था जिसमें तेज प्रताप यादव ने स्पष्ट किया कि वो विगत 12 वर्षों से अनुष्का यादव के साथ रिलेशनशिप में हैं। खबर वायरल होने के बाद लालू यादव ने अपने इस बड़े बेटे को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित हीं नहीं किया है बल्कि सोशल मीडिया पर लिखा कि "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि,लोकआचरण तथा गैरजिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूॅं। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।" इन्होंने आगे लिखा है कि"लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूॅं।" 
भला बताइये! लालूजी की ओर से ऐसी बातें!! जबकि उनके मुख्यमंत्री काल में उनके जंगल राज से कौन नहीं वाकिफ है!! इनके जंगल राज में और सब की बात छोड़िये!खेत वाला किसान तक,रात को खेत की रखवाली करने से भी डरता था कि कहीं अपहरण ना हो जाय या हाथ का टार्च ना कोई छीन ले! जहां तक पारिवारिक संस्कार की बात है इनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव एक ईसाई से विवाह किया है जिसका नाम रेचल गोडिनो है जिसे बदलकर राजश्री यादव कर दिया गया है ताकि लोग ये समझें कि लालू की छोटी बहु यादव परिवार से हीं आती है। मैं इसे बुरा नहीं मानता बल्कि खुशी है कि दुसरे संप्रदाय की लड़की को इन्होंने बहु बनाया। खींज इस बात कि है कि इसे छुपाने के लिये बहु का नाम क्यों बदला!!--मास्टर साहब मुंह बनाये।

शायद विवाह के पूर्व रेचल ने धर्म बदलकर हिंदू  बन गई हो इसलिये नाम भी हिंदू रख दिया गया। इसके लिए मैं लालू परिवार पर कॉमेंट नहीं चाहुंगा। हां इतना जरूर देखा गया है कि जिन राजनीतिज्ञों ने ईसाई से विवाह किया है वे सनातन विरोधी मानसिकता जरुर पाल लिये हैं जैसे दक्षिण भारत का स्टालिन परिवार।।--उमाकाका बोल पड़े।

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में........

अजी,आज लालू यादव जिस नैतिकता की बात कर रहे हैं वो लालू राज में गुंडाराज,चारा घोटाला, बेनामी अवैध संपत्ति, नौकरी के बदले जमीन घोटाला, आदि करते वक्त नैतिकता और पारिवारिक संस्कार कहां छुप गये थे!!--कहकर डा.पिंटु बुरा सा मुंह बनाये।

सरजी, तेज प्रताप यादव का विवाह, भूतपूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय से 2018 में हुई थी लेकिन आज दोनों के बीच तलाक का मुकदमा चल रहा है। तेज प्रताप के सोशल मीडिया पर यह स्वीकार करने के बाद कि विगत 12 वर्षों अर्थात 2013 से हीं अनुष्का यादव के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था तो ऐश्वर्या राय भी मिडिया के समक्ष आकर अपना दर्द साक्षा की और बोली कि "अब सबकुछ जाहिर हो गया तो मैं पुछती हूॅं कि इन लोगों को सब मालूम था तो मेरा विवाह करके मेरी जिंदगी क्यों बर्बाद किया गया!! मुझे मारा पीटा जाता था तब इन लोगों का सामाजिक न्याय कहां चला जाता था!! ऐश्वर्या राय ने आरोप लगाया है कि बिहार में चुनाव आने वाला है इसीलिए ये लोग ड्रामा कर रहे हैं। सभी मिले हुए हैं।"--सुरेंद्र भाई हाथ चमकाये।

मुखियाजी, अधिकांश लोग तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निष्कासित करने को नौटंकी की संज्ञा दे रहे हैं। लालू यादव के साले सुभाष यादव भी स्वीकार करते हैं कि लालू परिवार को तेज प्रताप के पहले से अनुष्का के साथ चल रहे प्रेम प्रसंग की जानकारी नहीं होगी, ये मैं नहीं मानता। वहीं अनुष्का यादव का भाई आकाश यादव भी मिडिया के सामने आकर स्वीकार किया है कि मेरी छोटी बहन के साथ तेज प्रताप का रिश्ता चला आ रहा है। वो भी तेज प्रताप के विरुद्ध एक्शन को लेकर,लालू यादव को घर बर्बाद नहीं करने की चेतावनी दे रहा है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

अच्छा सरजी,इ बतायीं जे तेज प्रताप के लेके लालू परिवार में जेवन विवाद उठल बा,ओकर आवे वाला बिहार चुनाव में केवनो असर होखी कि ना!!--मुखियाजी मेरी ओर देख कर।

मुखियाजी, लालू परिवार यह जानते हुए भी कि तेजप्रताप का पहले से प्रेम प्रसंग है, ऐश्वर्या राय से विवाह करके जघन्य अपराध किया है। यादव की बेटी की हत्या से भी बड़ा दुष्कर्म है लेकिन ये बिहार है। मूर्ख और मूढ़ बिहार!! बिहार के चुनाव में अब मात्र चार महीने शेष हैं। इस समय लालू परिवार द्वारा एक यादव युवती को धोखा और शोषण करने का प्रकरण सामने आने पर, इसका कोई खास प्रभाव पड़ेगा!!मैं नहीं समझता। जहां तक मुझे जानकारी मिली है, तेज प्रताप का नाम एक तीसरी लड़की नीतु सिन्हा से भी जुड़ा है जिसे लालू प्रसाद भी पसंद करते थे।हां, विपक्षियों खासतौर पर जदयू और भाजपा को लालू प्रसाद यादव और उनके वंशवादी पार्टी पर हमलावर होने का एक अवसर जरुर मिला है। 
क्या बिहार वाले लालू के जंगल राज को नहीं झेलें हैं!! इनके विभिन्न घोटालों को सभी जानते हैं। ये चारा घोटाला में सजायाफ़्ता भी हैं तब भी इनकी पार्टी पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी रही। इनका छोटा बेटा तेजस्वी यादव,जो नवीं पास भी नहीं है लेकिन दो बार उप मुख्यमंत्री रहा और विपक्ष का नेता है। ये सब बिहार की राजनीति को दर्शाता है जो राजनीतिक नेतृत्व की योग्यता,चरित्र,या पारिवारिक संस्कार, संस्कृति पर निर्भर नहीं करता जितना जातिय और धार्मिक समिकरण पर! बिहार की जनता को नेताओं में लाख बराई दिखेगी लेकिन वोट जातिगत और धार्मिक आधार पर हीं देती आयी है। राजद से जुड़े यादव तो लालू परिवार को छोड़कर दुसरे को वोट नहीं देंगे जबकि राज्य के मुस्लिम वोटर तुष्टीकरण की नीति को ध्यान में रखकर हीं वोट करते हैं। लालू की राजद और कांग्रेस को मुसलमानों का शत-प्रतिशत मत मिलना हीं है। चुनाव में तेज प्रताप के वैवाहिक और प्रेम प्रसंग से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। हां खुद लालू परिवार में वर्चस्व का जो द्वंद्व दोनों भाईयों में दिखता रहा है उसका जरुर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।--मैं चुप हुआ।

ठीक है, बिहार में जातिवादी राजनीति का बोलबाला रहा है लेकिन इस बार बिहार के चुनाव में एनडीए को लालू को बदनाम करने का एक अवसर जरुर मिला है। वैसे हाल में हुए आप्रेशन सिंदूर का प्रभाव भी चुनाव में दिख सकता है जिसका लाभ एनडीए को मिलेगा हीं इसमें दो मत नहीं। दुसरी बात कि पार्टी से तेज प्रताप को बाहर करने का निर्णय सही साबित होगा! ये मैं नहीं मानता। तेज प्रताप अपना राजनीतिक अस्तित्व बनाये रखने के लिए भले हीं राजद के विरुद्ध जाना हो, जायेंगे हीं जायेंगे, ऐसा मेरा मानना है तो स्वाभाविक है राजद को नुकसान होगा हीं। वैसे देखिये अभी चुनाव में चार महीने का समय है। राजनीतिक दिशायें कब रुख बदलेंगी कौन जानता है।अच्छा आज इतना हीं , चला जाय।--कहकर डा. पिंटू उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी....!!!!!
 

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प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

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May 28, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~`~ "पाकिस्तान आतंकवाद जारी रखेगा"

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........


सरजी, मेरे ख्याल से "फील्ड मार्शल" की उपाधि या पद,युद्ध के दौरान असाधारण परिस्थितियों में प्रदर्शित किये गये विशेष क्षमता, सूझ-बूझ, साहस या शौर्य के पश्चात हीं प्राप्त होता है। लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के पश्चात जब भारत ने आप्रेशन सिंदूर लॉन्च किया तो पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर जो अपने सैनिकों को, काफिरों का अंत करने के लिए कुरान की आयतों की शिक्षा दिया करते थे, उनका जब भारत के शूरवीरों से पाला पड़ा तो खबर ये आने लगी कि ये बकरा डर के मारे,किसी बंकर में दुम दबाकर छिपा बैठा था।
इसके आप्रेशन सिंदूर के भय से बंकर में छुपने के शौर्य पूर्ण करतब के लिए, पाकिस्तान सरकार ने इस काबिल सेनाध्यक्ष को "फिल्ड मार्शल" के पद पर सुशोभित किया है।--बैठते हीं हंसते हुए,मास्टर साहब ने मुद्दा रख दिया।

मास्टर साहब, पाकिस्तान में फिल्ड मार्शल बनने की कहानी बिलकुल एक जैसी है। इस मुनीर के फिल्ड मार्शल बनने के पहले एक मात्र फिल्ड मार्शल, सैन्य शासक अयुब खान थे। जो 1959 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद खुद हीं खुद को फिल्ड मार्शल के शीर्ष रैंक पर सुशोभित कर लिया था।--उमाकाका हाथ चमकाये।

काकाजी,इ पकिस्तनिया कुल, झूठ फरेब बोले में पीएचडी के डिग्री लेले बाड़न स। तबे नु अतना पिटइला के बादो,पीठ झारके कहतारे से जे हम जीतलबानी।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........

मुखियाजी, पाकिस्तान में असली शासन तो सेना का है प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उसकी पार्टी तो इसी मुनीर के रहमो-करम पर सत्ता में आई है। जैसा मुनीर चाहता है वही वहां की सरकार करती है। वहां की सरकार और सेना, दोनों ने मिलकर जनता को गुमराह करने का काम किया है। संभवतः इसी झूठ को  सच साबित करने के लिए कि हमने भारत को हरा दिया है, इस खुशी में सेनाध्यक्ष मुनीर को,फिल्ड मार्शल का पद दिया गया हो। लेकिन आज का युग डिजिटल है। पाकिस्तानी भी समझ गये हैं कि भारत ने मुनीर की पहलगाम शाजिस का बदला, आतंकियों के अड्डों पर स्ट्राइक करके 100 से अधिक आतंकियों को जहन्नुम भेजकर, पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम और 9 एयरबेस के साथ साथ उसके कई सैन्य विमानों को उड़ाकर ले लिया है।--डा. पिंटू भी हाथ चमकाये।

जानते हैं मुखियाजी!जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन अपने भाई से मिलकर जेल के बाहर आकर बोली कि मेरा भाई कह रहा था कि आर्मी चीफ जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल नहीं सीधे राजा घोषित कर देना चाहिए था क्योंकि इस देश में जंगल कानून चल रहा है और जंगल में एक हीं राजा होता है। यही इमरान खान का तंज कसा हुआ वक्तव्य  22 मई को एक्स पर भी दिखा।--सुरेंद्र भाई हंसे।

अपने को फील्ड मार्शल घोषित करवाने के पिछे मुनीर के कई मकसद हैं। अगर सत्ता पर से मुनीर की पकड़ खत्म हो जाती है और उसके उपर भविष्य में "आप्रेशन सिंदूर" को लेकर सवाल उठते हैं तो उसे ये फील्ड मार्शल का पद, किसी भी सजा से बचा लेगा। दुसरी बात की आजीवन इस ओहदे का वेतन और सुविधाएं भोगता रहेगा। भले हीं भिखमंगे पाकिस्तान का कर्जे का हीं पैसा क्यों न हो।--उमाकाका बोल पड़े।

इसमें तो दो मत नहीं कि मुनीर ने ये पद अयुब खान की तरह खुद हीं हासिल किया है लेकिन जनता का भरोसा कायम रखने के लिए इसे शहबाज सरकार द्वारा घोषित करवाया गया है। लेकिन इतना तो मानना पड़ेगा कि सेना और सत्ता, दोनों में मुनीर का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अब भारत को सोचना है कि इसका दूरगामी प्रभाव हम पर क्या पड़ेगा!!--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

कुंवर जी, पहली बात कि असीम मुनीर एक जिहादी व्यक्ति है जो स्वयं कहता है कि हम अपनी सेना को इस्लाम की शिक्षा देते हैं खासकर इस्लामिक क्रुरता, हिंसा से जुड़े फंडामेंटलिज्म। अर्थात पाकिस्तानी सेना और आतंकवाद एक दुसरे के प्रयाय हैं। मुनीर को फ़ील्ड मार्शल बनाने का तात्पर्य पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व जिहादी सर्वोच्च सेनापति के हाथों हीं रहेगी। भविष्य में भी पाकिस्तान आतंकवाद की निर्मामस्थली, शरणस्थली और निर्यातस्थली बनी रहेगी। समझिये कि फील्ड मार्शल बना मुनीर,अब भारत के खिलाफ और उग्र बातें करने को अधिकृत हो गया है।--मैं भी बहस में।

सरजी,देख रहे हैं न! आप्रेशन सिंदूर के बाद देश के भीतर कैसी-कैसी प्रतिक्रियायें दिख रहीं हैं!! चाहे विपक्षी राजनीतिक पार्टियां हों या भारत में रहकर, भारत का खाकर मजहबी गुलामों की कारगुजारियां हों!भारत से बाहर के दुश्मन चाहे पाकिस्तान हो या चीन,या बंगलादेश हो , इससे तो हमारी बहादुर सेना निपट लेगी लेकिन घर के भीतर के दुश्मनों से निपटना बहुत हीं जटिल है। ये पाकिस्तान यदि बड़ी बड़ी बातें करता है तो इस विश्वास पर कि भारत के भीतर हीं उसके शुभचिंतक भरे पड़ें हैं। --डा.पिंटु मुंह बनाये।

जो भी हो, भारत के एयर स्ट्राइक से जहन्नुम में गये आतंकियों के शवों को जिस तरह पाकिस्तान के झंडे में लपेटकर, शहीद का दर्जा देते पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी सेना नजर आये, उससे तो साफ है कि पाकिस्तान अपने स्वभाव को बदलने वाला नहीं। उपर से आतंक और जिहाद प्रेमी,असीम मुनीर का प्रोमोट होकर "फील्ड मार्शल" बनना भी इस बात का सबुत है कि पाकिस्तान और आतंकवाद का चोली दामन का संबंध इस "आप्रेशन सिंदूर" से टुटने वाला नहीं। भारत सरकार को अन्य ऑप्शंस भी ढुंढ़ने होंगे। अच्छा अब चला जाय।-- कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी......!!!!!


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प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

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May 28, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~~~~~ अंतरराष्ट्रीय वैद्यता महत्वपूर्ण या आंतरिक

बाकी इ डेलिगेशन तैंतीसे देशवन में काहे!!--मुखियाजी फिर पुछे।


सरजी, आप्रेशन सिंदूर और पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेपर्दा करने के उद्देश्य से देश के 59 सांसदों को परसो से 33 देशों में भेजा जा रहा है। 59 सांसद 7 सर्वदलीय टीमों में बंटें हैं। इन सांसदों का अभियान,पाकिस्तान को बेपर्दा करने और उसके आतंकवादी प्रवृत्ति को दुनिया के सामने उजागर करने का मोदी प्लान है जिसका हर हिंदुस्तानी समर्थन करता है ऐसा नहीं है।इसको लेकर भी विपक्षियों के पेट में मरोड़ उठ रही है।--मास्टर साहब बैठकी जमते हीं मुद्दा रख दिये।

ठीक बोले मास्टर साहब, सांसदों के डेलिगेशन भेजने पर सवाल खड़े किये जा रहें हैं। पाकिस्तान के मिडिया में हेड लाइन बनने का स्टंट खेला जा रहा है। अब कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश को हीं लिजिये, कहते हैं कि " ये विदेशों में डेलिगेशन भेजना,सरकार का अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने का एक स्टंट है जिसमें मोदीजी, मास्टर माइंड हैं।जो असली मुद्दे हैं उसपर मोदी सरकार,संसद में,सर्वदलीय बैठक में चर्चा नहीं करायेंगी।
अब प्रश्न उठता है कि भारत के इस सर्वदलीय डेलिगेशन पर सवाल उठाकर विपक्ष, पाकिस्तान का हित साधने में क्यों तत्पर है!!--डा.पिंटु ने सही कहा।

डा. साहब, कांग्रेस से कोई पुछे कि क्यों तुम्हारे नेता राहुल गांधी तो जब भी विदेश का दौरा करते हैं तो मोदी विरोध करते करते भारत का हीं विरोध शुरू कर देते हैं, देश विरोधी वक्तव्य देने लगते हैं!! 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के पश्चात कांग्रेस ने तो मोदी सरकार की तरह "आप्रेशन सिंदूर" जैसी तो नहीं, हां "आप्रेशन मजबूर" जरुर लॉन्च किया था।पाकिस्तान को सबक सिखाने की हिम्मत तो नहीं कर सकी लेकिन उसने भी पाकिस्तानी आतंकवाद को लेकर सर्वदलीय डेलिगेशन विदेशों में भेजा था तो वो क्या था। वो तो सच में ध्यान भटकाने वाला साबित हुआ था।--उमाकाका हाथ चमकाये।

काकाजी, शुक्र रहल जे 26/11 के मुंबई आतंकी हमला में आतंकवादी कसाब जिंदा पकड़ा गईल। मुसलमान होके कसाब, हिंदू धर्म के रक्षासूत्र कलाई में बंधले रहे ताकि कसाब के लाश के कलाई में रक्षासूत्र देखके कांग्रेस साबित कर सके जे इ हमला पाकिस्तानी भा मुस्लिम आतंक ना "भगवा आतंकवाद" रहल हा।--मुखियाजी सफेद मूंछों पर हाथ फेरते हुए।

मुखियाजी, अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लिखा है कि "26/11 मुंबई हमले के बाद मनमोहन सिंह (असल में सुपर पीएम-सोनिया गांधी), पाकिस्तान पर कार्रवाई करने से इसलिये बच रहे थे कि इससे मुस्लिम विरोधी भावनायें बढ़ने से बीजेपी की ताकत बढ़ सकती है।"
मतलब साफ है! कांग्रेस को देश से अधिक सत्ता की मलाई से मतलब रहा है। इसी कांग्रेस के मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है जबकि कांग्रेस, धार्मिक आधार पर मुस्लिमों को पाकिस्तान दे चूकी है। लोग ठीक कहते हैं कि कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम पार्टी है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

अच्छा सरजी, मोदीजी के सर्वदलीय सांसद डेलिगेशन, विदेश भेजला के का औचित्य बा!!--मुखियाजी मेरी ओर देखकर।

मुखियाजी,आज के समय में युद्ध में जीतने के साथ साथ वैश्विक स्तर पर कुटनीतिक स्पष्टता और नैरेटिव का महत्व बहुत बढ़ गया है। मौजूदा दौर में धारणाओं के युद्ध का विषेश महत्त्व है। इस डेलिगेशन के माध्यम से भारत विश्व को स्पष्ट संदेश देगा कि "आप्रेशन सिंदूर" सिर्फ विजय के लिये लड़ा गया युद्ध नहीं था बल्कि दशकों से आतंकवाद से पीड़ित मुल्क का, आतंकवाद की जन्मस्थली,शरणस्थली एवं निर्यातस्थली के गंभीर उकसावे के उत्तर में एक सुनियोजित सैन्य कार्रवाई थी।--मैं चुप हुआ।

लेकिन सरजी, पाकिस्तान से भी बड़ा और खतरनाक पाकिस्तान, भारत में है। अन्य तो हैं हीं लेकिन इसी कैटेगरी में कांग्रेस और विपक्षी भी हैं जिनके स्टेटमेंट, पाकिस्तान के हित में होते हैं। भारत सर्वदलीय सांसदों का डेलिगेशन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की करतुतों को विश्व के समक्ष उजागर करने के लिए भेज रहा है वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर जो निंदा प्रस्ताव पेश किया गया उसमें पाकिस्तान एक क्लाज डलवाने में सफल हो गया कि "आतंकियों ने धर्म पुछकर नहीं मारा....।" इसके लिए पाकिस्तान ने इन विपक्षियों के 12 नेताओं के ट्वीट्स और विडियो को सबुत के तौर पर दिखाया। जिसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बिहार की लालू पार्टी राजद और अन्य विपक्ष के नेताओं के बयान शामिल थे। इसके बाद चीन ने यह क्लाज, संयुक्त राष्ट्र संघ के निंदा प्रस्ताव में से हटवा दिया।
अब सोचिये! भारत का विपक्ष कितना हिंदू विरोधी, राष्ट्रद्रोही और गद्दार है!!--सुरेंद्र भाई मुंह बनाये।

अच्छा इ बतायीं जे भारत सरकार, सर्वदलीय डेलिगेशन काहे भेजतीया! भाजपा खाली आपन योग्य सांसद के भेजीत!!--मुखियाजी प्रश्न किये।

मुखियाजी, सर्वदलीय डेलिगेशन विदेशी सरकारों और रणनीतिक समूहों के समक्ष यह दिखलाता है कि यह एक गंभीर विचारों के आदान-प्रदान करने का  समग्रतापूर्ण प्रयास है जिसे देश के संपूर्ण राजनीतिक विचारधारा का समर्थन प्राप्त है। ये डेलिगेशन,सत्ताधारी से लेकर विपक्ष तक, राष्ट्रीय दलों से लेकर क्षेत्रीय दलों तक का प्रतिनिधित्व करता है। इससे ये साबित किया जाता है कि इस प्रतिनिधिमंडल को सभी भारतवासियों के प्रतिनिधि के तौर पर देखा जाय, सिर्फ भारतीय सत्ताधारी के रूप में नहीं। इसलिये सर्वदलीय डेलिगेशन, एक अच्छी कूटनीतिक सोंच और वैश्विक और आंतरिक स्तर पर सुंदर शासन कला है।--मैं चुप हुआ।

बाकी इ डेलिगेशन तैंतीसे देशवन में काहे!!--मुखियाजी फिर पुछे।

मुखियाजी, भारत ने उन्हीं देशों को प्राथमिकता दी है जो वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी या अस्थायी सदस्य हैं और ये वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर अहम् भूमिका निभाते हैं तथा भारत के रणनीतिक साझेदार हैं या भारत के साथ उनके आर्थिक, रक्षा और सांस्कृतिक संबंध हैं। इन देशों को पाकिस्तान के आतंकवादी समर्थन के विरुद्ध ठोस सबूत और दृष्टिकोण से अवगत कराना है। मोटे तौर पर मुखियाजी, खास देशों में डेलिगेशन भेजने का लक्ष्य,उन देशों का वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर प्रभावशाली होना है ताकि पाकिस्तान को बेनकाब करने के साथ साथ अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत किया जाय।--कुंवरजी अखबार रखते हुए।

कुछ भी हो,भले हीं हम पाकिस्तान जैसे दुश्मन को सैन्य बल में या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीत कर दें लेकिन आजादी के बाद से हीं देश के भीतर बना घाव आज नासूर बन चूका है। जिसके पोषक और संरक्षक भी खुलेआम कुलांचे भर रहे हैं। ऐसे राष्ट्र और सनातन विरोधियों से निपटना जटिलतम होता जा रहा है। भारत के भीतर हीं कितने पाकिस्तान और पाकिस्तानी भरे पड़े हैं और हमारे हीं पैसों पर मजे की रोटी तोड़ते हुए, हमें हीं नष्ट करने में दिन-रात लगे हैं। इनसे कैसे निपटा जाय!! मोदी को ये भी सोचना होगा और वो भी उस स्थिति में जब खुद अपने हीं, षड्यंत्रकारियों से गलबहियां खेल रहें हों। ये आज सबसे बड़ा मुद्दा है। खैर, देखिये आगे क्या होता है!अब तो सिर्फ ईश्वर हीं जानता है भारत और सनातनियों का भविष्य क्या होगा !! अच्छा अब चला जाय। कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी......!!!!!


आलेख - लेखक


प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

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May 19, 2025
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लिटेरा पब्लिक स्कूल ने हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया मातृ दिवस

विद्यालय की निर्देशिकाएं श्रीमती ममता मेहरोत्रा, श्रीमती श्रुति मेहरोत्रा एवं श्री अशुतोष मेहरोत्रा की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक गौरवपूर्ण बनाया

पटना : लिटेरा पब्लिक स्कूल ने मातृ दिवस बड़े ही उत्साह, प्रेम और कृतज्ञता के साथ मनाया। यह अवसर माननीय मुख्य अतिथि श्री प्रणव कुमार, आईएएस, सचिव, गृह विभाग की गरिमामयी उपस्थिति से और भी विशेष बन गया। साथ ही, विद्यालय की निर्देशिकाएं श्रीमती ममता मेहरोत्रा, श्रीमती श्रुति मेहरोत्रा एवं श्री अशुतोष मेहरोत्रा की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक गौरवपूर्ण बनाया।


कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों—गीत, नृत्य, नाटक और कविताओं—ने माताओं के प्रति हार्दिक श्रद्धा और सम्मान को भावपूर्ण ढंग से प्रकट किया। एक जादू का कार्यक्रम ने सभी को रोमांचित किया और आनंदित कर दिया। साथ ही, माताओं और छात्रों के लिए आयोजित संवादात्मक खेल और गतिविधियाँ पूरे आयोजन का विशेष आकर्षण रहीं, जिन्होंने उनके बीच के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाया।


श्री प्रणव कुमार ने विद्यालय द्वारा पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की और विद्यार्थियों की प्रतिभा व उत्साह की प्रशंसा की। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और माताओं के प्रति सम्मानपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ हुआ, जो सभी के लिए एक अविस्मरणीय स्मृति बन गई।
 

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May 19, 2025
Ahaan News

आतंकियों के भाईयों को भाजपा में जगह क्यों ?

RSS और BJP एक ऐसा संगठन जहां कोई वक्तव्य देने से पहले संगठन की स्वीकृति लेनी आवश्यक है

भारतीय जनता पार्टी (BJP) का नेतृत्व जब से नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को मिला नेतृत्व की जिम्मेवारी तो वहीं अमित शाह को मिला तब से संगठनात्मक संरचना बहुत मजबूत हुआ और जिसका परिणाम यह हुआ कि केंद्र की सत्ता के साथ ही राज्यों में डबल इंजन की सरकारें बनाई। नेतृत्व का प्रभाव ही इसे कहेंगे कि जिस भारतीय जनता पार्टी को सींचने में अटल और आडवाणी के साथ हर राज्य व जिला स्तरीय लोगों का प्रयास रहा जो आज बनकर मोदी और शाह को मिला। हिन्दू राष्ट्र बनाने में लगे रहने का ढोंग करते करते अब नरेंद्र दामोदर दास मोदी और अमित शाह जाति गिनने का काम शुरू कर दिया है।

बंटोगे तो कटोगें का नारा देने वाली राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान शीर्ष के नेताओं ने हर मर्यादा तोड़ कर रख दिया। नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने CAA पर बोलते हुए कहा था कि - "कपड़ों से पहचाने जा सकते हैं दंगाई कहकर एक नाकारात्मक विचार प्रधानमंत्री के रूप में देश को सौंपा। केन्द्रीय नेतृत्व में नरेंद्र दामोदर दास मोदी के आने के बाद मुस्लिम देशों का दर्जनों दौरा और पाकिस्तान में कई बार जाकर यह तो साबित कर दिया कि उनका कथनी और करनी में अंतर है। भारत के नागरिकों को नरेंद्र मोदी ने यह समझाया कि मैं हिंदू हूं और आम लोगों को मुस्लिम से नफ़रत करने की शिक्षा दी।

जैसा की आप सभी जानते हैं कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बड़ी आतंकवादी घटना हुई और उसके प्रतिशोध में भारतीय सेना के नेतृत्व में तीन-चार दिनों तक चलाया गया। वहीं चंद दिनों पहले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहा हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी पहली बार दुनिया के सामने आई वह भी अधिकारिक तौर पर जब आपरेशन सिंदूर को लेकर जानकारी साझा करने की जिम्मेवारी सेना ने उन्हें दिया।

आपको जानना चाहिए कि विजय शाह हैं कौन जिसके खिलाफ हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक होकर प्राथमिकी दर्ज कराई, फिर भी वह मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री के पद पर विजय शाह गर्व के साथ बैठा हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर BNS की धारा 152 के तहत केस दर्ज हुआ मगर कार्यवाही के नाम पर भारतीय जनता पार्टी और आतंकवाद पर जीरो ड्रलेन्स रखने वाले नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने चुप्पी साध ली है।

अगर देश यह स्वीकार कर लिया है कि भारतीय सेना में शामिल और आपरेशन सिंदूर जिसके कंधों पर थी वह कर्नल सोफिया कुरैशी आतंकवादियों की बहन हैं तो यह सोच़ना पड़ेगा कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जिन मुस्लिम लोगों को सदस्य बनाया गया या जिम्मेवारी सौंपी गई हैं वह आतंकवादियों के रिश्ते में क्या लगते हैं?

वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बात करें तो उसने माइनोरिटी मंच बनाकर सैंकड़ों मुस्लिम लोगों को जिम्मेवारी सौंपी गई है तो उसमें सबसे पहली बार बेवसाइट पर प्राप्त हुआ तो श्री के साथ सभी के नाम सम्मान के साथ उपलब्ध है। श्री अब्दुल राशिद अंसारी को मंच का अध्यक्ष बनाया गया है।

आगे बढ़ते हैं तो वर्तमान बिहार राज्य में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जो कि मुस्लिम हैं और नाम से ही पहचाना जा सकता है उन्हें विजय शाह के शब्दों में आतंकवादियों का भाई क्यों ना माना जाए ?

वहीं नजमा हेपतुल्लाह जो भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से सदन के सदस्यों के साथ जब मणीपुर को जलाया गया तो राज्यपाल थी। इन्हें विजय शाह के शब्दों में आतंकवादियों की बहन कहा जाए ?

और अगर आगे बढ़ते चले तो पाएंगे कि अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में चली पहली सरकार में सैयद शाहनवाज हुसैन को संसद का सदस्य ही नहीं बल्कि उन्हें केन्द्रीय राज्यमंत्री भी बनाया गया था और नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के नेतृत्व में भले ही टिकट नहीं दिया भारतीय जनता पार्टी ने लेकिन 2020 में बिहार का उद्योग मंत्री पद पर बैठाया। तो नाम से जाना जाता है कि मुस्लिम समुदाय के आने वाले हुसैन को विजय शाह के शब्दों में आतंकवादियों का भाई क्यों ना माना जाए ?

और आगे बढ़ते हैं तो पता चलता है कि पीएम मोदी ने अपने पहले कैबिनेट में मुख्तार अब्बास नकवी मंत्री बनाया था। 2014 में केंद्रीय राज्यमंत्री और 2016 में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। वहीं मोदी काल में 2019 में दोबारा केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री बनाए गए। थोड़ा और पीछे जाए तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री भी थे। वहीं मुख्तार अब्बास नकवी को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। तो आप समझते हुए आगे बढ़े तो विजय शाह के शब्दों में आतंकवादियों का भाई क्यों ना समझा जाए।

एक और नाम की ओर बढ़ते हैं तो पाते हैं कि सैयद ज़फ़र इस्लाम एक भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश राज्य से राज्यसभा के पूर्व सांसद हैं । वह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं में से एक हैं। इस्लाम एक पूर्व निवेश बैंकर और ड्यूश बैंक की भारतीय सहायक कंपनी के पूर्व प्रबंध निदेशक हैं । उन्होंने 2017 से 2020 तक एयर इंडिया के गैर-आधिकारिक स्वतंत्र निदेशक के रूप में भी कार्य किया । ऐसे लोगों को जिन्हें भारतीय जनता पार्टी ने भारत में बड़े बड़े जिम्मेवारी सौंपी वैसे लोगों को भाजपा के लिए वर्तमान मध्य प्रदेश के मंत्री के शब्दों में आतंकवादियों का भाई क्यों ना समझा जाएं?

थोड़ा और नजदीक समय में देखते हैं तो रिकमन मोमिन को मेघालय बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष  2023 बनाया गया तो ऐसे को भी आतंकवादियों का भाई क्यों ना समझा जाएं।

आज का यह आलेख इस आधार पर लिखा गया हैं क्योंकि भारतीय न्याय संहिता ( BNS ) के आधार पर भारतीय न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायधीशों के द्वारा जब मध्य प्रदेश सरकार को आदेश दिया तो FIR में भी धोखाधड़ी किया गया और पुनः हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई तो पुनः एक नया FIR  हुआ और इसके आधार पर 7 साल की सज़ा मिल सकती हैं या कहें इस धारा के तहत 7 साल की सज़ा सुनिश्चित हैं।

लेकिन भारतीय जनता पार्टी के होने के कारण सजा और पद मुक्त करने की स्थिति नहीं दिखाई देती हैं। अगर मुस्लिम देश के लिए खतरा है तो नरेंद्र दामोदर दास मोदी का पाकिस्तान में बिना सूचना पहुंच कर बिरियानी खाना कैसा कदम था। वहीं नरेंद्र दामोदर दास मोदी अपने प्रधानमंत्री के रूप में दुनिया के दर्जनों मुस्लिम देशों का दौड़ा किया और वहां के सत्ताधीशों के साथ मिलकर मस्जिदों में नमाज अदा किया सर झुकाया इसे क्या कहेंगे?

देश का शासक ऐसा हो कि जो बोले वह करें।

कथनी और करनी में अंतर देश के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि आतंरिक सुरक्षा और शांति के लिए भी खतरा है। जिसे लगातार देश महसूस कर रहा है। देश में लाखों युवाओं ने नरेंद्र दामोदर दास मोदी को अपना आदर्श मानकर हिन्दू धर्म सर्वोपरि के नारों के साथ छोटे छोटे क्षेत्रों में हिन्दुत्व को मजबूत करने का प्रयास करते रहे और सैकड़ों नवजवानों की बलि चढ़ा दी। वहीं उन नवयुवकों को 2014 के बाद हिन्दुत्व के काम के कारण कई बार जेल जाना पड़ा और दर्जनों मुकदमों से रोज गुजरना पड़ता है।

देश में अब धर्मवाद के बाद जातिवादी व्यवस्थाओं को मजबूती मिलने की तैयारी हैं और मारकाट की नींव रख दी गई हैं।


जय हिन्द जय भारत
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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May 19, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~~~~ विगत 11 बर्षों में भारत बदल चूका है

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में......


बैठकी जमते हीं मास्टर साहब बोल पड़े--"सरजी, पाकिस्तान के साथ हुए तीन दिनों के युद्ध ने हम भारतियों को सोचने पर बाध्य कर दिया है कि अगर 16 मई 2014 को हमारे देश की जनता ने आदरणीय मोदीजी को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनाया होता तो आज हमारी कितनी दुर्गत की स्थिति रहती!! जनता ने मोदीजी के कंधे पर देश चलाने की जिम्मेवारी सौंप दी। उसके बाद से हीं भारत हर क्षेत्र में सशक्त होता चला गया। चाहे वो अर्थव्यवस्था हो या राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था, गरीबी उन्मूलन हो या स्वास्थ्य सुविधा, यातायात व्यवस्था हो यां वैज्ञानिक अनुसंधान उपलब्धियां, कृषि उत्पादन हो या शिक्षा व्यवस्था, स्वदेशी उत्पादन हो या वैश्विक प्रस्थिति आदि आदि।
आज जिसको जो भाषा समझ में आती है हम उसको,उसकी भाषा में हीं समझाने में सक्षम हैं। 11 बर्षों में हमारा भारत कितना बदल गया है!!"

मास्टर साहब, हमें आज से 12-13 साल पहले का, कांग्रेस के शासनकाल में हमारे सेना की कितनी दयनीय स्थिति थी वो याद है। भारतीय सेना के पास न हथियार थे और न गोला बारूद। पाकिस्तानी आंतकी हमारे सैनिकों के सिर काट कर उससे फुटबॉल खेलते थे लेकिन मनमोहन सिंह, लालू और मुलायम की सरकार खामोश रहती थी।--उमाकाका दुखी लगे।

काकाजी, मुझे भी याद है जब तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,को चिट्ठी लिखी थी कि हमारी सेना के पास गोला बारूद की कमी है,हमारा एयर डिफेंस सिरस्टम कमजोर है, हमारे सैनिकों के लिए न प्रयाप्त बुलेट प्रूफ हैं और न गाड़ियां,हालत चिंताजनक है। लेकिन सरकार ने ध्यान हीं नहीं दिया।कांग्रेस सरकार को देश की सुरक्षा की  चिंता हीं नहीं थी।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

अजी कांग्रेस सरकार में कोई भी रक्षा सौदा बगैर दलाली और कमिशनखोरी के होता हीं नहीं था। राफेल जैसे सौदे, कमिशन तय नहीं होने के चलते अटके रहे। बोफोर्स तोप घोटाला तो याद हीं होगा!!कांग्रेस सरकार में रक्षा सौदे बर्षों लटके रहते थे, स्वदेशी निर्माण के प्रति सरकार की रुचि हीं नहीं दिखी। देश की सुरक्षा से समझौता कर लिया जाता था लेकिन जेब भरने का लालच नहीं छोड़ा जाता था।--सुरेंद्र भाई मुंह बनाये।

अजी, कांग्रेस राज में लूट के प्रमाण समझने के संदर्भ में,सेना के लिए सिर्फ जुते खरीद की असलियत समझियेगा तो आप दंग रह जाएंगे!!जयपुर की कंपनी सेना के लिए जुते बनाती थी जो इजरायल खरीद लेता था फिर वही जुते भारत सरकार,सैनिकों के लिए खरीदती थी। इजरायल से भारत 25000 रुपये प्रति जोड़ी की दर से खरीदता था। मोदी सरकार में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर वहीं जुते जयपुर की कंपनी से डायरेक्ट मात्र 2200 रुपये में सेना को उपलब्ध कराने लगे। अब आप सोचिये!! बर्षों तक कांग्रेस ने कैसी लूट मचा रखी थी।--मास्टर साहब बुरा सा मुंह बनाये।

ठीक बोले मास्टर साहब,2014 के बाद जब मोदी सरकार आयी तब जाकर, सेना की हालात में तेजी से सुधार होना शुरू हुआ। प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा को गंभीरता से लिया और सेना को वो सारे साजो सामान उपलब्ध करायें जो उनकी जरूरत थी। मेक इंडिया के तहत भारत स्वदेशी हथियार बनाने और इस क्षेत्र में विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। नतीजतन तेजस फाइटर जेट, प्रचंड अटैक हैलिकॉप्टर, रुद्र,एचटीटी-40 ट्रेनर प्लेन, धनुष तोप, पिनाका रॉकेट सिस्टम,आकाश मिसाइल डिफेंस सिरस्टम, भारत ने खुद बनाया। रुस से मिलकर एके-203 रायफल और आज विश्व में तहलका मचाने वाला "ब्रह्मोस मिसाइल" बनाया गया। नौसेना को आइएनएस विक्रांत, वरुणास्त्र टॉरपीडो और अगली पीढ़ी के मिसाइल वेसल्स मिले जिससे हमारी समुद्री सुरक्षा ताकत बढ़ी। विदेशी सौदों में भी पार्दर्शिता रही और फ्रांस से राफेल जेट, इजरायल से एमक्यू -9 ड्रोन, अमेरिका से सी-295 ट्रांसपोर्ट विमान और रुस से एस-400 मिसाइल सिस्टम भारत आया। जिसका परिणाम हमलोगों ने हाल के पाकिस्तान के साथ हुए तीन चार दिनों के युद्ध में हीं देख लिया न!! नतीजतन भारत का लोहा विश्व मानने को मजबूर दिख रहा है।--डा. पिंटू हाथ चमकाये।
इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में......

जनता को याद रखना चाहिए कि यही कांग्रेस और विपक्षी हैं जो राफेल और एस-400 को भारत लाने में कितने हाय तौबा और रोड़ै अटका रहे थे। राफेल को लेकर तो रोड़े अटकाने के क्रम में सुप्रीम कोर्ट तक चले गये थे। याद है न!! राफेल डील को लेकर यही राहुल बोला था कि चौकीदार चोर है जिसके लिए उसे कोर्ट से फटकार मिली थी। कहता था --"राफेल डील घोटाला है,एस-400 से ज्यादा जरूरी तो लंच टाइम डिबेट है"। आज देश की जनता सुरक्षित है क्योंकि मोदी ने अपनी 56 इंच की छाती सच में सिद्ध किया है। अन्यथा इन इंडी गठबंधन का राज होता तो हमारी आपकी हेकड़ी मलबे में दबी मिलती।--मास्टर साहब उत्तेजित लगे।

सरजी, मोदी सरकार और हमारी सेना ने सिद्ध कर दिया कि अगर सीमा पार से गोली चलेगी तो जबाब में इधर से गोला चलेगा। अगर तुम हमारे निर्दोषों की हत्या करोगे तो हम तुम्हारे आतंकी अड्डों को नष्ट कर देंगे चाहे पाकिस्तान के किसी कोने में छुपे हो। दुनिया ने देखा और अब तो खुद पाकिस्तानियों ने भी स्वीकार कर लिया है कि भारत ने उसके 9 आतंकी ठिकानों को पुरी तरह तबाह कर दिया है और 100 से अधिक आतंकियों को जहन्नुम में,132 फीट की 72 हूरों के पास भेज दिया है। भारत के ब्रम्होस मिसाइल ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निष्क्रिय कर दिया है। इतना हीं नहीं जब देखो तब पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देता था। उसके इस अहंकार को भी हमारी सेना ने धूल में मिला दिया। जबकि सिंधु नदी जल समझौता को इतिहास में फेंक दिया। यहां तक कि पाकिस्तान को सीजफायर की रहम मांगनी पड़ी। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।--डा.पिंटू भी रंग में लगे।

ए भाई, इ सीजफायर के बाद कांग्रेसिया सब "आयर लेडी" कही के इंदिरा गांधी के तुलना करत रहले हा स।--मुखियाजी सोफे पर पहलु बदलते हुए।

हां मुखियाजी,चूकी 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह पराजित किया था और बंगलादेश के रूप में पाकिस्तान का विभाजन करवाया था। हां ये वही आयरन लेडी थी जो हजारों भारतीय सैनिकों की कुर्बानी से प्राप्त विजय को थाली में सजाकर जीती जमीन और 93000 हजार पाकिस्तानी सैनिक युद्धबंदियों को सम्मान के साथ वापस पाकिस्तान को सौंप दी थी लेकिन अपने 58 पायलट सहित लगभग 4000 हजार सैनिक युद्धबंदियों को पाकिस्तान के जेलों में यातना सहकर मरने को छोड़ दिया था। हां मुखियाजी, ये वही आयरन लेडी थी जिसने 1971 के युद्ध का हिरो रहे जनरल मानेकशॉ का पेंशन और भत्ते को रोक दिया था क्योंकि मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी के आदेश पर तुरंत हमला न करके,सैनिक कार्यवाही के अनुकूल समय देखकर हमला करना उचित समझा था और जीता भी। ये वही आयरन लेडी थीं जिन्होंने इमरजेंसी का जख्म भारत और भारतियों को दिया था और जबरन लाखों हिंदुओं को नसबंदी की थी ताकि भारत में हिंदुओं की संख्या घटे। छोड़िये, मूर्ख और लालची हिंदुओं के आगे आयर लेडी की क्या पर्दाफाश करुं! बस इतना हीं कहुंगा कि "मोदी" की तुलना इंदिरा से करना, हिंदुओं का मज़ाक़ उड़ाना है।--डा.पिंटू क्षुब्ध लगे।

मोदी सरकार और उसके पहले की कांग्रेस सरकार में अंतर,देश के रक्षा बजट की तुलना से हीं स्पष्ट हो जायेगा। कांग्रेस सरकार का बर्ष 2013-2014 में रक्षा बजट था--2.03 लाख करोड़, रक्षा निर्यात था--686 करोड़। तत्कालीन कांग्रेसी रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा था कि सैन्य हथियार खरीदने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं। जबकि मोदी सरकार का बर्ष 2025-26 का रक्षा बजट है--6.81 लाख करोड़ और रक्षा निर्यात है--23622 करोड़। केवल 5 बर्षों में भारत ने 2 लाख करोड़ के सैन्य हथियार खरीदे। अभी कल मोदी सरकार ने सेना को आवश्यकतानुसार गोला बारूद खरीदने के लिए 40 हजार करोड़ का गिफ्ट दे दिया है।--कुंवरजी अखबार रखते हुए।

जो भी हो, इतना तो सभी मानेंगे कि मोदी शासन के पहले फौज के हाथ बंधे होते थे जबकि आज फौज एक्शन लेने के लिए स्वतंत्र है। तेजस्वी वैज्ञानिकों की अज्ञात कारणों से मौत हो जाया करती थी और वैज्ञानिक कहते थे कि संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जाता लेकिन आज हम चांद पर हैं। हमारे वैज्ञानिक देश को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज आतंकियों को मोदीजी कहते हैं कि घर में घुसकर मारेंगे जबकि आज आतंकियों से पुछिये तो कहेंगे कि कांग्रेस बहुत अच्छी थी,कांग्रेस ने हमें कभी नहीं रोका।  आज हम विश्व की तेरहवीं से चौथी अर्थव्यवस्था बन चूकें हैं।--उमाकाका हाथ चमकाये।

काकाजी, मोदी सरकार का कमाल है कि आज पुरा विश्व भारत की ओर कान और आंख केंद्रीत किये है। खैर आज इतना हीं फिर कल।--कहकर मैं उठ गया  और इसके साथ हीं बैठकी भी.....!!!!

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प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

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May 17, 2025
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रोहित शर्मा क्रिकेट का महायोद्धा, सम्मान में वानखेड़े स्टेडियम में बना रोहित शर्मा स्टैंड

स्टेडियम में रोहित शर्मा ने अपने स्टैंड का उद्घाटन अपने माता - पिता से करवाया, बहुत ही बेहतरीन दृश्य

रोहित शर्मा एक सिर्फ़ नाम नहीं बल्कि ब्रांड का नाम हैं। 

पुरी दुनिया में बहुत और बहुत बेहतरीन क्रिकेटरों में सुमार हैं रोहित शर्मा। सबसे पहले बात करें तो रोहित शर्मा एक मात्र ऐसा खिलाड़ी हैं जिसने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 1-2 नहीं बल्कि 3 दोहरे शतक से दुनिया को अपनी उपस्थिति का महत्व बताया।

रोहित शर्मा के संपूर्ण जीवन परिचय के साथ उनके कैरियर पर यह खास रिपोर्ट तैयार कर आपके बीच साझा कर रहा हूं -

जन्म                          :-                30 अप्रैल, 1987 (38 वर्ष)
जन्म स्थान                 :-                नागपुर, महाराष्ट्र
उपनाम                      :-               रोहित
भूमिका                      :-               बल्लेबाज
बल्लेबाजी शैली           :-              दाएँ हाथ का बल्ला
गेंदबाजी शैली             :-              दायाँ हाथ ऑफब्रेक

रोहित शर्मा का एक परिचय देने के लिए यहां से शुरू करते हैं कि एक स्पष्ट रूप से उत्साहजनक शब्द जो रोहित शर्मा के साथ छाया की तरह रहा है; यहां तक कि कभी-कभी उन्हें परेशान भी करता रहा। ऐसा लगता है कि यह एक बोझ है जिसे क्रिकेट जगत ने उन पर थोप दिया है और राष्ट्रीय स्तर पर एक दशक से अधिक समय के बाद, उन पर इस लेबल का बोझ बढ़ गया है। हर्षा भोगले ने घरेलू सर्किट में फुसफुसाहटों की बात की; कोच और स्काउट्स ने मुंबई के एक किशोर के सहज, मुक्त-प्रवाह वाले स्ट्रोक-प्ले को पहचान लिया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 50 से अधिक की औसत के साथ शानदार प्रदर्शन करने के बाद, वह तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने रणजी स्तर पर नाबाद तिहरा शतक बनाया।

यह सब 2007 के विश्व टी 20 में फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह के चोटिल होने के बाद शुरू हुआ, जब रोहित को मेजबान टीम के खिलाफ लीग गेम खेलने के लिए अंतिम समय में आपातकालीन प्रतिस्थापन के रूप में बुलाया गया था। भारतीय पारी की शुरुआत में खराब प्रदर्शन के बाद, 20 वर्षीय खिलाड़ी किंग्समीड में उतरे और पोलक, एनटिनी और मोर्केल जैसे बल्लेबाजों के खिलाफ शानदार अर्धशतक बनाया, जैसे कि वह नेट सेशन कर रहे हों। उन्होंने पारी के अंत तक दबाव में टिके रहने के लिए आश्चर्यजनक परिपक्वता दिखाई, भारत को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया, जिसका उन्होंने अंततः बचाव किया और दक्षिण अफ्रीका को उनके ही घर में टूर्नामेंट से बाहर कर दिया।

भारतीय क्रिकेट के दीवाने प्रशंसकों को एक जैसे प्रतिस्थापन पसंद हैं। अधिक विशेष रूप से, उन्हें बीते दिनों के साथ समानताएं खोजने का शौक है। आंकड़ों के लिए निरंतर जुनून के साथ, एक क्रिकेट प्रेमी है जो मुंबई के एक शानदार दिखने वाले बल्लेबाज के विचार से अभिभूत हो जाता है, जो स्वतंत्र रूप से बल्लेबाजी करने की शैली के साथ है।

यह बात बहुत सही है कि - रोहित शर्मा को टेस्ट बल्लेबाजी लाइन-अप में नंबर 4 पर महान सचिन तेंदुलकर का लंबे समय से उत्तराधिकारी माना जाता था। आखिरकार, इससे यह तो तय हो गया: अपने शॉट्स खेलने के लिए बहुत समय, तेज गति के खिलाफ भी सहज स्ट्रोक बनाने की क्षमता और शॉट्स की एक विस्तृत श्रृंखला। यह तेंदुलकर के बाद के युग में क्रिकेट के लिए भगवान का उपहार होना चाहिए है न?

रोहित को विश्व टी20 में उनके शानदार प्रदर्शन और उनके प्रभावशाली रणजी ट्रॉफी रिकॉर्ड के बाद चयन के लिए एकदिवसीय टीम में चुना गया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज़ में अपनी छाप छोड़ी, जिसमें उन्होंने ब्रेट ली और स्टुअर्ट क्लार्क जैसे दिग्गजों और श्रीलंका के बेहतरीन आक्रमण के खिलाफ कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। विश्व टी20 और सीबी सीरीज़ में इन प्रेरित प्रदर्शनों ने चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें सीमित ओवरों की टीम में लंबे समय तक खेलने का मौका दिया।

हालांकि, असंगति और अपना विकेट गंवाने की आदत के कारण उन्हें टीम में अपनी जगह पक्की करने में संघर्ष करना पड़ा। आलोचकों ने बताया कि उनके पास एक ही गेंद पर बहुत सारे शॉट थे, और इसका मतलब था कि शॉट चयन उनके लिए एक समस्या बन गया था। इसके अलावा, कई विशेषज्ञों ने देखा कि उन्हें शॉर्ट बॉल खेलने में परेशानी होती थी क्योंकि उनका रुख बहुत साइड-ऑन था और उनके पास बैक-एंड-अक्रॉस ट्रिगर मूवमेंट नहीं था। 22 के उनके औसत बल्लेबाजी औसत के साथ कम स्कोर और बिना किसी बदलाव के शुरुआत का मतलब था कि वे 2011 क्रिकेट विश्व कप टीम में अपनी जगह पक्की करने में विफल रहे।

अपने करियर पर नज़र डालें तो रोहित शर्मा को इंडियन प्रीमियर लीग का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिसने उन्हें टीम में बनाए रखा और कई अन्य युवा और प्रतिभाशाली क्रिकेटरों की तरह बाहर नहीं किया, जो राष्ट्रीय स्तर पर उभरे, लेकिन उच्चतम स्तर पर बड़ा नाम नहीं बना सके। आईपीएल के पहले दो वर्षों में, उनका प्रदर्शन शानदार रहा, क्योंकि उन्होंने डेक्कन चार्जर्स के लिए हर बार 350 से अधिक रन बनाए और अपनी फ्रैंचाइज़ी के लिए अपनी योग्यता साबित की। इसके बाद उन्हें 2011 में मुंबई इंडियंस फ्रैंचाइज़ी में स्थानांतरित कर दिया गया और वे पिछले कुछ वर्षों में उनके सबसे लगातार बल्लेबाजों में से एक रहे हैं।

रोहित भारतीय एकादश में अंदर-बाहर होते रहे लेकिन टीम में खुद को स्थापित नहीं कर पाए, उन्हें एक अच्छी तरह से स्थापित भारतीय मध्य क्रम के बावजूद पर्याप्त अवसर दिए गए थे। अफसोस की बात है कि 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नागपुर टेस्ट के लिए प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने के बाद, वह प्रतिष्ठित भारत की कैप प्राप्त करने के बहुत करीब पहुंचने के बाद वार्म-अप फुटबॉल खेल में दुखद रूप से घायल हो गए थे। बाद में घटनाओं के एक दिल दहला देने वाले मोड़ में उन्हें श्रृंखला से बाहर कर दिया गया और उन्हें अगले 4 वर्षों तक टेस्ट में अपनी योग्यता साबित करने का कोई और अवसर नहीं मिला।

रोहित ने 2011 में फिर से आईपीएल मंच पर खुद को साबित किया और वेस्टइंडीज दौरे के लिए एकदिवसीय टीम में वापसी की, जहां उन्होंने पांच मैचों में तीन अर्धशतक बनाए। हालांकि, यह एक और झूठी सुबह साबित हुई क्योंकि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में सीबी श्रृंखला में कम स्कोर की एक श्रृंखला और श्रीलंका के बुरे सपने के साथ इसका पालन किया, जिसमें 5 पारियों में केवल 14 रन बनाए, जिसमें 2 शून्य शामिल थे। उन्हें पहले से ही अधिक-से-अधिक समय दिया गया था और वे एक निराशाजनक रूप से आकर्षक खिलाड़ी की एक अप्रिय प्रतिष्ठा बनाने लगे थे।

आम तौर पर अस्थिर चयनकर्ता, आश्चर्यजनक रूप से, उनका समर्थन करना जारी रखते थे। आखिरकार, वनडे में सलामी बल्लेबाज के स्थान के लिए दावेदारों की कमी के कारण, भारतीय कप्तान एमएस धोनी ने उन्हें सीमित ओवरों के प्रारूप में सलामी बल्लेबाज के रूप में आजमाने का फैसला किया।

'मास्टरस्ट्रोक' शब्द हमेशा से एक रहस्य रहा है, ऐतिहासिक रूप से इसका इस्तेमाल अस्पष्ट, परिणाम-आधारित तरीके से किया जाता रहा है। रोहित शर्मा को शीर्ष क्रम में पदोन्नत करने के कदम ने इसे मास्टरस्ट्रोक कहने के लिए पर्याप्त लाभ दिया है - भारत को आखिरकार ओपनर के स्थान के लिए एक उम्मीदवार मिल गया था, और रोहित ने लगभग 5 साल तक टीम से बाहर रहने के बाद आखिरकार बदलाव की पटकथा लिखी। सलामी बल्लेबाज के रूप में खुद को खेलने के लिए पर्याप्त समय के साथ, रोहित और धवन ने एक शानदार ओपनिंग साझेदारी बनाई, जिसने 2013 में भारत के अजेय और सफल चैंपियंस ट्रॉफी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर भी, प्रतिभाशाली टैग उनके साथ रहा, और रोहित - आखिरकार - ने इसे जीना शुरू कर दिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला में रनों की बरसात करते हुए, रोहित ने 6 आउटिंग में 491 रन बनाए, जिसमें बैंगलोर में निर्णायक एकदिवसीय मैच में 209 रन की तूफानी पारी शामिल थी, जो सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की एकदिवसीय दोहरे शतकों की सूची में शामिल हो गया।

राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गजों के संन्यास लेने के बाद, टेस्ट बल्लेबाजों की एक नई फसल को निखारने की जरूरत थी, और टीम में नए रास्ते खोलने थे। रोहित ने आखिरकार अपने प्रसिद्ध 'पूर्ववर्ती' की विदाई श्रृंखला में ईडन गार्डन्स में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत के लिए टेस्ट कैप हासिल की। रोहित इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे और उन्होंने तुरंत टेस्ट मैदान को अपनाया, अपनी पहली पारी में रोहित की तरह 177 रन बनाए; मैच के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण पारी थी, जिसने भारत को गति प्रदान की। उन्होंने अगले टेस्ट में नाबाद 111 रन बनाकर चयनकर्ताओं के समक्ष अपने प्रतीकात्मक बयान को पुख्ता किया, सचिन तेंदुलकर के विदाई टेस्ट मैच में आंसू भरे वानखेड़े को मंत्रमुग्ध कर दिया और वेस्टइंडीज के गेंदबाजी आक्रमण को शांत किया। 


चोट के कारण ब्रेक के बाद, रोहित ने खोए हुए समय की भरपाई करने के लिए, ईडन गार्डन्स में एकदिवसीय मैच में 264 रनों की पारी खेली, जिसमें उन्होंने श्रीलंका के असहाय आक्रमण को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने पूरी श्रीलंकाई टीम से तेरह रन अधिक बनाए । हालांकि, कोलकाता में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद चयनकर्ताओं द्वारा ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुने जाने के बाद एक चिंताजनक प्रवृत्ति जारी रही: कम चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सफेद गेंद के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें विदेशी टेस्ट दौरों के लिए चुना जाना। उन्हें 2013 के अंत में दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए 209 रन बनाने के बाद चुना गया था और वे सीमिंग परिस्थितियों में तकनीकी रूप से अयोग्य दिखे, गेंद की लाइन पर बहुत जल्दी आ गए और ऐसे खेले जैसे कि यह एक असली विकेट हो। वनडे में जल्दी लेंथ पहचानने की उनकी ताकत टेस्ट मैचों में अभिशाप बन गई इसी तरह, 264 रन की पारी के आधार पर आस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुने जाने के बाद, उन्होंने 6 पारियों में सिर्फ एक अर्धशतक बनाया, तेज गति वाले आस्ट्रेलियाई आक्रमण के सामने वे पूरी तरह से असहाय नजर आए, लगातार शरीर से दूर खेलते हुए, पार्श्व गति के लिए अनुकूल परिस्थितियों में लाइन के माध्यम से हिट करने का प्रयास करते हुए और ऑफ-स्टंप के प्रति खराब जागरूकता दिखाते हुए।

फिर भी उन्होंने वनडे में अपना सुनहरा दौर जारी रखा और 2015 विश्व कप अभियान का समापन भारत के दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में किया, जिसमें कुल 330 रन शामिल थे, जिसमें बांग्लादेश के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में शतक और दो अर्द्धशतक शामिल थे।

वनडे खिलाड़ी रोहित ने आखिरकार 2016 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के एक सीमित ओवरों के दौरे में एक सलामी बल्लेबाज के रूप में एक सफल प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने लगातार दो शतक और श्रृंखला में 99 रन बनाए और आखिरकार चयनकर्ताओं और अपने कप्तान के भरोसे का जवाब दिया। वह एक दिवसीय राक्षस बन गए थे, जिन्होंने एक आदत बना ली थी - अपनी वनडे पारी की शुरुआत धीमे और स्थिर तरीके से करते थे, लेकिन एक बार जम जाने के बाद वास्तव में किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ा सकते थे। एक विस्तारित घरेलू सत्र के साथ, रोहित को टेस्ट में मौके मिलते रहे और उन्होंने अपनी तकनीक में व्यापक सुधार दिखाया, अपनी पिछली 5 पारियों में चार अर्द्धशतक और एक शतक के साथ, उन्होंने श्रीलंकाई आक्रमण के खिलाफ़ एक अभूतपूर्व तीसरे एकदिवसीय दोहरे शतक के साथ एक शानदार घरेलू सत्र का समापन किया।

अपने सहयोगियों के रूप में प्रतिभाशाली तकनीक और सुस्त लालित्य के साथ, रोहित ने निरंतरता का मार्ग पाया और 2018 से टेस्ट सेट-अप में एक नियमित विशेषता रहे हैं। हालाँकि, उनकी सफ़ेद गेंद की क्षमता ने 2019 में एक और ऊँचाई देखी, जब वे इंग्लैंड में एकदिवसीय विश्व कप में 9 मैचों में 81 की औसत से 648 रन बनाकर सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने, जिसमें 67 चौके और 14 छक्के शामिल थे। 2021 टी20 विश्व कप से ठीक एक महीने पहले, विराट कोहली ने टी20I कप्तान के रूप में पद छोड़ दिया, और इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं था कि अगला कप्तान कौन होगा, रोहित शर्मा सबसे पसंदीदा थे। कुछ महीने बाद, BCCI ने रोहित को 2021-22 के दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए एकदिवसीय कप्तान के रूप में नामित किया। चोट के कारण पूरे दौरे से बाहर रहने के बाद, रोहित ने अहमदाबाद में भारत के 1000वें वनडे (06 फरवरी 2022 को वेस्टइंडीज के खिलाफ) में पूर्णकालिक कप्तानी संभाली। कुछ हफ़्ते बाद, और उम्मीद के मुताबिक, रोहित ने कोहली से टेस्ट कप्तानी संभाली और भारत को श्रीलंका और बांग्लादेश (इंग्लैंड में 2021-22 में इंग्लैंड के साथ सीरीज ड्रॉ) पर अब तक (मार्च 2023 तक) सीरीज जीत दिलाई।

रोहित 2022 टी 20 आई विश्व कप में भारत के कप्तान थे, जहां उनकी टीम को सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने बुरी तरह से हरा दिया था। उस हार के बाद, उन्होंने टीम की संस्कृति को बदलने और अपने लड़कों के बीच निडर क्रिकेट का एक ब्रांड स्थापित करने का बीड़ा उठाया। रोहित ने 2023 के वनडे विश्व कप में आगे बढ़कर नेतृत्व किया और टीम को अधिकांश खेलों में धमाकेदार शुरुआत दी। उन्होंने व्यक्तिगत रिकॉर्ड की बहुत अधिक परवाह किए बिना तेजी से रन बनाए और भारत ने अजेय रहते हुए फाइनल में प्रवेश किया। दुर्भाग्य से उन्हें फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने हरा दिया।

रोहित शर्मा को कुछ महीने बाद टी 20 आई विश्व कप में वापसी का मौका मिला। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ग्रुप गेम में भारत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और फिर इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में उन्होंने बड़ी पारी खेली और विपक्षी टीम को खेल से बाहर कर दिया। उनकी कप्तानी में ही भारत ने आखिरकार 11 साल के ट्रॉफी के झंझट को खत्म किया और बारबाडोस में 2024 टी 20 आई विश्व कप जीता। रोहित शर्मा ने विश्व कप जीतने के बाद टी 20 आई से संन्यास ले लिया। विश्व कप के बाद, रोहित का फॉर्म थोड़ा खराब रहा, खासकर टेस्ट क्रिकेट में, क्योंकि भारत को न्यूजीलैंड के हाथों 3-0 से घरेलू सफाया झेलना पड़ा और फिर बॉर्डर गावस्कर सीरीज भी हार गई। उन्होंने बीजीटी के अंतिम सिडनी टेस्ट के लिए कप्तान होने के बावजूद खुद को टीम से बाहर कर दिया।

रोहित ने एक बार फिर से फॉर्म हासिल कर लिया जब सफेद गेंद का क्रिकेट फिर से शुरू हुआ, क्योंकि उन्होंने घरेलू द्विपक्षीय श्रृंखला में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार शतक बनाया। उन्होंने उस फॉर्म को चैंपियंस ट्रॉफी में भी जारी रखा, और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन फाइनल के लिए बचा कर रखा, जहां उन्होंने भारत के लिए सर्वाधिक रन बनाकर मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता और टीम को नौ महीने के अंतराल में दूसरी आईसीसी ट्रॉफी भी जिताई।

अप्रैल 2025 में, टेस्ट टीम के कप्तान रहते हुए, रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की और इस तरह उनके 12 साल के करियर का अंत हो गया।

वर्षों से आईपीएल

आईपीएल ने रोहित शर्मा के लिए बहुत कुछ किया है। जब वह एक युवा, प्रतिभाशाली बल्लेबाज थे, जो निरंतरता के साथ संघर्ष करते थे, तो आईपीएल ने उन्हें प्रासंगिक बने रहने का मौका दिया और उन्होंने 2008-2010 के दौरान डेक्कन चार्जर्स के साथ अपने समय के दौरान इसे दोनों हाथों से पकड़ लिया, और तीनों सीज़न में प्रत्येक में 350 से अधिक रन बनाए। फिर आईपीएल उन्हें वापस उनके घर मुंबई ले गया मुंबई इंडियंस के साथ उनके आँकड़े 2011-13 से उत्तरोत्तर बेहतर होते गए और आखिरकार 2013 में उनका सर्वश्रेष्ठ आईपीएल सीजन - जहाँ उन्होंने 538 रनों के साथ टूर्नामेंट समाप्त किया - एमआई की पहली खिताबी जीत के साथ मेल खाता था।

और अंत में, आईपीएल ने रोहित शर्मा के नेतृत्व वाली एक ऐसी टीम को सामने लाने में मदद की जिसने बहुत से लोगों को प्रभावित किया है। रोहित ने मुंबई इंडियंस को पांच आईपीएल खिताब दिलाए जो एक अद्भुत उपलब्धि है। रोहित आईपीएल में सर्वकालिक शीर्ष रन बनाने वालों में भी शामिल हैं, जो केवल विराट कोहली और शिखर धवन से पीछे हैं। 2024 में, रोहित को मुंबई इंडियंस ने कप्तान के रूप में हटा दिया और गुजरात टाइटन्स से स्थानांतरित होने के बाद वापसी करने वाले हार्दिक पांड्या को कप्तानी सौंपी।

रोहित शर्मा को आईपीएल 2025 के लिए मेगा नीलामी से पहले फ्रैंचाइज़ी ने बरकरार रखा

बात करें रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट करियर के बारे में तो वह देश के लिए 2013 से 2024 के बीच 67 टेस्ट मुकाबले खेलने में कामयाब रहे. इस बीच उनके बल्ले से 116 पारियों में 40.57 की औसत से 4301 रन निकले. रोहित के नाम टेस्ट क्रिकेट में 12 शतक और 18 अर्धशतक दर्ज है।

रोहित शर्मा का वनडे क्रिकेट में एक शानदार करियर रहा है। उन्होंने 273 वनडे मैचों में 11,168 रन बनाए हैं, जो 48.76 की औसत से है. उन्होंने दो बार दोहरे शतक बनाए हैं और 13 नवंबर 2014 को श्रीलंका के खिलाफ 264 रन बनाकर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था.

रोहित शर्मा का टी20 कैरियर 2007 में शुरू हुआ था और 2024 में समाप्त हुआ, जिसमें उन्होंने 159 टी20 मैच खेले। इस दौरान उन्होंने 4,221 रन बनाए, औसत 32.05 और स्ट्राइक रेट 140 से ऊपर रहा. उनके नाम टी20I में सबसे ज्यादा 5 शतक हैं, जो भारत के लिए सबसे अधिक है. रोहित शर्मा ने बतौर खिलाड़ी 2007 टी20 विश्व कप जीता था और 2024 में कप्तान के रूप में भी विश्व कप जीता।


रोहित शर्मा का आईपीएल कैरियर काफी सफल रहा है। उन्होंने अपनी शुरुआत डेक्कन चार्जर्स के साथ की थी, और बाद में मुंबई इंडियंस में शामिल हो गए। वह मुंबई इंडियंस के लिए एक अभिन्न अंग बन गए और उनके नेतृत्व में टीम ने पांच आईपीएल खिताब जीते। रोहित शर्मा आईपीएल इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने 262 पारियों में 6,921 रन बनाए हैं। उनके शानदार प्रदर्शन में दो शतक और 46 अर्धशतक शामिल हैं।


भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने जब शुक्रवार 16 मई को रोहित शर्मा स्टैंड का उद्घाटन किया। तो उसी समय से जब तक क्रिकेट रहेगा रोहित शर्मा का नाम हमेशा उनके स्टैंड के रुप में याद किया जाएगा। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में यह स्टैंड ये दर्शाता है की वास्तव में रोहित शर्मा ने बतौर कप्तान और बतौर खिलाड़ी के रुप में क्या पाया या प्राप्त किया है‌ जब रोहित को दो शब्द कहने के लिए आमंत्रित किया गया तो रोहित इमोशनल हो गए आंखों में आंसू लिए रोहित ने वहां उपस्थित सभी फैन्स का आभार व्यक्त किया। उस समय उनकी पत्नी रितिका सजदेह भी मौजूद थीं। यह रोहित और उनकी फैमिली के लिए यह बहुत गर्व महसूस कराने वाला पल था।

रोहित शर्मा को जितनी बधाई दी जाए वह शब्दों में कम ही होगा। वहीं क्रिकेट जगत में इतना बढ़िया और मिलनसार क्रिकेटर और कप्तान मिलना बहुत आसान ना होगा। परिवार, दोस्तों और राष्ट्रीय धर्म को गहराई से समझने वाले रोहित शर्मा हमेशा दिलों पर राज करते रहेंगे।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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May 16, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~~~~~ पहलगाम से सीजफायर तक की चाल!!

कॉल-बेल की आवाज से उत्साहित दरवाजा खोला। सामने मुस्कुराते हुए,बैठकी के लोग खड़े हैं। फिर तो जमनी थी, बैठकी जम गई।

सरजी, पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को 26 निर्दोष नागरिकों का धर्म पुछकर (हिंदुओं का) नरसंहार किया था। बदले की आग में जलते भारत ने,एयर स्ट्राइक किया और 100 से अधिक आतंकी मारे गये। हमने न सिर्फ पहलगाम का बदला लिया बल्कि इतिहास में हुए आतंकी हमलों के आरोपियों को भी मारा। आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, पाकिस्तानी सेना के ठिकाने उड़ाये और सबसे बड़ी बात पाकिस्तान के 11 एयरबेस उड़ाये। अब खबर आ रही है कि  हमारे ब्रम्होस मिसाइल ने अपना जलवा दिखाया और पाकिस्तानी न्युक्लियर अड्डों को भी नुकसान पहुंचाया है। अब दोनों देशों के बीच सीजफायर है। तो विचारणीय प्रश्न है कि भारत के परिप्रेक्ष्य में,पहलगाम की आतंकी घटना से लेकर सीजफायर तक की स्थिति क्या कहती है!!--उमाकाका बैठते हीं मुद्दा रख दिये।

आप्रेशन सिंदूर से ये स्पष्ट हो गया है कि भारत का युद्ध सिर्फ पाकिस्तान से नहीं है बल्कि पाकिस्तान के साथ साथ चीन, तुर्की, अमरीकी डीप स्टेट एवं भारत के आंतरिक शत्रुओं से एक साथ है। पाकिस्तान मात्र सहायक की भूमिका में है। शत्रुओं की योजना वही थी जो यूक्रेन ने रुस के साथ किया है। रुस के विरुद्ध अमेरिका, तुर्की, ब्रिटेन और नाटो के सदस्य इस युद्ध को पीछे से लड़ रहे हैं। ये सभी भारत को भी रुस की तरह युद्ध में उलझाकर, भारत की प्रगति एवं भारतियों के सुख शांति को नष्ट करके अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। भारत के विरुद्ध ये मंडली पहले बंगलादेश से भारत को भिड़ाने की चाल चली थी लेकिन मोदी सरकार के सूझ-बूझ ने इसे असफल कर दिया तो पुनः पाकिस्तान से उलझाकर रुस की स्थिति में भारत को लाने की गोटी फीट की गई। महाभारत युद्ध में इतिहास भले हीं पाण्डवों को विजयी मानता हो लेकिन पाण्डवों ने अभिमन्यु सहित सभी पुत्रों को गंवाकर विजय प्राप्त की जिसका औचित्य हीं नहीं रहा। इस तीन दिनों के युद्ध में मोदी शासन में भारतीय सैन्य तंत्र ने जो कारनामें किये हैं उसे सदियों तक याद रखा जायेगा। हमारे सतर्क सैन्य कौशल ने मात्र तीन दिनों में शत्रु को छकाकर उनके मनसूबों को तहस-नहस कर दिया। इनके युद्ध कौशल ने हमें रुस-यूक्रेन की नियति में जाने से बचा लिया। हम इजरायल की हालत में जाने से भी बच गये। जो आज भी हमास से युद्ध में उलझा हुआ है। दुसरी ओर सारा विश्व,हमारी रक्षा प्रणाली एवं सरकार की डिप्लोमेसी से स्तब्ध है।जिस मानसिकता से पाकिस्तान अस्तित्व में आया वो भारत के भीतर भी तेजी से फल-फूल रहा है। ये आंतरिक, अलग लड़ाई है जिससे निपटना और भी कठीन एवं जटिल है। ऐसी मानसिकता के साथ सह-अस्तित्व संभव हीं नहीं। आज भारत जिन मायावी शत्रुओं से घीरा है वैसी स्थिति में हम,पारम्परिक युद्ध के तौर-तरीकों से नहीं जीत सकते। भारत को रहना है तो पाकिस्तान को तो एक दिन मरना हीं होगा। पाकिस्तान को उस मुकाम तक ले जाना होगा जहां खुद छटपटाते हुए दम तोड़ दे।लेकिन हम अपनी क्षति की कीमत पर नहीं चाहेंगे।  इस तीन दिनों के युद्ध ने पाकिस्तान को ऐसे जख्म दे दिया है जो भविष्य में उसके अस्तित्व को हीं समाप्त कर देगा और यही उसके सहयोगियों की असली हार होगी।--मैं चुप हुआ।
इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में........

बाप रे!! भारत आ सनातनी के खिलाफ,अतना खतरनाक षड्यंत्र!! भगवान के लाख-लाख धन्यवाद बा जे "मोदी" निहन छतरी देश के मिल गईल बा।--मुखियाजी हाथ जोड़कर भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए।

मुखियाजी, अभी थोड़ा ठहरिये!मोदी के डंडे की आवाज, पाकिस्तान को अब तड़पायेगी। मुस्लिम परस्त नेहरू ने जानबूझकर पाकिस्तान के साथ "सिंधु नदी जल समझौता" करके भारत के गले में फंसती डाल दी थी। मोदीजी ने भारत को इस समझौते से मुक्त करके, बगैर मिसाइल दागे हीं उठाकर पटक दिया है। देश के विभाजन के साथ हीं पाकिस्तान का भारत के साथ किये गये करनी का फल, उसे पानी के लिए तड़पाकर दिया जायेगा।--मास्टर साहब मुंह बनाये।

मुखियाजी, पहलगाम कांड के बाद मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तानियों का वीजा रद्द करने और फौरन भारत छोड़ने के हुक्म के साथ हीं एक बड़े षड्यंत्र का भी खुलासा हो गया।--सुरेंद्र भाई बोले पड़े।

उ का एक मास्टर साहब!!--मुखियाजी पुछे।

हम मुस्लिम घुसपैठियों में बंग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ हीं जानते थे लेकिन दशकों से भारत में 5 लाख से भी अधिक मुस्लिम महिलाएं हैं जो औसतन अपने 6 बच्चों के साथ भारत में रहतीं हैं और निकाह अर्थात विवाह पाकिस्तानियों से की हैं। उनके बच्चे भी माता पिता बन चूकें हैं।इन सबकी जनसंख्या एक करोड़ से भी अधिक हो चूकी है।ये पाकिस्तानी पुरुषों से विवाहित स्त्रियां, अपनी नागरिकता भारत की हीं रखीं हैं और ये सभी मुस्लिम महिलाएं और बच्चे अवैध रूप से भारत में रहते हुए भारत में हिंदुओं के टैक्स के हजारों करोड़ की नागरिक सुलभ सुविधाओं का उपभोग भी करते रहे हैं।--सुरेंद्र भाई स्पष्ट किये।

एकरा मतलब इ भईल कि हमारे पइसा प, हमरे खा के, करोड़ से उपर जिहादी हमरे देश में बाड़े। हे भगवान! इ कांग्रेस तो "गजवा ए हिंद" के पुरा व्यवस्था बांध देले बिया।--मुखियाजी दुखी लगे।

सरजी, आपने जो आंतरिक मोर्चे की बात की है वो बिल्कुल साफ हो गया। अब समझ में आया कि क्यों पहलगाम की घटना के बाद क्यों देश के सारे मुस्लिम मौलाना, मौलवी, यहां तक की ओबैसी जैसा मुस्लिम परस्त नेता हीं नहीं  सारे इंडी गठबंधन वाले मोदीजी को पाकिस्तान से बदला लेने के लिए ललकारते नजर आये और जब  सीजफायर हुआ तो सीजफायर पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करने लगे। अर्थात चीन और अन्य की तरह विपक्षी भी चाहते हैं कि भारत युद्ध में उलझकर अपनी अर्थव्यवस्था चौपट कर ले। आज भारतीय डिप्लोमेसी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सैन्य शक्ति का जो माहौल बना है उससे कुछ खास विषेश पीड़ित हैं। एक तो स्वयं पाकिस्तान और दुसरा विपक्षी पार्टियां खासतौर पर कांग्रेस। मोदी की दूरदर्शिता ने एक साथ पाकिस्तान, चीन, अमरीकी डीप स्टेट और आंतरिक मोर्चे को निराश कर दिया है।--डा.पिंटु मुस्कुराये।

मुखियाजी, मुस्लिम देशों पर विश्वास करना गुनाह है।यही तुर्की है जहां जब भयानक भूकंप आया था तो भारत,तुर्की को उस त्रासदी से उबरने में भारत सबसे बड़ा सहायक बना था लेकिन जब भारत अपने मरे लोगों को न्याय देना चाहा तो तुर्की हत्यारों के साथ खड़ा हो गया और उसे सिर्फ "खलिफा" का सपना याद रहा जो पुरे विश्व के इस्लामीकरण की सोंच रखता है। पाकिस्तान को हमारे विरुद्ध आधुनिक शक्तिशाली ड्रोन, हथियार मुहैया कराया। इससे तो उसकी नियत साफ झलकती है।--मास्टर साहब मुंह बनाये।

मास्टर साहब, पाकिस्तान के नूरखान एयरबेस पर जो सैनिकों का गढ़ होने के साथ साथ पाकिस्तान का न्यूक्लियर स्टोरेज भी है,पर भारत के मिसाइल अटैक का खतरा देखते हीं अमरीका बिलबिला उठा और "मान न मान, मैं तेरा मेहमान" की तर्ज पर सीजफायर करवाने के लिए कूद पड़ा। इससे तो साफ हो गया है कि पाकिस्तान स्वयं में परमाणु शक्ति नहीं अपितु अमरीका द्वारा स्थापित परमाणु ठिकाने हैं वहां। पाकिस्तान में अमरीकी परमाणु ठिकाने बने रहे इसी के मद्देनजर अमरीका अतीत से आजतक पाकिस्तान को आर्थिक मदद देता आया है। पाकिस्तान आतंकवाद की जन्मस्थली है और भारत के विरोध के बावजूद आईएमएफ द्वारा हाल में पाकिस्तान को बीसवीं बार एक अरब डॉलर से अधिक का कर्ज देना क्या कहता है!!--उमाकाका हाथ चमकाये।

ठीक बोले काकाजी, इस तीन चार दिनों के युद्ध ने भारत और सनातनियों के बाहरी और अंदरूनी दुश्मनों की पहचान और कली तो खोल कर रख दी हीं है, साथ साथ यह भी सिद्ध कर दिया कि आज का भारत किसी ऐरु-गैरु के हाथों नहीं है। आज का भारत बदला हुआ भारत है जो हर मोर्चे पर विश्व में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रहा है। ये मोदी है तो, ना मुमकिन नहीं। मोदी है तो मुमकिन है। अच्छा अब चला जाय।कहकर कुंवरजी उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी.......!!!!!

आलेख - लेखक


प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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