Blogs

July 29, 2025
Ahaan News

सावन स्पेशल ‘करेलु सोमरी बचपन से’ रिलीज़ होते ही हुआ वायरल, शिल्पी राज और अनिकेत अनुपम की जोड़ी ने मचाया धमाल

लिंक : https://youtu.be/miCuxbmSkUk?si=4UufEHPjrBlPbgD6

सावन के पावन महीने में काँवरिया भक्तों के लिए एक नया भक्ति गीत ‘करेलु सोमरी बचपन से’ लॉन्च होते ही सोशल मीडिया पर धमाल मचा रहा है। यह कांवर गीत प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका शिल्पी राज और युवा गायक अनिकेत अनुपम की आवाज़ में है, जिसे दर्शकों और भक्ति संगीत प्रेमियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। गाना टी सीरीज हमार भोजपुरी के ऑफिशियल चैनल से रिलीज हुआ है और खूब वायरल हो रहा है।

अनिकेत अनुपम ने इस मौके पर कहा, "हमारा ये गाना उन सभी भोले भक्तों को समर्पित है, जो सावन में कांवड़ यात्रा करते हैं। हमने इस गीत में भावनात्मक जुड़ाव के साथ-साथ ऊर्जा और रंगत भरने की पूरी कोशिश की है। शिल्पी राज के साथ काम करना हमेशा प्रेरणादायक रहा है और इस बार की केमिस्ट्री श्रोताओं को भी खूब पसंद आ रही है।"

गाने के तकनीकी पक्ष पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। डीओपी संतोष यादव और नवीन वर्मा ने शानदार सिनेमैटोग्राफी पेश की है, जबकि सरोज सोनकर और विवेक यादव के कैमरा वर्क ने वीडियो को भव्य रूप दिया है। श्रवण कुमार की एडिटिंग और रोहित की DI ने गाने को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया है।

"करेलु सोमरी बचपन से" गीत सावन के भक्तों के लिए एक संगीतमय सौगात बन गया है और यह स्पष्ट है कि यह गीत पूरे महीने कांवरियों की जुबां पर छाया रहेगा। प्रोडक्शन का जिम्मा राजवीर सिंह ने संभाला है, जबकि मेकअप और हेयर स्टाइलिंग सागर गुप्ता और प्रिया ने किया है।

गीत को संगीतबद्ध किया है आशोक राव ने, जबकि इसके भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण बोल धर्मेंद्र यादव द्वारा लिखे गए हैं। वीडियो में अनिकेत अनुपम और सोना सिंह की जोड़ी नजर आ रही है, जिन्होंने अपने अभिनय और भावभंगिमा से गीत को जीवंत बना दिया है। इसका निर्देशन और कोरियोग्राफी अनुज मौर्य ने किया है, जिनका विजुअल ट्रीटमेंट और नृत्य निर्देशन दर्शकों को खासा पसंद आ रहा है।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 29, 2025
Ahaan News

भूमिहार ब्राह्मण समाज अपने पूर्वजों के सम्मान और वर्तमान में स्वाभिमान के लिए सदन से सड़कों तक आंदोलन की ओर

जरूर चले ब्रह्मर्षि के सम्मान में, परिवार के पूर्वजों और वर्तमान के साथ भविष्य को मजबूती प्रदान करने पहुंचे 17 अगस्त को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में

**पटना चले ।। पटना चले।।** के नारों से आज पुरा हिन्दुस्तान गुंज उठा हैं कि जैसे ही डाॅ. संजीव कुमार का संवादाताओं के साथ वार्ता हुई। उसी वार्ता में यह स्पष्ट हुआ कि 17 अगस्त 2025 को ब्राह्मण परिवार अपने स्वाभिमान के लिए एकजुट होने का निर्णय किया है। यह संदेश हर ब्रह्मर्षी परिवार तक पहुंचने चाहिए। इसी लक्ष्य को लेकर डाॅ. संजीव कुमार, विधायक, परबत्ता, खगड़िया ने लगातार बिहार विधानसभा में अपनी आवाज़ बुलंद करते रहें हैं। हर भूमिहार ब्राह्मण परिवार को लेकर एक मजबूत समाजिक एकजुटता पर जोड़ देते हुए, बिहार विधानसभा में श्री बाबू यानी श्रीकृष्ण कुमार सिंह, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री के योगदानों को निरंतर रखते रहें। वहीं बिहार सरकार और विधानसभा के माध्यम से श्री बाबू को "भारत रत्न" से सम्मानित करने के लिए संघर्षरत रहे हैं। जिसे लेकर जब सदनों के कानों में जूं तक नहीं रेंगा तो अब एक लक्ष्य बनाकर जन-जन तक पहुंचाने में लगे हैं। 

डॉ. संजीव कुमार बिहार विधानसभा के सदस्य के हैसियत से पहले ऐसे नेता और जनप्रतिनिधि हुए हैं जिन्होंने सवर्ण समाज के हितों को लेकर लगातार विधानसभा में आवाज उठाई। वहीं कई मुद्दे को सदन में उठाया गया है, लेकिन सरकार के तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसलिए कहा गया है कि कलियुग में संघ में ही शक्ति निहित है। इसलिए एकजुटता के साथ ही अपने हक की समूचित लड़ाई हम लड़ सकेंगे। इसलिए डॉ. संजीव कुमार अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समाज यानी ब्राह्मण परिवार से आग्रह किया कि अब एकबार जुटकर हम अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। जिसके कारण अब ब्राह्मण परिवार पूर्णतया: साथ देने को तैयार हैं और हर स्तर पर जो भी लोग सक्रिय समाजिक दायित्वों को समझते हैं। उनके द्वारा सभी सोशल मीडिया और मिल-जुलकर भी बैठकों के माध्यम से लोगों को 17 अगस्त 2025 को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अनुरोध कर रहे हैं।

डॉ. संजीव कुमार कहते हैं कि आगामी 17 अगस्त 2025 को पटना के *श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल* में "ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन" का आह्वान किया है। यह सम्मेलन सामाजिक हितों से जुड़े मुद्दों को बुलंद करने के लिए बुलाया गया है। जिसमें सबसे अहम् मुद्दों को लेकर सभी समाज की उत्सुकता जगाने में लगे हैं। भूमिहार ब्राह्मण समाज के अहम् मुद्दों एवं इस समाज के महान विभूतियों के सम्मान से ही आज और आने वाले समय में हमारे पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी। आगे डाॅ. संजीव कुमार कहते हैं कि इस कार्यक्रम को लेकर हम अपने सभी समाज के लोगों से भी मिलेंगे और हर एक समाज के लोगों के सुझावों पर सामुहिक निर्णय लेकर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि हम अपने परिवार की मजबूती के लिए निम्न बातों पर प्रथम चरण में चर्चा में रख रहें हैं जो इस प्रकार से है:-

1. EWS में उम्र सीमा में छूट।

2. श्री बाबू को भारत रत्न दिलाने की मांग।

3. किसानों के नेता स्व ०स्वामी सहजानंद सरस्वती जी के नाम पे बिहटा एयरपोर्ट हो।

4. भूमिहार जाति ब्राह्मण शब्द को सरकार के द्वारा क्यों हटाया गया,अपने जमीन के पुराने पेपर खतियान में हमारी जाती भूमिहार - ब्राह्मण लिखा जाता था।

5. सवर्ण आयोग संवैधानिक दर्जा मिले विधानसभा और लोकसभा में पारित हो जिस तरह से NCBC (National Commission for Backward Class) बना हुआ उसी तर्ज पर।

उपरोक्त सभी बातें भूमिहार ब्राह्मण समाज के लिए अतिमहत्वपूर्ण है इसलिए आइये मिलते है,17 अगस्त 2025 को यह कहते हुए जनजागृति की ओर बढ़ने को तैयार हैं डॉ. संजीव कुमार।

**पटना चले ।। पटना चले।।****पटना चले ।। पटना चले।।****पटना चले ।। पटना चले।।****पटना चले ।। पटना चले।।**

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

विश्व जनसंख्या दिवस की अवसर पर एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में सब डर्मल इंप्लांट का शुभारंभ

डॉक्टर प्रतिमा ने इंप्लांट के बारे में सभी से प्रचार प्रसार करने अनुरोध किया

मुजफ्फरपुर - विश्व जनसंख्या दिवस, पखवाड़ा के अवसर शनिवार को एसकेएमसीएच में सबडर्मल कंट्रासेप्टिव इंप्लांट की सुविधा का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ एसकेएमसीएच के प्रिंसिपल डॉक्टर आभा रानी एवं प्रस्तुति विभाग के एचओडी डॉक्टर प्रतिमा के द्वारा किया गया। साथ ही पीएसआई इंडिया के मैनेजर का सहयोग रहा। मेटरनिटी वार्ड पर आए हुए सभी लाभार्थियों को इंप्लांट के बारे में काउंसलिंग करके उनका रजिस्ट्रेशन किया गया और उनका जांच करके इंप्लांट सर्विसेज की सुविधा दिया गया। कुल चार महिलाओं को इंप्लांट की सुविधा आज दिया गया।


डॉक्टर प्रतिमा के द्वारा बताया गया यह अभी तक की सबसे नई और सफल परिवार नियोजन की अस्थाई विधि है जो महिलाओं में प्रयोग किया जाता है। यह विधि दो बच्चों के बीच में अंतराल रखने एवं अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह इंप्लांट तीन साल के लिए कारगर होता है और लाभार्थी बीच में जब चाहे इसे निकलवाकर गर्भ धारण कर सकता है।
डॉक्टर  प्रतिमा ने इंप्लांट के बारे में सभी से प्रचार प्रसार करने अनुरोध किया। यह इंप्लांट अभी मुजफ्फरपुर जिला के सदर हॉस्पिटल एवं एस. के. एम. सी. एच. में उपलब्ध है।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

राजगीर कन्वेंशन सेंटर में 21-25 दिसंबर को होगा 'नालंदा साहित्य महोत्सव - 2025' का आयोजन

नालंदा में होने वाले इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण के महासंगम में 50,000 से अधिक लोगों आने की है उम्मीद

बिहार की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से "धनु बिहार" न्यास द्वारा आयोजित "नालंदा साहित्य महोत्सव - 2025" का आयोजन 21 से 25 दिसंबर तक राजगीर कन्वेंशन सेंटर, नालंदा में किया जाएगा। इस भव्य आयोजन का थीम "बिहार: एक विरासत" है, जो भारत की भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विविधताओं को उत्सव का रूप देगा। आयोजन में पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक छवियों को विशेष रूप से उकेरा जाएगा।

इसकी जानकारी आज बीआईए, पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह और महोत्सव निदेशक श्री गंगा कुमार ने दी। महोत्सव की संरक्षक मंडली में शामिल डॉ. सोनल मानसिंह ने इसे "सांस्कृतिक पुनर्जागरण का महा पर्व" करार देते हुए कहा कि यह आयोजन भारत के भाषाई, साहित्यिक और कलात्मक वैभव का उत्सव होगा। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव न केवल अतीत की सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर करेगा, बल्कि भारतीय भाषाओं और कलाओं के लिए भविष्य का मार्ग भी तैयार करेगा।” आयोजन में सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर का "अतुल्य भारत" पर लाइव कॉन्सर्ट और डॉ. मानसिंह का विशेष प्रदर्शन भी आकर्षण का केंद्र होगा।

महोत्सव निदेशक श्री गंगा कुमार ने बताया कि इस आयोजन में 5000 से अधिक प्रतिभागियों के हिस्सा लेने की संभावना है, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी/गैर-सरकारी संगठनों, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश, सांसद शशि थरूर, गीतकार इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, अदूर गोपालकृष्णन, चंद्रप्रकाश द्विवेदी समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति की उम्मीद है।


इस दौरान महोत्सव की अध्यक्ष सुश्री डी. आलिया ने जानकारी दी कि यह आयोजन शाइनिंग मुस्कान फाउंडेशन के सहयोग से हो रहा है और इसमें 30 से अधिक पैनल चर्चाएं, कला प्रदर्शनी, फोटो गैलरी, संस्कृतिक कार्यक्रम, और विशेष सत्र शामिल होंगे। बोली लेखकों, कला प्रेमियों, साहित्यकारों और विद्यार्थियों के लिए यह महोत्सव एक अद्वितीय मंच होगा। महोत्सव में 1 लाख से अधिक लोगों तक प्रचार अभियान चलाया जाएगा, जबकि 50,000 से अधिक आगंतुकों की उपस्थिति की संभावना जताई गई है।

प्रेस वार्ता के दौरान कार्यकारी समिति के सदस्य और प्रख्यात लेखक श्री विनोद अनुपम ने कहा कि "बिहार की साहित्यिक चेतना को जागृत करने के लिए आज की प्रेस वार्ता केवल एक शुरुआत है। हम अगले तीन संवाद दिल्ली, मुंबई और नालंदा में आयोजित करेंगे, ताकि इस आयोजन की आवाज़ पूरे देश तक पहुँचे।"

महोत्सव के क्यूरेटर श्री पंकज दुबे, पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ श्री अमित पांडे, समन्वयक एफ. अज़्ज़म और आयोजन समिति के कई अन्य सदस्यों की मौजूदगी में यह घोषणा हुई। सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को बिहार की सांस्कृतिक चेतना का भव्य उत्सव बनाने का आह्वान किया। "नालंदा साहित्य महोत्सव - 2025" निश्चित रूप से भारत के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ने जा रहा है।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

47 साल बाद पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय सोनपुर को पूर्णतया किया गया सील

23 जुलाई 2025 को स्थानीय प्रशासन के सहयोग से निचली अदालत के दिए गए निर्णय को लागू कराने के लिए रेलवे प्रशासन ने किया था अनुरोध

47 साल पहले स्मृति शेष पूर्व मुख्यमंत्री राम सुन्दर दास और तत्कालीन रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया के सहयोग से पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर की स्थापना किया था। जिसमें तत्कालीन रेलवे मंत्री मधु दंडवते के द्वारा पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर शिलान्यास किया गया था। पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर के स्थापना को लेकर सबसे बड़ी भूमिका रही हैं तो वह हैं तत्कालीन रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया की। रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को लेकर अलख जगाने के लिए बहुत गंभीर थे और इसी उद्देश्य से अपने शिक्षा प्रेम को साबित किया।

वहीं दूसरी ओर तत्कालीन रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया की सोच़ यह थी कि इसके साथ-साथ रेलवे में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को भी उच्च शिक्षा के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और अपने ही रेलवे के कैंपस में ही पढ़ाई-लिखाई पूरी हो जाएगी। लेकिन स्थापना के 47वें साल में महाविद्यालय में 23 जुलाई 2025 को रेलवे प्रशासन ने ही पूर्ण रूपेण ताला बंदी हो गया है। पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर अपने स्थापना काल से 46 साल का सफ़र बहुत सारे झंझावात को झेलते हुए सफलता पूर्वक संचालित होती रही हैं। वहीं 47वें वर्ष में आते - आते ही महाविद्यालय विधायक तथा कार्यपालिका के बिछाए मकड़जाल में फंस गया और अब दुबारा इस जगह पर पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय सोनपुर नहीं दिखाई देगा। 

एक प्रोफेसर साहब से मिली जानकारी के अनुसार कि पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर के साथ जो खेला हुआ उसके लिए परिणामस्वरूप यह कह सकते हैं कि - "प्रसाद के लिए मंदिर को तोड़ने का फैसला कर लिया गया और महाविद्यालय में पूर्ण तालाबंदी सफल हो गया।"

आगे प्रोफेसर साहब बताते हैं कि महाविद्यालय को बहुत सारा नुकसान हुआ है उसके और भी कारण हैं। आपको बता दें कि महामहिम सह कुलाधिपति महोदय के आदेश, माननीय उच्च न्यायालय पटना के निर्णय तथा विश्वविद्यालय के दिशानिर्देशों के अनुसार संबद्ध महाविद्यालय में वरीय शिक्षक ही प्रभारी प्राचार्य होते हैं। इसी नीति के तहत डॉ. प्रकाश चंद गुप्ता जी को पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय का अंतिम प्राचार्य बना दिया गया। जिसके पीछे व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण कनीयतम शिक्षक को प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया।

वहीं आपको जानकारी दें कि तत्कालीन तदर्थ समिति के कुल सात सदस्य थे लेकिन मात्र तीन सदस्य की सहमति से ही इसे लागू कर दिया गया। विश्वविद्यालय ने ऐसे निर्णय से असहमति जताई तथा उक्त समिति के स्थान पर पांच सदस्यों वाली एक तदर्थ समिति का गठन कर दिया। महत्वपूर्ण यह हो गया कि जब प्रसाद की इच्छा एक बार जागृत हो जाने के बाद उसे भूलना काफी कठिन है। ऐसे में नई समिति ने भी इस महाविद्यालय को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और अंततः महाविद्यालय को पूर्ण रूप से सील कर दिया गया है। जबकि निचले अदालत के विरुद्ध महाविद्यालय उच्च न्यायालय, पटना में अपनी अर्जी लगा रखा है। 

समितियों और प्रशासनिक तांडव में छात्रों का जीवन के साथ खिलवाड़ कर दिया गया है। वहीं यक्ष प्रश्न यह हैं कि छात्रों की शिक्षा और छात्रों के हुए नामांकितों के साथ अब क्या होगा?

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Uncategorized

हमे पद और पैसा नही" अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के स्मृति शेष राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा कायस्थों की एकता और अखंडता को कायम करने की क्षमता चाहिए : राजीव रंजन

कायस्थ कोई जाति नही , यह तो भारतीय सभ्यता और संस्कृति का वह नाम है जो समाज और राष्ट्र के सर्वांगीण विकासमें अपना अहम योगदान देता है

आज अखिल भारतीय कायस्थ महा-सभा के बिहार प्रदेश कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की बैठक प्रदेश अध्यक्ष श्री राजीव रंजन सिन्हा की अध्यक्षता में ठाकुर प्रसाद कम्युनिटी हाॅल में शामिल 5 बजे प्रारम्भ हुआ। जिसका संचालन प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार रतन ने किया। सभा में मुख्य रुप से 17 अगस्त के कार्य समिति की तैयारी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के सम्मान समारोह की रुप रेखाऔर उपस्थिति पर विचार हुआ। प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन ने अपने उद्बोधन में कहा कि"हमे पद और पैसा नहीं " अखिल भारतीय कायस्थ महासभाके स्मृतिशेष राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा कायस्थों की एकता और अखंडता को कायम करने की क्षमता चाहिए। आगे उन्होने दिनांक 17 अगस्त के कार्य क्रम का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए कार्यों और विभागों का बटवारा किया ।


वरिष्ठ उपाध्यक्ष रबीन्द्र कुमार रतन ने अपने वक्तव्य  में कहा कि "कायस्थ कोई जाति नही , यह तो भारतीय सभ्यता और संस्कृति का वह नाम है जो समाज और राष्ट्र  के सर्वांगीण विकास में अपना अहम योगदान देता है। उन्होने आगे कहा कि 17 अगस्त के कार्यक्रम की सफलता में वे अपने अध्यक्ष राजीव  रंजन जी के कदम से कदम मिलाकर कर के तन मन धन के साथ तैयार  रहेंगे। उन्होने यह भी बताया कि अस्वस्थता के कारण  महामंत्री बहन माया श्रीवास्तव  जी आज उपस्थित नहीं हो सकी हैं। सभा में वरिष्ठ सदस्य  श्री दिनेश प्रसाद सिन्हा, कृष्ण बिहारी श्री0 रुद्र देव प्रसाद, असीम कुमार सिंहा, शालिनी सिन्हा , दीप शिखा,मुकेश सिंहा, किसान कालोनी, सुनील कुमार श्रीवास्तव, अमर नाथ  श्री0 सुनील कुमार वर्मा, दीपक कुमार सिन्हा (पूर्व मुखिया,बाकरपुर), जीतेन्द्र कुमार वर्मा, हाजीपुर, अक्षत प्रदेश, विनय
कुमार श्रीवास्तव, अमृत सिन्हा, अभिषेक श्रीवास्तव, प्रिय रंजन सिन्हा, आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे और समारोह की सफलता में अपना योगदान देने का वचन  दिया।


सर्व सम्मति से तय हुआ कि अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  परम आदरणीय श्री अनुप श्रीवास्तव  जी के मिलन सह सम्मान समारोह की सफलता के लिए  कार्यो का बटवारा कर निम्न समितियों में बांटा जाए :-
1  संयोजन  समिति  के संयोजक राजीव रंजन, सहायक रवीन्द्र कुमार रतन सहित पांच  अन्य  

2  मीडिया समिति  

3 कोष व लेखा समिति

4  तैयारी समिति  

5  युवा समन्वय समिति 

6  स्वागत समिति  

7 मंच व्यवस्था समिति  

8  भोजन एवं जल व्यवस्था समिति 

9  यातायात समिति

10  प्रचार-प्रसार समिति

11 व्यवस्था समिति 

12  पूजा सम्पर्क समिति आदि। 

इस तरह से सबका साथ, सबका सहयोग के तहत सबको सामुहिक  जिम्मेवारीका एहसास  कराकर समारोह  को सफल बनाने को अपना-अपना योगदान देनाहै।
अंत में श्री दिनेश प्रसाद सिंहा जीने धन्यावाद ज्ञापन के साथ सभा की कार्रवाई  समाप्त  की घोषणा की गई।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

स्वास्थ्य मंत्री ने डीपीएम डॉ कुमार मनोज को दिया प्रशस्ति पत्र

- बदलते बिहार और स्वस्थ बिहार का बताया सहभागी

वैशाली - इस माह गांधी मैदान में आयोजित स्वास्थ्य मेले में सफल सहयोगी बनने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। प्रशस्ति पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर कुमार मनोज को बदलते बिहार और स्वस्थ बिहार का सहभागी बताया है। इस सम्मान पर डॉक्टर कुमार मनोज ने कहा कि मैंने सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है।

इस सफलता के पीछे जिला स्वास्थ्य समिति वैशाली की मेहनत है। एक स्वास्थ्य कर्मी होने के नाते हमारा उद्देश्य  हमेशा यही रहे की जनमानस में स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत रखें। बिना किसी रूकावट के उन तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाएं, स्वास्थ्य कार्यक्रमों का लाभ उनके लाभार्थियों तक पहुंचे। मैं और जिला स्वास्थ्य समिति वैशाली की पूरी टीम इस प्रशस्ति पत्र पर उत्साहित है। आशा करता हूं कि वह भविष्य में एक नई ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया आयाम गढ़ेंगे।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

महनार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 50 फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किट का ​हुआ वितरण

-फाइलेरिया रोगियों को विकलांगता प्रमाण पत्र के बारे में दी गयी जानकारी

वैशाली - जिले के महनार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्मुखीकरण के दौरान 50 फाइलेरिया रोगियों को विकलांगता प्रबंधन और रोकथाम (एमएमडीपी) किट वितरण के साथ विकलांगता प्रमाण के बारे में जानकारी दिया गया। इस अवसर पर फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किटों के उपयोग और हाथीपांव रोगियों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं के लिए जरूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अलका ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य फाइलेरिया रोगियों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करना और उन्हें अपने जीवन की गुणवता में सुधार लाने में मदद करना है।


कार्यक्रम के दौरान, एक 12 वर्षीय लड़की को भी फाइलेरिया रोग की पहचान की गयी। इस दौरान ​उसे स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ एमएमडीपी किट के उपयोग की सलाह दी गयी। पैर के सूजन को कम करने के लिए विशेष प्रकार के व्यायाम भी बताए गए। कार्यक्रम में एमओआईसी डॉ अलका, डीपीएल पिरामल पीयूष, वीडीसीओ राजीव और अमित ,वीबीडीएस ऋषि और कृष्णदेव, बीसीएम पुष्पलता उपस्थित थीं।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) - 02

क्या मेघवाल के व्यक्तव्य को मोदी सरकार का ओरीजनल चेहरा माना जा सकता है ? भूल ही होगी संविधान सुरक्षित है पर भरोसा करना !

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे नम्बर के नेता (नेता इसलिए कि संघ अब खुलकर राजनीति करने लगा है!) दत्तात्रेय होसबोले ने इमर्जेंसी के अर्धशतकीय वर्षगांठ के दौरान पूरे होशोहवास में बोला था कि 1976 में श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में संविधान संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गये दो शब्द "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" शब्द को हटाने पर व्यापक रूप से विचार विमर्श करते हुए समीक्षा किया जाना चाहिए। संघ द्वारा विचार विमर्श करने का सुझाव बीजेपी के लिए किसी हुक्म से कम नहीं होता ! इसी के तहत बीजेपी के मंत्रियों - संतत्रियों ने जिस संविधान की शपथ लेकर सत्ता सुख भोगते चले आ रहे हैं उसी संविधान की आत्मा को कुचलने का व्यक्तव्य अखबारों की सुर्खियां बनने लगा। बकौल केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (ये वही हैं जिन्होंने संविधान की शपथ लेकर दो दशक तक मध्यप्रदेश की कमान संभालते हुए सत्ता सुख भोगा है तथा 2014 में भाजपा के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी ने शिवराज सिंह चौहान को नरेन्द्र मोदी की तुलना में ज्यादा सक्षम प्रधानमंत्री कैंडीडेट घोषित करने की वकालत की थी और शायद उसी का खामियाजा आडवाणी को राजनीतिक बनवास के रूप में भोगना पड़ रहा है, कुर्सी लोलुपता में कभी संघ निष्ठ रहे शिवराज आज मोदी निष्ठ बनकर रह गये हैं !) भारत में समाजवाद की कोई जरूरत नहीं, धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं (द न्यू इंडियन एक्सप्रेस)। द इंडियन एक्सप्रेस - प्रस्तावना में समाजवाद, धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ना सनातन की भावना का अपमान (उपराष्ट्रपति धनखड़ - जिन्हें हाल ही में आजाद भारत के इतिहास में ऐतिहासिक बेइज्जती के साथ जबरिया इस्तीफा लेकर घर पर नजरबंद कर दिया गया है !) asianet news - संविधान पर फिर से गहराते दिखे सवाल ? प्रस्तावना के शब्दों पर गरमाई बहस में केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने रखी राय - पुनर्विचार का किया समर्थन। abp न्यूज - भारत के विचार के खिलाफ है धर्मनिरपेक्षता (मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा - कांग्रेस से उधार लिया गया सिंदूर !)

संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" शब्द को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी गई जिस पर निर्णय देते हुए अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि समाजवाद शब्द कल्याणकारी राज्य को इंगित करता है तथा धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की आत्मा में निहित है। इसी बात को लेकर राज्यसभा में भी सवाल पूछा गया जिस पर जबाब देते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में कहा कि संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए शब्द "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" को हटाने के लिए फिलहाल सरकार का कोई इरादा नहीं है। जिसे अखबारों ने अपने-अपने तरीके से हेडलाइन बनाकर छापा है। सत्य ने लिखा - मोदी सरकार पीछे हटी : संसद को बताया संविधान से सेकुलर और सोशलिस्ट शब्द नहीं हटेंगे - कानून मंत्री मेघवाल। नव भारत टाइम्स ने हेडलाइन बनाई है - संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटेंगे ? सरकार ने संसद में क्या बताया ? आजतक ने हेडलाइन छापी - संघ से सरकार का अलग स्टैंड - समाजवाद - सेकुलर शब्द प्रस्तावना से हटाने पर क्या बोले कानून मंत्री ? संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने पर संघ और सरकार का नजरिया अलग - अलग। कानून मंत्री ने अपने जबाब में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र भी किया है।


मगर सरकार के नजरिए पर सहजता से विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से इतर जाकर संंसद में अपने मनमाफिक कानून बना चुकी है। जिसे सरकार की करनी और कथनी के अंतर यानी दोगले चरित्र के रूप में देखा जाता रहा है। कानून मंत्री मेघवाल के जबाब ने एक नये सवाल को खड़ा कर एक नई बहस छेड़ दी है कि जब सरकार "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" शब्द को यथावत रख रही है तो फिर "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" को हटाने की वकालत करने वाले संविधान की शपथ खाकर मंत्री बने लोगों को मंत्रीमंडल में क्यों रखा जा रहा है ? क्या पीएम मोदी संविधान के सम्मान, कानून मंत्री के जवाब और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर शिवराज सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह को मंत्री परिषद से बाहर का रास्ता दिखाने का साहस करेंगे ? क्या मोदी-शाह की जोड़ी हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटायेगी ?

मोदी सरकार ने अपने 11 बरस में जिस तरह से अपने दोगलेपने का इजहार किया है उससे देशवासियों के मन में उसके प्रति अविश्वास पैदा हो चुका है। 2014 के कार्यकाल में गृहमंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35ए को नहीं हटाया जाएगा। लेकिन 2019 के कार्यकाल में अपने ही हलफनामे के विपरीत जाकर सरकार ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35ए को न केवल हटाया गया बल्कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त कर केन्द्र शासित प्रदेश बनाते हुए तीन टुकड़ों में बांट दिया गया। एक तरफ मोदी सरकार गांधी की 150वीं जयंती मनाती है और दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी बीजेपी का सांसद गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को रोड़ माॅडल मानता - बताता है। एक तरफ बीजेपी की सरकार मुसलमानों की मस्जिदों से ध्वनि प्रदूषण के नाम पर लाउडस्पीकर उतारती है और दूसरी तरफ कांवड़ यात्रा के दौरान पूरे रास्ते फुल साउंड डीजे बजाने वालों के ऊपर पुष्प वर्षा करती है। व्यक्तिगत आस्था को इवेंट बनाया जाता है। एक ओर सरसंघचालक मोहन भागवत हर मंदिर में मस्जिद नहीं ढूढ़ने की बात कहते हैं वहीं दूसरी ओर हर मस्जिद में खोदा-खादी की जाती है मंदिर ढूंढने के लिए। वोट के लिए मुसलमान बीजेपी की सबसे बड़ी जरूरत भी है, वोट के लिए मोदी सहित तमाम नेताओं द्वारा गोल टोपी भी पहन ली जाती है और उसके बाद सबसे ज्यादा घृणा का पात्र भी मुसलमान ही है। संघ प्रमुख कहते हैं भारतीय मुसलमान और हमारा DNA एक जैसा है लेकिन बीजेपी उसे विजातीय मानती है। दूसरे दल का भृष्टाचारी महापापी और बीजेपी में आते ही वह संत बन जाता है। महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने वाले बीजेपी सांसद को संसद में बैठने की अनुमति है मगर सांसद भाई - बहन को आपस में बातचीत करने की इजाजत नहीं है उस पर टोकाटाकी की जाती है। मोदी बिना बुलाए बिरयानी खाने पाकिस्तान जा सकते हैं लेकिन विपक्षी पाकिस्तान के फेवर में एक शब्द नहीं बोल सकता है। चीन जब भारतीय सैनिकों की हत्या करे और कोई उस पर सवाल उठाये तो उसे चाइना परस्त करार दे दिया जाता है और मोदी चाइना राष्ट्राध्यक्ष को झूला झुलाते हैं तो राष्ट्र प्रेमी हो जाते हैं। मोदी एक ओर चाइना के माल का बहिष्कार करने की अपील करते हैं और दूसरी ओर चीन से व्यापारिक डील भी करते हैं। अब इसे बीजेपी, मोदी सरकार और आरएसएस का दोगलापन न कहा जाय तो फिर क्या कहा जाय?

मेघवाल के जबाब को इस नजरिए से भी देखा जा रहा है कि अनंत हेगड़े, ज्योति मिर्धा, अरूण गोविल, लल्लू सिंह, दिया कुमारी, धरमपुरी अरविंद द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान की गई संविधान बदलने हेतु 400 पार कराने के लिए की गई अपील, देवेन्द्र फडणवीस का कहा गया "संविधान की किताब दिखलाना नक्सली सोच है" के परिणामस्वरूप जनता द्वारा 240 पर सिमटा दिया जाना है। बीजेपी को शायद ये समझ में आ गया है कि यदि संविधान बदलने की बात करेंगे तो सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा इसलिए पहले संविधान से दो शब्द "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" हटाकर जनता के रूख को भांपा जाय। पूर्ववर्तीय झांका जाय तो आरएसएस ने संविधान लागू होने के पहले से ही संविधान का प्रखर विरोध शुरू कर दिया था। वह तो मनुस्मृति को लागू करने का पक्षधर रहा है शायद इसीलिए अम्बेडकर की उपस्थिति में मनुस्मृति की प्रतियाँ जलाई गईं थीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संविधान लागू होने के बाद से ही संविधान को रिप्लेस कर मनुस्मृति लागू करने का प्रयास किया जाता रहा है। बीजेपी की सत्ता बनाये रखने के लिए अपनी ही सोच को जरा सा यू-टर्न देते हुए तय किया गया है कि संविधान के नाम पर सत्ता में बने रहो और उसकी आड़ में मनुस्मृति को लागू करने का प्रयास भी जारी रखो, जनता को तो ऐसा ही समझ आ रहा है ।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता 
स्वतंत्र पत्रकार

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~~~~~ चुनाव आयोग --हंगामा है क्यूं बरपा

का बात बा ए काकाजी!!बाड़ा गंभीर मुद्रा में बानी।--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।


सरजी,अब बिल्कुल साफ-साफ दिखने लगा है कि पुरा विपक्ष सत्ता की कुर्सी हथियाने के क्रम में,देश को टुकड़े-टुकड़े करने और सनातन को समाप्त करने का अपना लक्ष्य बना लिया है। इस क्रम में देश की राजनीति स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट चूकी है। एक खेमा विपक्षियों का, जिसकी राजनीति का आधार सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण और हिंदुओं में जातिगत जहर घोलना बन चूका है। सत्ता की व्याकुलता इतनी तीव्रतम हो चूकी है कि राष्ट्र विभाजन और भारत के इस्लामीकरण की गति को तीव्र करने में किसी हद तक जा रहें हैं। दुसरा खेमा एनडीए का है उसमें भी भाजपा को छोड़,बाकी अधिकांश मौका परस्त क्षेत्रीय दल हैं तथापि एनडीए की राजनीति का लक्ष्य समग्र रूप से भारत और भारतवासी का उत्थान दिखता है।--बैठकी जमते हीं उमाकाका बोल पड़े।

का बात बा ए काकाजी!!बाड़ा गंभीर मुद्रा में बानी।--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।

मुखियाजी, बिहार में होने वाले चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने जब से,यहां "वोटर पुनरीक्षण अभियान"  शुरू किया है सारे विपक्षियों की फटने लगी है। राजनीतिक हलकों में तुफान आ गया है। विपक्षी चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहा है कि इस प्रक्रिया में पिछड़े,दलितों का वोट काटा जा रहा है जबकि ये सच कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ये विपक्षी जनता को मूर्ख समझते हैं। जनता अच्छी तरह समझती है कि वोट यदि कट रहा है तो अवैध घुसपैठियों की, रोहिंग्या और बंगलादेशी की जो इन इंडी गठबंधन के वोट बैंक हैं। इन घुसपैठियों का आधार कार्ड, राशनकार्ड और वोटर कार्ड आदि बने हुए हैं जिसे बनवाने और भारतीय नागरिक सिद्ध करने का षड्यंत्र, कांग्रेस और विपक्षी दल, बरसों से करते रहे हैं। बिहार हीं नहीं पुरे देश में ये सनातन द्रोही कांग्रेस और विपक्षी ऐसा करते रहे हैं। घुसपैठियों को लेकर सबसे बड़ी समस्या पश्चिम बंगाल में है इसीलिये चुनाव आयोग के, पुरे देश में मतदाता पुनरीक्षण करने की घोषणा को लेकर,ममता बनर्जी सबसे अधिक चीखम पिल्लो मचा रही है।भारतीय हिंदुओं के टैक्स के पैसों पर,सरकार की सारी मुफ्त की योजनाओं का लाभ भी ये घुसपैठिये ले रहे हैं।--मास्टर साहब मुंह बनाये।

ए भाई लोग, जनता के खुब बुझाता कि देश भर के फर्जी वोटरन के बचावे के चक्कर में मये विपझिया हंगामा शुरू कइले बाड़न स। विपक्षिया कहतारे स जे चुनाव आयोग के मतदाता परिक्षण से दलीत, गरीब,पिछड़ा के नाम वोटर लिस्ट से कट जाइ। त का इ समुदायन में सब विपक्षीये के वोटर हवन!! अगर नाम  कटबे करी तो सबसे घाटा त भाजपा के लागी।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।

मुखियाजी, मतदाता पुनरीक्षण तो एक सतत् प्रक्रिया है जो हमेशा होती रही है। मतदाता सूची में 18 साल की उम्र प्राप्त किये युवा जुड़ते हैं, वहीं स्थायी स्थानांतरण या निधन की स्थिति में नाम हटाये जाते हैं। ये एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, इसका राजनीतिक दलों से कोई लेना-देना नहीं होता। लेकिन चुनाव आयोग के इस मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना, चुनाव आयोग पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना। संसद से लेकर विधानसभा तक विपक्षियों द्वारा धरना प्रदर्शन करना, यहां तक कि कांग्रेस और बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी, राजद के तेजस्वी यादव द्वारा, चुनाव में भाग नहीं लेने की धमकी देना, साबित करता है कि दाल में कुछ काला नहीं, पूरी दाल हीं काली है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

इस बीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........


कुंवर जी,इन विपक्षियों की दिक्कत इस बात से है कि इस बार चुनाव आयोग इस बात का भी निरीक्षण कर रहा है कि वोटर भारतीय नागरिक हैं भी या फर्जी वोटर है।--सुरेंद्र भाई मुस्कुराये।

मुखियाजी,जो कांग्रेस आज चुनाव आयोग पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है वहीं ऐसा कानून बनायी थी कि घुसपैठियों की बल्ले-बल्ले रहे। देश में पहले विदेशी अधिनियम 1964 था जिसमें अवैध रूप से भारत में रह रहे घुसपैठियों को साबित करना होता था कि वो भारत का नागरिक है लेकिन देश में मुस्लिम घुसपैठियों को पनाह देने और देश के इस्लामीकरण के उद्देश्य से इंदिरा गांधी ने 1983 में एक अधिनियम लेकर आयी जो खासतौर पर असम के लिए था। चूंकि उस समय,असम में बंग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बाहर करने के लिए आंदोलन चल रहा था। इंदिरा गांधी ने इन घुसपैठियों को बचाने के उद्देश्य से ये अधिनियम लायी थी। जिसके अनुसार असम में नागरिकता सिद्ध करने की जिम्मेदारी शिकायत कर्ता और पुलिस पर डाल दी गई। शिकायतकर्ता भी तीन किलोमीटर के दायरे के भीतर का होना आवश्यक कर दिया गया। परिणाम ये हुआ कि असम से घुसपैठियों को बाहर करना हीं मुश्किल हो गया। बाद में इस अधिनियम के खिलाफ अपील की गई और 12 जुलाई 2005 को पारित अपने फैसले में 1983 के इस कांग्रेसी अधिनियम को कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया। आज कांग्रेस की नीतियों का हीं परिणाम है कि असम में हिन्दू,कुछ बर्षों में अल्पसंख्यक होने वाला है जैसा कि मुख्यमंत्री हेमंत जी ने सच कहने की हिम्मत की।--डा.पिंटु बुरा सा मुंह बनाये।

डा.साहब, अभी कल चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता पुनरीक्षण से संबंधित डाटा जारी किया है जिसमें बताया गया है कि लगभग 99.8 प्रतिशत लोगों ने अपना वोटर पुनर्निरीक्षण फार्म भर दिया है। अन्य डाटा के अनुसार लगभग 22 लाख वोटर मृत पाये गये हैं। 7 लाख से अधिक, एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं, लगभग 35 लाख दुसरी जगह स्थानांतरित हो चूके हैं। कल तक 7 करोड़ 23 लाख फार्म जमा हो चूके हैं। एक लाख वोटरों का तो पता हीं नहीं चला ये फर्जी वोटर हैं।
अब बताइये! ये आंकड़े क्या कह रहे हैं!!--मास्टर साहब हाथ चमकाये।

मास्टर साहब, इन विपक्षियों के पिछवाड़े में धधक इस लिए रहा है कि ये जितने फर्जी और घुसपैठिये अवैध रूप से वोटर बने हैं जो इनके कोर वोटर हैं, इस वोटर पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम से  लगभग 65 लाख वोटर कट जा रहे हैं तो धधकना स्वाभाविक है।--कहकर उमाकाका मुस्कुराये।

ए भाई लोग,इ विपक्षिया सब चुनाव आयोग पर ब्लेम करतारे स,कोर्टो गईल रहले हा स,त कोर्ट में आयोग का कहलस!!--मुखियाजी उत्सुक लगे।
मुखियाजी, चुनाव आयोग ने कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि केवल भारत के नागरिक हीं मतदाता के रूप में पंजीकृत हो यह निश्चय करने का दायित्व सिर्फ मेरा है जो संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 और 19 से प्राप्त होता है। 

मुखियाजी, कोर्ट ने वोटर के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड, राशनकार्ड को भी शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया कि ये इतने जाली बन चूकें हैं कि ये एथेंटिक नहीं हो सकता।--सुरेंद्र भाई अपनी कहे।

अभी हाल हीं में बिहार में सामने आये आधार कार्ड सैचुरेशन के आंकड़ों ने चुनाव आयोग के वक्तव्य को साबित कर दिया है। मुस्लिम बाहुल्य जिलों में ये आंकड़े हैरान कर रहे हैं। जैसे --किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68 प्रतिशत है लेकिन आधार सैचुरेशन 126 प्रतिशत है, कटिहार में मुस्लिम आबादी 44 प्रतिशत है लेकिन आधार सैचुरेशन 123 प्रतिशत है, अररिया में मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत है जबकि आधार सैचुरेशन 123 प्रतिशत है, पूर्णियां में मुस्लिम आबादी 38 प्रतिशत और आधार सैचुरेशन 121 प्रतिशत। मतलब 100 लोगों पर 120 से अधिक आधार कार्ड!! आखिर ये अतिरिक्त आधार कार्ड किसके लिए बनाये गये हैं और क्यों!! बिहार से भी बदतर स्थिति पश्चिम बंगाल की है। समझिये, कैसे कैसे षड्यंत्र करके देश को खोखला हीं नहीं इस्लामीकरण का ढ़ांचा खड़ा किया जा रहा है। चुनाव आयोग के इस वोटर पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम का विपक्षियों द्वारा विरोध किये जाने का कारण,अब छुपा नहीं है।--कुंवरजी अखबार रखते हुए।

सरजी, बिहार में जिसके वोटर लिस्ट से नाम कट रहा वो न दिखाई पड़ रहे हैं और न शिकायत कर रहे लेकिन जिनका फर्जी वोट बैंक डुब रहा है वो दहाड़े मार कर कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं और धरना, प्रदर्शन कर रहे हैं। अच्छा आज इतना हीं,अब चला जाय।--कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी........!!!!!!
 

आलेख - लेखक

प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More