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July 07, 2025
Ahaan News

शोध और विकास: भारत के विश्वविद्यालयों में नवाचार का मेरुदंड

भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग स्नातक तैयार होते हैं

कोई भी राष्ट्र तब तक स्थायी एवं समावेशी विकास नहीं प्राप्त कर सकता, जब तक वह अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को अपनी नीतियों के केंद्र में स्थान नहीं देता। ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति, अमेरिका का 20वीं सदी में तकनीकी महाशक्ति के रूप में उदय,और चीन का हालिया प्रौद्योगिकी प्रभुत्व—ये सभी इस तथ्य के प्रमाण हैं कि जिन देशों ने विज्ञान एवं नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, उन्होंने वैश्विक पटल पर अपनी अलग पहचान बनाई।

भारत ने हाल के वर्षों में राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (एनआरएफ), सेमीकंडक्टर मिशन, क्वांटम प्रौद्योगिकी मिशन तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) जैसी योजनाओं के माध्यम से विज्ञान-आधारित विकास की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। किंतु सरकारी आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत का आरएंडडी व्यय 2023 में 2.12 लाख करोड़ रुपये था, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 0.64% है। इसके विपरीत, चीन का आरएंडडी व्यय 24 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 2.4%), दक्षिण कोरिया का 4.81%, अमेरिका का 3.45%, तथा इज़राइल का 5.44% तक पहुँच चुका है। यही कारण है कि वैश्विक नवाचार सूचकांक (2024) में भारत का स्थान 40वाँ, जबकि चीन का 12वाँ, अमेरिका का 3रा, और दक्षिण कोरिया का 5वाँ है।

विश्वविद्यालयों में शोध की वास्तविक स्थिति

भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग स्नातक तैयार होते हैं, परंतु उनमें से आधे से अधिक को अनुसंधान या नवाचार आधारित रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते। यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट (2024) के अनुसार, देश में पीएचडी या एमफिल करने वाले विद्यार्थियों का अनुपात मात्र 15% है, जबकि अमेरिका, जर्मनी और दक्षिण कोरिया में यह आंकड़ा 30% से अधिक होता है।

भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रति अध्यापक औसत अनुसंधान अनुदान 30 लाख रुपये से कम है, जबकि अमेरिका में प्रति प्रोफेसर यह राशि 2 करोड़ रुपये और चीन में 1 करोड़ रुपये से अधिक पहुँचती है। इसके अलावा, भारत में पेटेंट आवेदन दर प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 12-15 पेटेंट है, जबकि चीन में यह 250, अमेरिका में 140 और जापान में 160 से भी अधिक है।

शोधकर्ताओं के सामने प्रमुख चुनौतियाँ-

विश्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच सहयोग की कमी, जिससे शोधार्थियों के प्रायोगिक कार्य का औद्योगिक अनुप्रयोग सीमित रह जाता है। पेटेंट, बौद्धिक संपदा अधिकार और शोध फंडिंग की प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता का अभाव। शोध परियोजनाओं के लिए स्थायी वित्तीय सहायता एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, जिससे कई प्रतिभाशाली शोधार्थी विदेश पलायन कर जाते हैं। शोध परिणामों के व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप्स और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने वाली नीति की अपर्याप्तता।

आरडीआई योजना : संभावनाएँ और महत्व- भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2025 को स्वीकृत अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (RDI) योजना, 1 लाख करोड़ रुपये के विशेष कोष के माध्यम से उभरते और सामरिक क्षेत्रों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगी। योजना के तहत क्वांटम प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर इत्यादि में शोध करने के लिए निजी कंपनियों को शून्य या अत्यल्प ब्याज दर पर दीर्घकालिक ऋण अथवा इक्विटी निवेश की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

यह योजना न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, बल्कि सरकार स्वयं एंकर निवेशक के रूप में कार्य करेगी, जिससे विश्वविद्यालयों और निजी उद्योगों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना में पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया से फंड आवंटन की व्यवस्था की गई है, ताकि वास्तविक शोध परियोजनाओं को ही समर्थन मिल सके।

अंतरराष्ट्रीय अनुभव से सीख - अमेरिका की डीएआरपीए (DARPA) ने विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और निजी कंपनियों के सहयोग से इंटरनेट, सौर ऊर्जा, जैव चिकित्सा अनुसंधान आदि क्षेत्रों में क्रांति की। जापान के पूर्व एमआईटीआई  ने शोध एवं उद्योग के बीच पुल बनाकर देश को 20वीं सदी में तकनीकी महाशक्ति बनने में सहायता की।चीन में अलीबाबा, हुआवेई जैसी कंपनियों ने पिछले दशक में आरएंडडी निवेश में तेजी से बढ़ोतरी की, और 2022 में चीन के निजी क्षेत्र का योगदान 70% से अधिक तक पहुँच गया।

शोधकर्ताओं के दृष्टिकोण से सुझाव-

विश्वविद्यालयों में पेटेंट सहायता केंद्र  सक्रिय किए जाएँ, ताकि शोधार्थी अपने आविष्कारों का पेटेंट करा सकें। शोध अनुदान की प्रक्रिया को डिजिटल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जाए। विश्वविद्यालयों में इंडस्ट्री-एकेडेमिया पार्टनरशिप को प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि छात्र उद्योग के साथ शोध कर सकें। शोध फेलोशिप और छात्रवृत्ति योजनाओं में प्रतिस्पर्धात्मकता लाई जाए, जिससे प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रेरित हों।विश्वविद्यालय स्तर पर नवाचार आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किए जाएँ।

निष्कर्षत : यदि आरडीआई योजना को पूरी निष्ठा, पारदर्शिता और शोध-उन्मुख दृष्टिकोण से लागू किया गया और विश्वविद्यालयों में मौलिक शोध को सशक्त बनाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया, तो भारत 2047 तक आत्मनिर्भर और तकनीकी नवाचार का वैश्विक नेता बन सकता है। इसके लिए नीति-निर्माताओं, विश्वविद्यालयों, उद्योग और शोधकर्ताओं के बीच सहयोग को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक होगा, ताकि भारत की युवा शक्ति अपने ही देश में रहकर नवाचार करे और राष्ट्र को वैश्विक नेतृत्व प्रदान करे।

शोधार्थी

रुपेश कुमार 

राजनीति विज्ञान विभाग

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, बिहार

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 07, 2025
Ahaan News

खेल मंत्री सुरेन्द्र मेहता बोले – बिहार में खेलों की असीम संभावनाएं, युवाओं को मिलेगा प्रोत्साहन और संसाधन

ऐसे में राज्य सरकार की यह प्राथमिकता है कि उन्हें विश्वस्तरीय संसाधन, प्रशिक्षण और अवसर मिले,” उन्होंने कहा

बिहार सरकार के खेल मंत्री श्री सुरेन्द्र मेहता ने कहा कि “बिहार की मिट्टी में अपार खेल प्रतिभा है, जिसे सिर्फ सही दिशा और संसाधनों की जरूरत है।” वे राजधानी पटना में देश की अग्रणी स्वदेशी खेल परिधान निर्माता कंपनी शिव नरेश स्पोर्ट्स प्रा. लि. के रीजनल वेयरहाउस के उद्घाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। यह दिल्ली के बाहर कंपनी का पहला वेयरहाउस है, जो पूर्वी भारत के खिलाड़ियों और डीलरों के लिए एक नई सुविधा लेकर आया है।

मंत्री मेहता ने कहा कि बिहार के युवाओं ने खेल के हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। “आज हमारे खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार की यह प्राथमिकता है कि उन्हें विश्वस्तरीय संसाधन, प्रशिक्षण और अवसर मिले,” उन्होंने कहा।

उन्होंने शिव नरेश वेयरहाउस की स्थापना को बिहार के खेल उद्यमियों और खिलाड़ियों के लिए “उत्कृष्ट अवसर” बताया और कहा कि इससे न सिर्फ खेलों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राज्य में खेल से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा। मंत्री ने भरोसा जताया कि इससे स्थानीय खेल संसाधनों की उपलब्धता बेहतर होगी और ग्रामीण क्षेत्रों तक खेल संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा।

कार्यक्रम में कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री शिव प्रकाश सिंह ने भी कहा कि “पटना में वेयरहाउस खोलना हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का हिस्सा है।” उन्होंने बताया कि यह केंद्र पूर्वी भारत में स्टॉक की तेज़ डिलीवरी, स्थानीय कोचिंग संस्थानों को बेहतर सप्लाई और खिलाड़ियों को समय पर किट उपलब्ध कराने में सहायक होगा।

उद्घाटन कार्यक्रम में बिहार, झारखंड, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए डीलरों को सम्मानित किया गया। मंत्री मेहता ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसे प्रयासों को हरसंभव सहयोग देगी, ताकि बिहार खेल के क्षेत्र में देश का अगुवा बन सके।

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July 07, 2025
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3 से 5 अगस्त तक पटना में होगा "बिहार बिजनेस महाकुंभ 2025" का आयोजन

सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि बिहार का है ग्लोबल भविष्य : विकास वैभव

बिहार एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है, लेकिन इस बार ज्ञान, संस्कृति और राजनीति नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए। "बिहार बिजनेस महाकुंभ 2025" का आयोजन 3 से 5 अगस्त तक पटना के ज्ञान भवन में होने जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य है राज्य के स्थानीय उत्पादों और स्टार्टअप्स को वैश्विक पहचान दिलाना और बिहार को भारत के कारोबारी मानचित्र पर चमकता सितारा बनाना। उक्त जानकारी "बिहार बिजनेस महाकुंभ 2025" के संयोजकों ने विद्यापति भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी।

यह आयोजन केवल एक ट्रेड फेयर नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक पुनर्जागरण है। इस मंच पर भागलपुरी सिल्क, मधुबनी पेंटिंग, जैविक कृषि उत्पाद, बांस-मिट्टी के शिल्प और ग्रामीण महिलाओं के बनाए उत्पाद "Made in Bihar" टैग के साथ "Marketed Globally" की दिशा में बढ़ेंगे। यह महाकुंभ बिहार के आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़ेगा।

उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आईपीएस अधिकारी श्री विकास वैभव ने कहा कि बिहार अब सिर्फ श्रमदानी नहीं, बल्कि उद्यमिता और नवाचार का गढ़ बनने को तैयार है। राज्य की MSMEs, युवाओं के स्टार्टअप और महिला स्व-सहायता समूहों को वैश्विक निवेशकों के सामने लाने का यह सुनहरा अवसर है। यह आयोजन बिहार को एक 'रोजगार मांगने वाले राज्य' से 'रोजगार देने वाले राज्य' में बदलने की दिशा में एक ठोस कदम है।

इस तीन दिवसीय आयोजन में 250 से अधिक ब्रांड्स और स्टार्टअप्स हिस्सा लेंगे, जबकि 30,000 से अधिक आगंतुकों के आने की संभावना है। "ग्लोबल एक्सपोर्ट पवेलियन", "डिस्ट्रिक्ट इनोवेशन शोकेस", "यूथ स्टार्टअप हॉल", "वूमन एंटरप्राइज ज़ोन", और "स्किल टू स्टार्टअप" जैसे ज़ोन इसे एक अद्वितीय व इनक्लूसिव कार्यक्रम बनाते हैं। नीति-निर्माताओं, राजदूतों और उद्योगपतियों की भागीदारी इसे राष्ट्रीय-से-अंतरराष्ट्रीय मंच का रूप देती है।

बिजनेस महाकुंभ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ग्रामीण महिलाओं, युवाओं और स्थानीय नवोन्मेषकों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह मंच न केवल उनके लिए प्रेरणा बनेगा, बल्कि निवेश और संभावनाओं के नए द्वार भी खोलेगा। इससे बिहार की आर्थिक संरचना को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी।

इस महाकुंभ के संयोजकों का स्पष्ट संदेश है कि “बिहार अब सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि ग्लोबल भविष्य भी है।” यह आयोजन राज्य के छुपे हुए टैलेंट, उत्पादों और उद्यमशीलता को दुनिया के समक्ष लाने का अभियान है। यह बिहार के युवाओं को नए सपने देखने और उन्हें पूरा करने का अवसर देगा। मौके पर सुमन कुमार, मोहन कुमार झा, शुभम यादव, निशा मदन झा, हर्ष राजपूत, नितिका कुमारी इत्यादि मौजूद थे।

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July 07, 2025
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पटना में हेलीकॉप्टर बाबा ने बनाई “विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)”

कहा - VVIP शोषितों और वंचितों की आवाज बनेगी नई राजनीतिक ताकत

बिहार विधान सभा चुनाव से पूर्व आज पटना में नयी राजनितिक पार्टी की घोषणा की गयी, जिसका नाम – “विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)” है। पटना के होटल मौर्या में आयोजित प्रेस वार्ता में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीप निषाद उर्फ हेलीकॉप्टर बाबा ने पार्टी के गठन की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह पार्टी शोषितों, पीड़ितों, दलितों, महादलितों, अत्यंत पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक उत्थान के लिए समर्पित रहेगी।

श्री निषाद ने कहा कि पार्टी में सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोगों की पूर्ण सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। खासकर निषाद समाज की सभी उपजातियों को एक सूत्र में बांधकर उनके वाजिब हक और अधिकार दिलाने की दिशा में पार्टी काम करेगी। उन्होंने कहा कि युवाओं और महिलाओं को नेतृत्व में अहम भूमिका दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि विकास वंचित इंसान पार्टी का गठन किसी व्यक्ति विशेष या सत्ता की लालसा के लिए नहीं, बल्कि समाज के उन तबकों की आवाज़ बनने के लिए किया गया है जिन्हें अब तक सिर्फ वोट बैंक समझा गया। उन्होंने कहा कि निषाद समाज समेत दलित, अत्यंत पिछड़ा, अल्पसंख्यक और वंचित समुदायों के लोगों को उनका हक दिलाना ही पार्टी का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पार्टी बिहार से शुरू होकर पूरे देश में समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों को जोड़ने का काम करेगी। यह सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की मुहिम है। उन्होंने युवाओं, महिलाओं और सभी वर्गों से इस आंदोलन से जुड़ने की अपील की।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पार्टी पूरे राज्य में संगठनात्मक ढांचा मजबूत करेगी और जनता की समस्याओं को लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि VVIP पूरी ईमानदारी, सच्चाई और निष्ठा के साथ समाज में सामाजिक न्याय, समरसता और प्रगतिशील सोच को मजबूत करने का कार्य करेगी। पार्टी का लक्ष्य है इंसानियत और विकास के साथ नया इतिहास रचना। इस अवसर पर पार्टी के प्रमुख नेताओं में राकेश कुमार (राष्ट्रीय महासचिव), आषिश दूबे (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), आशीष साहनी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), शंकर चौधरी, बीरेन्द्र बहादुर सिंह, शम्भू शरण (महंत), आदर्श साहनी, शशि कान्त सिंह और शशि शेखर भी उपस्थित रहे।

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July 07, 2025
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फॉग्सी क्रिटिकल केयर कॉन्फ्रेंस 2025 का हुआ भव्य समापन, मातृ स्वास्थ्य की चुनौतियों पर हुआ व्यापक मंथन

समिति की ओर से डॉ. विनीता सिंह, डॉ. प्रज्ञा मिश्रा चौधरी, डॉ. सुप्रिया जायसवाल, डॉ. निभा मोहन एवं पूरी टीम को इस सफल आयोजन के लिए सम्मानित किया

होटल मौर्या में आयोजित फॉग्सी क्रिटिकल केयर कॉन्फ्रेंस 2025 का आज समापन सत्र आयोजित हुआ। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन के अंतिम दिन भी देशभर से आए प्रसिद्ध डॉक्टरों ने मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं पर विज्ञान आधारित संवाद और समाधान प्रस्तुत किए।

समापन सत्र में सम्मेलन की वैज्ञानिक समितियों के कार्यों की सराहना की गई और यह रेखांकित किया गया कि कैसे इस आयोजन ने प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान और बाद की जटिलताओं को समझने और समाधान की दिशा में एक ठोस मंच दिया।
सम्मेलन के मुख्य आकर्षणों में से एक था डॉ. प्रमिला मोदी और उनकी टीम द्वारा आयोजित जनसामान्य के लिए विशेष "पब्लिक फोरम", जिसमें "सीज़ेरियन सेक्शन: भ्रांतियां बनाम सच्चाई" विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। इसे हिंदी में प्रस्तुत किया गया ताकि आम जनता सीज़ेरियन डिलीवरी से जुड़ी भ्रांतियों को समझ सके और सही जानकारी प्राप्त कर सके।

समापन समारोह में पटना ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी (POGS) के वरिष्ठ सदस्यों डॉ. शांति राय, डॉ. मंजू गीता मिश्रा, डॉ. सुषमा पांडे, डॉ. उषा दिवानिया, डॉ. अलका पांडे, डॉ. कुंकुम सिन्हा और अन्य ने भाग लिया। सभी ने इस आयोजन को गर्भावस्था संबंधी आपात स्थितियों की रोकथाम, पहचान और त्वरित हस्तक्षेप के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

समापन सत्र में आयोजन समिति की ओर से डॉ. विनीता सिंह, डॉ. प्रज्ञा मिश्रा चौधरी, डॉ. सुप्रिया जायसवाल, डॉ. निभा मोहन एवं पूरी टीम को इस सफल आयोजन के लिए सम्मानित किया गया।

अंत में, धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्मेलन का समापन हुआ, जिसमें सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों, और सहयोगियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए यह विश्वास जताया गया कि यह सम्मेलन मातृ मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।


 

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July 07, 2025
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पटना में हुआ दिनेश लाल यादव निरहुआ की फिल्म "हमार नाम बा कन्हैया" का भव्य प्रीमियर शो

दिनेश जी जैसे कलाकार के साथ काम करना उनके लिए गौरव की बात है - समर कात्यायन

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' की बहुप्रतीक्षित फिल्म हमार नाम बा कन्हैया का विशेष प्रीमियर आज पटना के सिनेपोलिस मल्टीप्लेक्स में आयोजित किया गया। इस मौके पर फिल्म की पूरी स्टारकास्ट, निर्देशक, निर्माता और वितरक टीम भी मौजूद रही। गिरिराज फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह देखने को मिला।

फिल्म का निर्देशन विशाल वर्मा ने किया है और इसे मुकेश गिरी ने प्रोड्यूस किया है। प्रीमियर के अवसर पर निरहुआ के साथ प्रमुख कलाकार समर कात्यन, निर्माता मुकेश गिरी, निर्देशक विशाल वर्मा मौजूद थे। निरहुआ ने कहा कि यह फिल्म उनके दिल के बेहद करीब है और यह दर्शकों को एक नए प्रकार का भोजपुरी सिनेमा दिखाएगी, जो अश्लीलता से कोसों दूर और कथानक पर पूरी तरह आधारित है।

निर्देशक विशाल वर्मा ने कहा हमार नाम बा कन्हैया एक सस्पेंस थ्रिलर है, जो भोजपुरी सिनेमा में एक नया प्रयोग है। फिल्म की कहानी, संवाद और दृश्यांकन को लेकर दर्शकों ने भी शुरुआती समीक्षाओं में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। फिल्म की शूटिंग लखनऊ, मुंबई और लंदन जैसे स्थानों पर की गई है, जिससे इसकी सिनेमैटिक प्रस्तुति और भी भव्य नजर आती है। निर्माता मुकेश गिरी ने कहा कि यह फिल्म भोजपुरी के दर्शकों को मनोरंजन का नया विकल्प देगा। सभी इसे सहजता से देख पाएंगे। फिल्म हमने कमर्शियली जरूर बनाया है, लेकिन इसकी आत्मा मनोरंजन और एक खूबसूरत सी कहानी है।

समर कात्यायन ने इस फिल्म को लेकर कहा कि दिनेश जी जैसे कलाकार के साथ काम करना उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि यह फिल्म भोजपुरी फिल्मों की छवि को बदलने की दिशा में एक अहम कदम है। वहीं, अमृता पाल की भूमिका भी फिल्म में एक मजबूत और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती है।

इस अवसर पर वितरक प्रशांत उज्ज्वल ने बताया कि फिल्म को लेकर पूरे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमार नाम बा कन्हैया न केवल निरहुआ के फैंस के लिए बल्कि हर उस दर्शक के लिए खास है, जो भोजपुरी सिनेमा में कुछ नया और सार्थक देखना चाहते हैं।

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July 07, 2025
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प्रशांत किशोर बिहार के लिए विकल्प नहीं बल्कि बिहारियों की पहली पसंद हैं और सम्मान के प्रतिक

बिहार में पहली बार पिछले 3-4 दशकों में किसी ने बिहारियों के लिए बात की हैं और बिहारियों के सम्मान के प्रतिनिधि बनकर दर-दर भटक रहा है

बिहार और बिहारी एक वक्त में गाली बन गया था या बना दिया गया था यह आज समझने की जरूरत है। जहां 1990 के बाद जातिवादी व्यवस्थाओं को मजबूती मिली और एक विशेष जाति जो कि सत्तारूढ़ थे उनका आतंक बिहार में बढ़ा। दारू, बालू से लेकर व्यापारियों के साथ दिन दहाड़े लूट पाट करने वाली सरकारों द्वारा अघोषित तौर पर पोषित होने लगे थे। आतंक का ऐसा प्रभाव था कि आज भी कुछ जातियां और समूह 1990 वाली राजनीति दल जो सत्ताधारी थी उससे आज भी बचना चाहती हैं।

वहीं 2005 के साथ ही नये राजनीतिक दलों का गठजोड़ हुआ और उसकी सत्ता आज बिहार से लेकर भारत स्तर पर खड़ी हो गई है। 1990 के सरकार को राजनीतिक रूप से दर्जनों संगठनों ने अत्याचार के बुनियाद पर सरकार से ना टकराकर बिहार को ही बदनाम कर दिया। बिहार की ऐतिहासिक, समाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को बदलकर रख दिया गया। जिस बिहार ने पुरे विश्व को संदेश देने का काम किया उसे विपक्ष में रहकर वर्तमान सत्ताधारी गठजोड़ कर बदनाम कर दिया। सत्ता लोलुपता के चलते ही आम लोगों पर हो रहे अत्याचार को मुद्दा नहीं बनाया गया बल्कि राजनीतिक सत्ता को हासिल करने के लिए बिहार को बिहारी कहकर अभद्र व्यवहार और टिप्पणी झेलनी पड़ी।

सत्ता में आने के बाद वर्तमान सत्ताधारी गठजोड़ ने जहां 1990 के समयों के जातिगत प्रभाव को कम किया तो वहीं जातिवादी व्यवस्थाओं को और मजबूत किया। शोषण करने के विभिन्न तरीकों से बिहार के समृद्ध एवं शिक्षित वर्ग को प्रताड़ित करने में भागीदारी सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज वर्तमान सत्ताधारी भी गठजोड़ों के बल पर खड़ा हैं और युवा जोश को अपराध की ओर धकेलने में लगी है।

लेकिन अब समय बदल रहा है और बिहार में एक नई उम्मीद आई है। वह उम्मीद है प्रशांत किशोर और प्रशांत किशोर पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पुरे विश्व स्तर की राजनीति में अपना दबदबा कायम किया। भारत की राजनीति को समझने में समय लगाया और राज्यों की क्षेत्रीय राजनीति को भी गंभीरता से समझा और तब जाकर एक बड़ा संदेश लेकर बिहार के गांव - गांव पहुंचे और हर उस नागरिकों को जागरूक किया जो घर के अंदर चुपचाप बैठे राजनीतिक दलों के खेल को समझ रहा था मगर अपराधिकरण हो चुकी सत्ता और राजनीति पर चुप्पी साधे हुए था।

प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की स्थापना की और दो दिन पहले ही चुनाव चिह्न के रूप में स्कूल बैंग मिला। स्कूल बैंग चुनाव चिह्न के रूप में मिलने पर प्रशांत किशोर की खुशी और उनके संदेश कि हमें मिला नहीं है बल्कि हमने लड़कर स्कूल बैंग लिया है। शिक्षा एक समाज को मजबूती प्रदान करने का सबसे बड़ा आधार होता है और प्रशांत किशोर ने एक नींव जरूर रख दी है। 

बहुत गंभीरता से यह समझने की जरूरत है कि हर कोई सभी जगह एक व्यक्ति का नाम लेते हैं और प्रशांत किशोर की जन सुराज में भी सिर्फ प्रशांत किशोर ही चेहरे के रूप में दिख रहे हैं तो यह बहुत अच्छा है। एक नेतृत्व से ही मजबूती मिलेगी और प्रशांत किशोर का सामुहिक प्रयास और संवाद एक ठोस कदम और निर्णय के लिए बहुत आवश्यक है। प्रशांत किशोर की रणनीति से बिहार की तकदीर और तस्वीर दोनों बदलने वाली हैं। 

नये राजनीतिक दलों को मौका देना समाजिक दायित्वों में आता है और समाज को खुले तौर पर प्रशांत किशोर को चुनना चाहिए और मौका देना चाहिए। शिक्षा, रोज़गार के साथ सुरक्षित समाज निर्माण की जिम्मेवारी लेकर कोई पहली बार बिहार में कार्यक्रम कर जागरूक कर रहा है।

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July 07, 2025
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( खबर कैसे खतरा) हाजीपुर - साल 25 :- तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने की संभावनाएं लिए हाजीपुर विधानसभा

इस ख़बर से घबराया कोई और एक सप्ताह तक बेवसाइट बंद कराया था लेकिन पुनः हम आपके बीच हैं - संपादक

दावेदार और दावेदारी दोनों पहलूओं पर हर पार्टी में जोड़दार शक्ति प्रदर्शन, वहीं जातिगत व्यवस्था के आधार पर उम्मीदवार की उपस्थिति देखने लायक होगी 

दावेदार वह हैं जो लगातार विधायक बनने हुए हैं या विपक्ष से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं और टक्कर भी दे रहें हैं। मगर दावेदारी पेश करना यह अपने आप में बड़ी बात है। जैसा कि जग जाहिर है कि हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से एक व्यक्ति और एक ही निर्णय के सिद्धांत पर काम सत्ताधारी पक्ष की ओर से चलता आ रहा है। वहीं इस बार दावेदार को बड़ी चुनौती मिल रही हैं उन्हीं के संगठनात्मक संरचना से और लंबे समय से हाजीपुर में सेवा देने वाले भी मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करने की ओर बढ़ रहे हैं। वैसे युवाओं को राजनीतिक रूप से षड्यंत्र कर - कर के मुकदमों के माध्यम से कमजोर कर दिया गया है। जिसके कारण हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारी पेश करने की हिम्मत एक व्यक्ति के रहते संभव नहीं हो रहा है, लेकिन इस बार पक्के दावेदार की स्थिति बहुत नाज़ुक बनी हुई हैं।

आपको बता दें कि दावेदार के तौर पर हाजीपुर विधानसभा में भाजपा से अवधेश सिंह जो वर्तमान विधायक हैं और चौथी बार विधायक बनने का सपना संजोए बैठे हुए हैं। वहीं विपक्ष में देव कुमार चौरसिया पुनः संभावित उम्मीदवार बने हुए है और राजद की ओर से चुनाव घोषणा के बाद इनके नाम पर ज्यादा ध्यान रहने की संभावना रहेगी। देव कुमार चौरसिया सबसे मजबूत विपक्ष के दावेदार इसलिए हैं क्योंकि पूर्व विधायक हाजीपुर और वर्तमान केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के अलावा उनके द्वारा अपना उत्तराधिकारी घोषित कर अवधेश सिंह को तीन बार विधायक बना लिया गया मगर पिछले चुनाव 2020 में मात्र 2990 वोटों से जीत दर्ज करा सकें थे। नित्यानंद राय खुद भी 4 बार विधायक हाजीपुर से चुने गए और अवधेश सिंह पहली बार उपचुनाव और दो बार पूर्ण कार्यकाल के लिए विधायक बने, लेकिन देव कुमार चौरसिया ने 2020 में लगभग जीत को छुने तक पहुंच ही गए थे। इसलिए राजद का इस बार भी दांव देव कुमार चौरसिया ही हो सकते हैं।

दावेदारी करने वाले बहुत महत्वपूर्ण चेहरे -

बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राजनीति अब तक चलती आ रही हैं लेकिन इसमें प्रशांत किशोर की उपस्थिति से राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा हुआ है। इसलिए हाजीपुर में भी NDA और INDIA गंठबंधन के साथ प्रशांत किशोर की राजनीतिक पार्टी जन सुराज अपने स्कूल बैंग चुनाव चिह्न के साथ बहुत मजबूती से उपस्थिति सुनिश्चित करेंगी। शिक्षा व नौकरी को मुख्य मुद्दा बनाकर बिहारियों को साथ लेकर बनाने का दावा कर रहे हैं जिसका जमीन पर असर भी दिख रहा है।

अब तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से हर चुनाव में दर्जनों लोगों की उम्मीदवारी होती रही हैं लेकिन इस बार और धमाकेदार उम्मीदवारों की उम्मीदवारी की बड़ी संभावना है। जिसमें इस प्रकार से संभावना है वहीं सही उम्मीदवार चुनने में हर दल गंभीर हो इसपर भी ध्यान रखना हैं यहां -

1. निकेत कुमार सिन्हा (लालाजी/कायस्थ जाति)

नगर परिषद, हाजीपुर के उपसभापति रहे निकेत कुमार सिन्हा हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से बहुत मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं। जहां सत्ताधारी पार्टी और गठबंधन ने तो गुलामी की परंपरा को मजबूत किया है लेकिन मजबूत विपक्ष को जिसमें राजद व गठबंधन और जनसुराज को इस पर विचार करने की जरूरत है। 

निकेत कुमार सिन्हा इस लिए विधायक के उम्मीदवार के रूप में देखें जाते हैं क्योंकि चंद दिनों के अपने नगर परिषद, हाजीपुर उपसभापति काल में हाजीपुर नगर परिषद क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव और काम किया। निकेत कुमार सिन्हा के काम करने के तरीके और लोकाचार में व्यवहार के कारण आम लोगों में विकासशील व्यक्ति के रूप में पहचान है। जिसके कारण ही नगर परिषद, हाजीपुर का जब सभापति चुनने का अधिकार सीधे जनता को मिला तो निकेत कुमार सिन्हा ने अकेले दम पर अपने एक सहयोगी को उम्मीदवार बनाकर भाजपा को कहें तो ज्यादा अच्छा नहीं होगा बल्कि हाजीपुर के पूर्व विधायक और वर्तमान केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के साम्राज्य को जड़ से झकझोर कर रख दिया और कड़ी टक्कर दिए थे। 

इसलिए हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से निकेत कुमार सिन्हा का किसी भी पार्टी से उम्मीदवार बनाना एक विकासशील व्यक्ति का सम्मान करना ही नहीं होगा बल्कि जनतंत्र के लिए बहुत सुखद संदेश भी होगा। 

2. उत्पल यादव (यादव जाति)

उत्पल यादव मुलत: बिदुपुर प्रखंड और राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। युवा जोश और एक अच्छे उद्योगपति हैं। पिता के विरासत में एक मजबूत कड़ी बनकर अपने बल पर युवाओं को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। बुजुर्ग और महिलाओं को सम्मान देना और परिवारिक संस्कार से भरपूर उत्पल यादव नया आयाम बनाने में लगे हैं।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी उत्पल यादव का परिवार हैं और इसी वजह से हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। गांव गांव जाकर अपने रिश्ते मजबूत कर रहें हैं। राजद गठबंधन से उम्मीदवार के तौर पर मजबूत दावेदारी पेश करने के कारण जातिगत समीकरण में लाभ लेने का भी प्रयास हैं।

3. प्रियदर्शनी दुबे (भूमिहार ब्राह्मण जाति)

प्रियदर्शनी दुबे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में वैशाली जिले में महिलाओं की बहुत मजबूत प्रतिनिधि हैं। वर्तमान समय में भाजपा में क्षेत्रीय प्रभारी महिला मोर्चा, बिहार भाजपा की सदस्य हैं। लगभग 15 वर्षों से भाजपा के साथ सक्रिय राजनीति कर रही हैं। भाजपा के संगठनात्मक संरचना में विभिन्न पदों पर रहते हुए भाजपा को मजबूत करने में भागीदारी सुनिश्चित करती रही हैं।

प्रियदर्शनी दुबे एक मात्र भाजपा कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर संगठन में बात रखी है। भूमिहार ब्राह्मण परिवार से आने वाली प्रियदर्शनी दुबे हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में आना चाहती हैं।

नारी सशक्तिकरण का दावा करने वाली भाजपा को हाजीपुर से बढ़त दिलाने के लिए कर रही प्रयास।

प्रियदर्शनी दुबे के विचारों से लगा कि बहुत गंभीरता से हाजीपुर शहरी क्षेत्र में 5 दशकों से परिवार के अनुभवों और खुद का अनुभव देखकर हाजीपुर की दशा को लेकर चिंतित हैं। इसलिए हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी राजनीतिक दल भाजपा (BJP) से दावेदारी पेश कर रही हैं।

4. कृष्ण भगवान सोनी ( स्वर्णकार जाति)

कृष्ण भगवान सोनी स्वर्णकार जाति से आने वाले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी राजनीतिक समझ से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। व्यवसाय करने के बावजूद लोगों के बीच में लगातार समय देना अपने आप में बड़ी बात है।

हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से कई बार अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुके हैं और अब प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में अपने जोड़ीदार उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं। प्रशांत किशोर के पदयात्रा का अहम हिस्सा बनकर लोगों की नज़र में और तेजी से आये और आज उम्मीदवार बनने की ओर क़दम बढ़ा रहें हैं।

5. राजेश ठाकुर (भूमिहार ब्राह्मण जाति)

राजेश ठाकुर अफजलपुर धोबघट्टी के आधुनिक पंचायतीराज चुनाव में पहले मुखिया रहें। वहीं पत्नी को जिला परिषद सदस्य बनाये और वर्तमान समय में पुत्र को पंचायत समिति पर जीताकर सक्रिय राजनीति में बने हुए हैं। वहीं हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं।

राजेश ठाकुर वर्तमान समय में प्रशांत किशोर के साथ चलने का प्रयास कर रहे हैं और वहीं साथ ही हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनने का भी दावा ठोक दिया है। 

वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज में कई ऐसे लोगों का भी हाजीपुर से दावा होने के बावजूद राजेश ठाकुर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

6. राजीव ब्रह्मर्षी (भूमिहार ब्राह्मण जाति)

राजीव ब्रह्मर्षी नाम से ही परिचय मिल जाता हैं कि किस समाज से या जाति से आते हैं फिर भी राजीव ब्रह्मर्षी को लोग हिंदू के नाम से जानते हैं। हिन्दुत्व के बिहार के सबसे बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते हैं राजीव ब्रह्मर्षी। 

राजीव ब्रह्मर्षी ने भारत के बड़े-बड़े हिन्दुत्व के चेहरों के साथ बैठकर हिंदू परंपरा को जाना, समझा और एक बहुत ही महत्वपूर्ण और मजबूत संगठन का निर्माण किया "हिन्दु पुत्र" और उसके संरक्षक के रूप में अपने कार्यकर्ताओं के लिए जान देने में कोताही नहीं बरती।

राजीव ब्रह्मर्षी का संगठनात्मक संरचना बहुत मजबूत और हिन्दुत्व के लिए कोई भी काम करने वाला हो तो उसके लिए अपना जीवन लेकर खड़ा होने वाला पहली बार बिहार ने पाया है या देखा हैं। राजीव ब्रह्मर्षी ने अपने संगठन के एक मजबूत कार्यकर्ता के खिलाफ गलत केस करने को लेकर पुलिस मुख्यालय, बिहार, पटना में जाकर आत्मदाह करने का प्रयास किया और काफी जल भी गए थे।

हिन्दुत्व के कार्यों को लेकर सरकार से टकराते हुए उत्तर बिहार के मुहाने पर श्री मारुति हनुमान मंदिर जिसे भारत सरकार का सड़क निर्माण विभाग कहीं ऐसे ही स्थापित करने का प्रयास किया था उसके खिलाफ आंदोलन कर इसी महीने 05 जून को दिग्घी दुमोड़वा हाजीपुर में 108 फीट ऊंचा मंदिर बनाकर भगवान को स्थापित करने का काम किया।

राजीव ब्रह्मर्षी के हिन्दुत्व कार्य को लेकर एक पुस्तक लिखी जा सकती हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) जो हिन्दुत्व को लेकर गंभीरता दिखाती है उसे 25 साल पहले का योगी आदित्यनाथ के रूप में राजीव ब्रह्मर्षी को देखना चाहिए। वहीं आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ को विरासत में राजनीति मिली थी लेकिन राजीव ब्रह्मर्षी ने अपने दम पर समाज को लेकर एक बहुत मजबूत संगठन हिन्दु पुत्र की स्थापना कर एक बड़ी चुनौती और लकीर खींच दी हैं।

वहीं हिन्दुत्व की सरकार के रहते हुए राजीव ब्रह्मर्षी को कमजोर करने के लिए मुकदमों की बरसात कर दिया, लेकिन राजीव ब्रह्मर्षी मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं। इसलिए हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को मजबूत उम्मीदवार के रूप में राजीव ब्रह्मर्षी को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए। जिसका परिणाम यह है कि बिहार की राजनीति में हिन्दुत्व का राजीव ब्रह्मर्षी से बड़ा चेहरा ना तो भाजपा के पास कोई हैं और ना ही किसी अन्य दलों में किसी की उपस्थिति ही है।

सर्व विदित है कि वर्तमान विधायक हाजीपुर अवधेश सिंह कुर्मी जाति से है वहीं देव कुमार चौरसिया बड़ई (पान कृषक) जाति से आते हैं।

वर्तमान विधायक हाजीपुर के नेतृत्व में जहां हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र का विकास पिछले 11 वर्षों में शुन्य हो गया तो वहीं शहरी क्षेत्रों में भाजपा के संगठन और नित्यानंद राय केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री, अवधेश सिंह विधायक के सहयोग से सभापति नगर परिषद हाजीपुर बनने के बाद भी हाजीपुर शहरी क्षेत्रों को श्मशान में बदल दिया है। हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में सड़कों नमामि गंगे और सिवरेज के नाम पर 10 वर्षों से खोदा गया और लगभग 15 वर्षों से हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में एक भी सड़क नहीं बना। 

यहां जातिगत आधार पर आपको बताने का कारण है कि किसी भी क्षेत्र में जाति के आधार पर ही कोई भी राजनीतिक दल उम्मीदवार बनाती हैं। व्यवस्था परिवर्तन की ओर अगर समाज कहें या हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को इस पर ध्यान जरूर देना चाहिए कि उम्मीदवार किसी का नौकर ना हो, किसी का गुलाम ना हो और साथ ही साथ साहसी हो ताकि अपने क्षेत्र का विकास करने में सदनों में गरज सकें।

राघोपुर से भाजपा लड़ेगी 2025 विधानसभा चुनाव और उम्मीदवार होंगे नित्यानंद राय इस ख़बर से भी कई सत्ताधारी पार्टी को तकलीफ़ भी बहुत हुई है।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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June 24, 2025
Ahaan News

25 साल हाजीपुर : - हाजीपुर से सही उम्मीदवार चयन में NDA गठबंधन कमजोर वहीं INDIA गठबंधन का पार्टी चयन गलत

कार्यालय प्रभारी के सहारे हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता, स्वतंत्र प्रभार वाले विधायक की आवश्यकता

समय के साथ सब बदलता है और जब हाजीपुर विधानसभा की बात आती हैं तो राजनीतिक दलों की समझदारी घास चरने चली जाती हैं। अब वह दौर नहीं है कि जैसे तैसे लोगों को प्रतिनिधित्व देकर सीट निकाल लें और जनता के हितों का निर्धारण कोई ओर करें। कहने को भारत में लोकतंत्र हैं मगर लोकतंत्र किसी भी राजनीतिक दल में नज़र नहीं आती हैं। जिसके कारण हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में सही उम्मीदवार की तलाश आज भी लोगों की हैं और राजनीतिक दल अपने राजनीतिक फायदों के लिए अपराध नीति का समर्थन कर पिछले 25 वर्षों से सत्ता में बैठी हुई है।

हाजीपुर क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों का इतिहास देखें तो विधायक के स्तर पर काम ना के बराबर हुआ है। गांव - गांव में सड़कों का जाल ग्रामीण सड़क विकास के तहत बना। बिजली की स्थिति आज भी 1990 वाली हैं जो उस समय 100 वाट का बल्ब जलता था तो जैसी बिल आज 2-10 वाट के बल्ब में भी आ रहा है। बिजली कब आती हैं यह आज भी सवाल हैं खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में। स्वास्थ्य सेवा जो श्रीकृष्ण सिंह के मुख्यमंत्री काल में गांव - गांव तक बना उसकी स्थिति कोमा कहना ग़लत होगा क्योंकि वह कब श्मशान में बदल दिया गया है।

हाजीपुर शहरी क्षेत्रों की बात की जाए तो दो बार इसका सीमा बढ़ाया गया है पिछले 25 वर्षों में, लेकिन एक भी नगर परिषद का वार्ड कचड़ा प्रबंधन, सड़क सुरक्षा, अतिक्रमण मुक्त, बिजली युक्त, पेयजल आपूर्ति जैसी व्यवस्था को लेकर खड़ी हो। राजनीतिक गलियारों में पुनः हाजीपुर नगर परिषद का क्षेत्र बढ़ने और नगर निगम होने की हवा चल रही हैं और परिणाम यह होना है कि गांव का अस्तित्व ख़तरे में डाला जाने वाला है। गांव के लोगों को जबरदस्ती नगर क्षेत्र में लाकर जमीन, घरों पर अवैध कब्जा व टैक्स वसूली की तैयारी हैं, मगर सुविधा - मतलब शून्य ही रहेगा।

हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थिति प्राईवेट लिमिटेड स्कूलों जैसे ही हैं जो आज से 5-10 पहले थी और कमोवेश आज भी 90% स्कूलों की हैं। स्कूलों में कपड़ा, बैंग, किताब, कलम, काॅपी, जुता, मोज़ा सब मिलता है और शिक्षा की बात करें तो आप अपने घर पर ट्यूशन लगवा लें। जिसमें आज अब दर्जनों स्कूलों से स्वयं में बदलाव लाकर स्कूलों को बच्चों के योग बनाया है तो इसके पीछे आम लोगों का जागरूक होना है। भले पैसे ज्यादा लग रहे हैं मगर व्यवस्था के साथ गुणवत्ता में बहुत सुधार हुआ है।

वैसे ही हाजीपुर की जनता अब सीधे तौर पर विधायक का चेहरा बदलना चाहती हैं। मोदी के नाम पर हाजीपुर का सीट 2014 के बाद कार्यकत्ताओं से छिन कर एक कार्यालय खजांची और व्यक्तिगत काम करने वाले को दे दिया गया और लगातार जीत भी हो रही हैं। वहीं अब मोदी समर्थकों को भी लगने लगा है कि 2000 से 2014 तक विधायक रहने वाले का व्यवहार आतंकी हो गया और लगातार बिना शर्त समर्थन देना घातक होते जा रहा है। इसलिए एक सीट हाजीपुर हार जाती हैं भाजपा तो उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन एक व्यक्ति का आतंक जैसे ही समाप्त होगा वैसे ही भाजपा को समीक्षा करना आसान हो जाएगा।

भाजपा का राजनीतिक सफ़र जब 2000 में शुरू हुआ तो गठबंधन में आज की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) थी और उसके मजबूत स्तंभ हुआ करते थे देव कुमार चौरसिया जो 2014 में नित्यानंद राय वर्तमान विधायक का सांसद बनने के बाद हाजीपुर सीट पर अपने सहयोगियों को ना देकर अपने यहां काम करने वाले को दे दिया जो कि महज व्यक्तिगत खजांची और व्यक्तिगत कार्यकर्ता था। जिसके कारण ही उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अवधेश सिंह के ख़िलाफ़ चुनाव निर्दलीय लड़ें और मजबूत स्थिति बनाई। जिससे भाजपा की जीत के बावजूद यह तय हो गया कि आने वाला कल देव कुमार चौरसिया का हो सकता हैं।

पुनः भाजपा और जदयू का साथ आना देव कुमार चौरसिया के लिए राजनीतिक रास्ता बंद हो गया जिसके बाद विपक्षी दल राजद में जाकर देव कुमार चौरसिया ने अपनी उम्मीदवारी से जोड़ का झटका जरूर दिया। 2020 के चुनाव में देव कुमार चौरसिया महज 2990 वोटों से ही पिछड़े, जिसको लेकर भाजपा बड़ी सकंट में नज़र आती है। देव कुमार चौरसिया का अपना व्यक्तित्व हैं जो कि एक अच्छे व्यक्ति, व्यापारी, समाजसेवी और मृदुभाषी के साथ सुलभ रूप में लोगों के बीच मौजूद रहते हैं। इसलिए 2025 का विधायक चुनाव भाजपा और नित्यानंद राय के लिए बहुत बड़ी संकट पैदा करने वाली नज़र आती हैं।

वैसे भी नित्यानंद राय का राजनीतिक सफ़र अब बहुत बड़ा मोड़ लेने को तैयार हैं और तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ भाजपा राघोपुर से लड़ने का संकेत दे चुकी हैं। तेजस्वी यादव को हराने की जिम्मेवारी जहां नित्यानंद राय पर हैं तो स्वाभाविक तौर पर केन्द्रिय गृहराज्यमंत्री का दायित्व छोड़कर चुनाव मैदान में उतरना होगा। नित्यानंद राय के लिए दोहरी संकट हैं कि वह खुद का सीट राघोपुर से बचायें या हाजीपुर से अवधेश सिंह को जीताकर ले जाएं।

भाजपा अगर जैसा दबाव नित्यानंद राय के भरोसे कर रही हैं वह संभव तब तक नहीं हैं जब तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से किसी और को भाजपा से टिकट विधानसभा का नाम मिले। वहीं भाजपा जो लगातार चुनाव के समय हिन्दुत्व को जगाओ लेकर बढ़ती है उस वक्त में हाजीपुर से एक ऐसे हिन्दुवादी को टिकट दे जिसने हिन्दुत्व को लेकर जन - जन में जागृति पैदा किया हो। हिन्दू राष्ट्र धर्म सर्वोपरि के नारे को बुलंद करने वाले युवाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। जिससे भाजपा के साथ NDA का अन्य विधानसभा क्षेत्र वैशाली जिले में सुरक्षित रह सके।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आतंरिक व्यवस्था में भले ही नित्यानंद राय के डर से कोई उम्मीदवार बनने की इच्छा जाहिर ना कर सके लेकिन जनतंत्र में जनता का सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को नित्यानंद राय को राघोपुर से और हिन्दुत्व को लेकर चलने वाले किसी युवा को हाजीपुर से विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहिए ताकि दो सीट सुरक्षित रख पायें और वैशाली जिले के अन्य सीटों पर इसका सीधा असर देखने को खुद ही मिलने लगेगा।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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June 23, 2025
Ahaan News

कोई बोलतई रे :- पार्ट - 2, नगर परिषद सभापति की सहमति से मौत की दुकान चलाई जा रही हैं, वहीं संरक्षण से ठेकेदार ने किया सड़कों पर अतिक्रमण

भाजपा के पोषित नगर परिषद, हाजीपुर, सभापति ने सभापति पद को राजनीतिक दल के चरणों में समर्पित कर दिया

नगर परिषद हाजीपुर को अगर नरक परिषद, हाजीपुर कहे तो बुरा नहीं होगा। सभापति का चुनाव इस बार तथाकथित तौर पर सीधे जनता के हाथों में था लेकिन बागडोर संभाली भाजपा ने और सभापति बना लिया। वर्तमान सभापति को पूर्व में सभापति पद दिलाने वालों को छोड़ नई गिरफ्त में आकर सीधे चुनाव में जीत हासिल की। वहीं राजनीति में इतनी तेजी से बढ़ते हुए जिनको भी देखा गया है उसका राजनीतिक अंत बहुत बुरा होता हैं। तब और बुरा वक्त होता हैं जब भाजपा का समर्थन हो और एक छोटी सी गलती के साथ मिट्टी में खुद मिला देती हैं भारतीय जनता पार्टी।

खैर भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का लगातार 2000 से आज 2025 तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा हैं। हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में ही BJP का मुख्य अड्डा कहे या मजबूती हैं, लेकिन हाजीपुर क्षेत्र में गुड्डा गर्दी बहुत ज्यादा है। नगर परिषद हाजीपुर क्षेत्र में कोई भी कार्य होता है तो आज सीधे तौर पर BJP के देख रेखा में ही होता है और बात करें तो पिछले एक दशक से ज्यादा समय से सिवरेज और नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में खुदाई का काम चल रहा है।

सिवरेज और नमामि गंगे योजना दोनों हाजीपुर शहर को जल जमाव से मुक्ति के लिए चलायें जाने वाली ऐसी योजना हैं जिसमें अबतक हाजीपुर में दर्जनों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर चुकी हैं और रोजना खिलवाड़ कर रही हैं। 

आज हम एक छोटे से मगर बहुत गंभीर क्षेत्र की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं। चंद महीने कहना ग़लत होगा लगभग तीन महीने से हाजीपुर शहर में सड़क निर्माण का खेल चल रहा है। खेल ऐसा की सड़क निर्माण में चारकोल का प्रयोग किया जा रहा है जिससे उस क्षेत्र में सांस लेना मुश्किल हो जाता हैं। बच्चों एवं बुजुर्गों के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए और भी भयावह होता हैं। लेकिन चारकोल खुब जलाया जा रहा है और हर कोई उससे परेशान हैं।

मगर बोले कौन ?

बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?

किसमें हिम्मत है कि यह सवाल कर दे कि यह ठीक नहीं है?

सवाल करने या पुछने वाले पर सरकारी काम में बाधा या रंगदारी मांगने का केस दर्ज होने में सेकेंड भर भी नहीं लगेगा। इसलिए आम लोगों में यह हिम्मत नहीं होती है अब कि वह सवाल भी कर सकें। 

वहीं आपको बता दें कि गुदरी रोड में लगभग 5 सालों से सिवरेज और नमामि गंगे योजना का काम चल ही रहा है लेकिन फिर भी खुदाई कार्य संपन्न नहीं हुआ है। वहीं पिछले दो महिने से राजेन्द्र चौक से गुदरी रोड में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। जिसमें चारकोल को जलाकर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है जिसके कारण इस क्षेत्र में लोगों का जीवन संकट में जानबूझकर डाला गया है। जहां चारकोल जलाने के लिए राजेन्द्र चौक पर लगभग 15-20 दिन मशीनों को रखा गया, वहीं आगे बढ़ाकर खाद्यी भंडार के पास लगभग 30-40 दिनों से उपर मशीनों को रखा गया और चारकोल जलाने की सारी नीचता का परिचय दिया गया।

वहीं अब लगभग 15-20 दिन पहले खाद्यी भंडार के पास से मशीनों को हटा लिया गया है मगर चारकोल के जले हुए हिस्से, कुछ और आवश्यक सामग्री जो सड़कों में प्रयोग किया जाता हैं उसे यही छोड़ दिया गया है। जिसके कारण आम लोगों को समस्या तो हो ही रही हैं वहीं दुकानदारों को भी 10 घंटे अपने दुकानों पर रहना पड़ता है और उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी होती है।

इस संबंध में पूर्व जिलाधिकारी यशपाल मीणा को धरातल पर स्थिति दिखाकर सफाई को कहा गया था लेकिन दलाली में लिप्त व्यवस्था में कुछ किए बगैर निकल दिए। ठेकेदार को कई बार कहा गया तो कहता है जहां जाकर कहना है कह दिजिए कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

तब जाकर यह बात समझ में आती हैं कि - कोई बोलतई रे.....

खैर आपको जानना चाहिए कि चारकोल आपके जीवन के लिए कितना ख़तरनाक है।

हाँ, चारकोल जलने पर आमतौर पर काला धुआं निकलता है। यह धुएं में मौजूद कार्बन कणों के कारण होता है। चारकोल के जलने से लोगों को कई तरह से नुकसान हो सकता है। मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता और श्वसन संबंधी समस्याएं। चारकोल के जलने से निकलने वाला धुआं हानिकारक गैसें और कण छोड़ता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता:

चारकोल के अधूरे दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस निकलती है, जो एक जहरीली गैस है। CO रक्त में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। 

श्वसन संबंधी समस्याएं:

चारकोल के धुएं में मौजूद कण और रसायन फेफड़ों में जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी, और अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी पहले से मौजूद श्वसन स्थितियों का बढ़ना हो सकता है।

अन्य स्वास्थ्य जोखिम:

लंबे समय तक चारकोल के धुएं के संपर्क में रहने से हृदय रोग, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए अधिक खतरा:

ये समूह चारकोल के धुएं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें अधिक नुकसान हो सकता है।

उपरोक्त सभी जानकारी को ध्यान में रखते हुए डाक्टर के संपर्क में जरूर रहें। स्वास्थ्य विभाग यह जानकारी देता है कि चारकोल जलाने से वातावरण अशुद्ध हो जाता है और उसके संपर्क में आने से जीवन बहुत प्रभावित होता हैं।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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