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July 17, 2025
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दो गुजराती में फर्क : एक गुजराती जिसे चंपारण सत्याग्रह से सत्य और अहिंसा के लिए जाना तो वहीं दूसरा गुजराती चंपारण में झूठ, फरेब और ठग्गी के लिए जाना जाता हैं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को बंधक बनाकर लोगों को बिहार में रखना चाहिए कि तुमसे ना हो पाएगा, अब बकस दो

ना पढ़ेगा इंडिया तभी तो सवाल नहीं कर पाएगा इंडिया 

इसी सिद्धांत के तहत पुनः अपने राजनीतिक और सामाजिक रैलियों में दिए जाने वाले भाषणों को जुमला कहने वाले 52वीं बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी कल सुबह 10 बजे मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में आ रहे हैं। महात्मा गांधी से नफरत करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को गांधी के सहारे ही आना पड़ रहा है। मोतिहारी नाम आते ही पूरे ब्रह्मांड में एक ही नाम आता हैं महात्मा गांधी और उनका अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ हल्ला बोल। जहां महात्मा गांधी को मोतिहारी से एक पहचान मिली और एक मजबूत रास्ता कि उन्हें विश्व स्तर का नेता बनाया और उसमें सत्य के साथ अहिंसा हथियार के रूप में रहा। वहीं उसके विपरीत आज आजाद भारत में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी मोतिहारी में जब भी आये झूठ बोलकर गए और फरेब कर लोगों का वोट लेकर ठगने का काम किया।

आपको बता दें कि भाजपा के नेताओं का सोशल मीडिया पर नया प्रोपगंडा शुरू हो गया है। जिसके अनुसार - "52वीं बार मोदी जी आ रहे हैं बिहार, बिहारवासियों को देने फिर से करोड़ों की सौगात, हर दिल में है उत्साह, हर नज़र को है इंतज़ार!"। कल 18 जुलाई को सुबह 10 बजे मोतीहारी के गाँधी मैदान में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में राजनीतिक सफ़र को सरकारी खर्चों पर शुरू किया जाएगा। भारत की आम जनता के मेहनत की कमाई को भारत सरकार और बिहार सरकार ने अपने स्तर पर बांट लिया। वहीं भारत सरकार के पास अधिक शक्ति होने के कारण जनतंत्र के जनता का शोषण कर धन जमा करने का अधिकार ज्यादा है और उसी में से बिहार सरकार को कुछ जुमले के रूप में परोसा जाएगा।

जुमले के रूप में इसलिए क्योंकि 2015 विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने मुजफ्फरपुर में चुनाव के पहले जैसे 18 जुलाई को आ रहे हैं कि तरह आकर बिहार की बोली लगाई थी और जो पैसे या धन राशि की घोषणा हुई आज तक नहीं आया। उसी तरह जो पैसे 10 साल पहले कहें गए वह नहीं आया तो कल मोतिहारी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जो बोलेंगे उसे जुमलेबाजी से ज्यादा कोई नहीं समझेंगा। 

18 जुलाई 2025 को तो बिहार और बिहारी को तैयार होकर रैलियों में भीड़ जुटाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को घेरे और बंधक बनाकर पूछे यहीं गांधी चौराहे पर पूछेंगे सवाल और जवाब देकर तब जाओगे दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी बहुत हो गया है बिहार के साथ धोखाधड़ी और झूठे और जुमलों के साथ बिहार अब आपको माथे पर नहीं बिठाएगी। बिहार में बिहारियों के सम्मान की बात है और अब नौटंकी नहीं चलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी पर बिहार भरोसा नहीं करता है इसलिए इस बार जुमलेबाजी के चक्कर में नहीं पड़ेगा बिहार।

18 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी आ रहे बिहार, चलो घेरों और करो सवाल  के साथ बिहार को आगे बढ़ना चाहिए।

जागो बिहार जागो

जय बिहार जय बिहारी 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 17, 2025
Ahaan News

कौन जिम्मेदार इस पर बात नहीं, परिवार की हत्या होती हैं और परिवार व रिश्तेदार तक चुप वहीं समाज अपनी बारी के इंतजार में ?

भारत का संविधान नपुंसक ही दिखाई देता है जिससे कुछ पैदा नहीं हो सकता हैं, इसलिए सत्ताधारी व विपक्षी एक दूसरे पर निर्भर होकर जिम्मेवारी से मुक्त रहते हैं

आखिर परिवार, रिश्तेदार, मित्र और समाज की एक व्यक्ति के जीवन में क्या स्थान रखता है। परिवार पैसे वाले को प्राथमिकता देता है जो बच्चा घर में ज्यादा पैसा देता है, रिश्तेदार वहीं स्थिति में हैं जहां परिवार खड़ा हैं। मित्र पर सबसे ज्यादा उम्मीद और भरोसा होता हैं लेकिन अब मित्रता भी मऊगा हो गया है। और रही समाज की बात तो वह यह देख रहा है कि मेरे साथ तो नहीं हुआ है और अपनी मौत का इंतजार करते रहता है। भारत का परिवेश पूर्णतः बदल गया है और यहां जिम्मेदारी किसी की नहीं होती हैं। यहां का प्रशासनिक संरचना इतना निम्न स्तर का है कि वह स्वयं से देखकर कोई फैसला नहीं करता है और आवेदन का इंतजार करता रहता है। आंखों के सामने होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं पर या अवैध कब्जा व निर्माण पर किसी व्यक्ति के मौत के बाद भी चुप रहने की ताकत रख पाता है।

भारत का संविधान नपुंसक बना कब तक इस देश की जनता के साथ खिलवाड़ करता रहेगा। संविधान में सरकार को किसी बात के लिए जिम्मेदार ठहराया ही नहीं हैं और अगर जिम्मेदार ठहराया होता तो अबतक कितने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को मौत की सज़ा हो चुकी होती। लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कुछ भी करें और आम लोगों की हत्या करते रहें लेकिन संविधान उसके खिलाफ नहीं जा सकी आज तक। भारत में भारत का संविधान राष्ट्रपति के नाम से संचालित होता हैं और राष्ट्रपति भारत में अब अनुकंपा और दया पर बनता है। वैसी स्थिति में राष्ट्रपति मुख्य संरक्षक बनकर भारत की जनता के लिए अपराधमुक्त प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चयन कराते आ रहे हैं।

आज परिवार के किसी सदस्य को कोई गोली मारकर चला जाता हैं और उस परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने आकर सवाल करने वाले खाकी वर्दी से दो थप्पड़ जड़ कर सवाल नहीं करता कि तू् किस बात का पैसा लेकर इस क्षेत्र में रहता है। कोई अधिकारी जो अपने आप को IAS/IPS कहता है और उसके हस्ताक्षर से ही हथियार मिलता है तो किस व्यक्ति को यह हथियार दिया जिससे मेरे परिवार के सदस्य को गोली मारी गई? परिवार यह सवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा सकता हैं वहां के स्थानीय विधायक और सांसद से की किस बात का टैक्स वसूली करते हो जब हमारे परिवार को ही मरवा देते हो ?

परिवार में किसी की भी हत्या होती हैं तो परिवार खत्म होने के कगार पर आ जाता हैं। संविधान को एक गंभीर और जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है। अगर कोई भी अपराधी है तो संविधान सजा दिलाए। अगर संविधान के संचालक अवैध गैंग बनाकर संसद में बैठकर लोगों की हत्या कराते रहे तो कल इस देश में 50% आबादी हथियार लेकर खड़ा मिलेगा। भारतीय जनता को मतदान करते समय वैसे सभी को समझना चाहिए जो उस क्षेत्र में चुनाव में आते हैं। नेतृत्व क्षमता जिसमें ना हो और हमारी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता हैं वैसे सांसद और विधायक नहीं चुने जाने की जगह उम्मीदवार ही नहीं हो।

सदनों के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी का सर आम लोगों के सामने झुका हुआ रहना चाहिए। सदनों के सदस्यों को और प्रशासनिक अधिकारी को सर उठाना हैं तो आतंकी व्यवस्था पर उठायें। आम लोगों को लेकर गंभीरता से विचार करने में भागीदारी सुनिश्चित करने वाले लोगों को लेकर समाज को विचार करना चाहिए। 

डर का माहौल ना बनाये कानून से न्याय का रास्ता प्रशस्त करें। - राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 15, 2025
Ahaan News

काजल राघवानी की पारिवारिक और सामाजिक फिल्म "वैदेही" 18 जुलाई को होगी रिलीज, पटना में ट्रेलर हुआ लॉन्च

एक आदर्श बहू, बेटी और स्त्री की भूमिका में हैं, जो पारिवारिक मर्यादा और आत्मसम्मान को केंद्र में रखती हैं

भोजपुरी सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री काजल राघवानी एक बार फिर सशक्त भूमिका में बड़े पर्दे पर नजर आने वाली हैं। उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म "वैदेही" 18 जुलाई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। इससे पहले पटना के होटल एग्जॉटिक में फिल्म का भव्य ट्रेलर लॉन्च किया गया, जिसमें फिल्म की प्रमुख कास्ट और निर्माण टीम मौजूद रही।

ड्रीमलैंड एंटरटेनमेंट हाउस के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन और लेखन वीरू ठाकुर ने किया है, जबकि निर्माण की जिम्मेदारी अरुण पाण्डेय ने निभाई है। ट्रेलर लॉन्च के मौके पर अभिनेता प्रकाश जैश ने कहा कि यह फिल्म सामाजिक सरोकार और पारिवारिक मूल्यों पर आधारित है, जो महिला प्रधान फिल्म है। उन्होंने दर्शकों से फिल्म को परिवार के साथ देखने की अपील भी की। ऐसे फिल्मे बड़ी मेहनत से बनती है। इस फिल्म में एक आदर्श बहू, बेटी और स्त्री की भूमिका में हैं, जो पारिवारिक मर्यादा और आत्मसम्मान को केंद्र में रखती हैं। उनके अभिनय में भावनाओं की गहराई और संवाद अदायगी की सशक्तता स्पष्ट रूप से दिखती है। फिल्म का हर दृश्य दर्शकों को नारी शक्ति का अहसास कराता है।

फिल्म "वैदेही" में अहम भूमिका निभा रहे नवोदित अभिनेता मनीष तिवारी ने ट्रेलर लॉन्च के दौरान कहा कि वैदेही सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव है। इसमें हमारी संस्कृति, परंपरा और नारी सम्मान की गहराई को बखूबी दिखाया गया है। यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगा। मुझे खुशी है कि मैं इस तरह की संजीदा और सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म का हिस्सा बना हूं।



फिल्म वैदेही में काजल राघवानी के साथ-साथ नवोदित मनीष तिवारी, काजल राघवानी, मनोज टाइगर, प्रकाश जैश, विनय बिहारी, लाडो मधेशिया, शिल्पी राघवानी, लोटा तिवारी, संजय वर्मा, धामा वर्मा जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे। फिल्म की कहानी एक ऐसी नारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने संस्कार, संघर्ष और स्वाभिमान से पूरे समाज के लिए एक मिसाल बन जाती है। फिल्म का संगीत भी इसकी एक प्रमुख ताकत है। मधुकर आनंद द्वारा संगीतबद्ध गीतों को प्यारे लाल यादव, संतोष उत्त्पाती, यादव राज और संदीप साजन ने लिखा है। नृत्य निर्देशन कानू मुखर्जी और सोनू प्रीतम ने किया है, जो फिल्म में काजल की स्क्रीन प्रजेंस को और जीवंत बनाते हैं। छायांकन की जिम्मेदारी जी.एल. बाबू ने और संपादन संतोष हराबड़े ने किया है।

फिल्म "वैदेही" केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह परंपरा और आधुनिक सोच के संतुलन को प्रस्तुत करती है और उन दर्शकों के लिए खास है जो परिवार केंद्रित और भावनात्मक सिनेमा से जुड़ाव रखते हैं। निर्माता और निर्देशक ने फिल्म को एक ऐसी प्रस्तुति बताया जो पटकथा, संवाद और अभिनय की गहराई के लिए जानी जाएगी।

18 जुलाई को जब यह फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देगी, तो दर्शक एक संस्कारों से भरी, प्रेरणादायक और भावनात्मक कहानी से रूबरू होंगे, जिसकी झलक पहले से ही ट्रेलर में नजर आ रही है। काजल राघवानी की यह भूमिका निश्चित रूप से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाएगी। मौके पर अभिनेता धामा वर्मा, फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर शशि भूषण मौजूद रहे।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 14, 2025
Ahaan News

बौद्धिक विचार मंच : हाजीपुर के रजत जयंती समारोह में पटना के कई चिंतक,साहित्यकार और राज-नेताओं के पधारने की संभावनाए है

संरक्षक और मार्ग दर्शक विपिन चन्द्र विपल्वी भी सभा में उपस्थित रहे


'बौद्धिक विचार मंच ' हाजीपुर, बैशाली के जिला ईकाई की बैठक पटेल सेवा संघ के परिसर में जिलाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार रतन की अध्यक्षता में  तथा संचालन जिला ईकाई कै सचिव चन्द्र भूषण सिंह  शशि के द्वारा किया गया। इसके संरक्षक और मार्ग दर्शक विपिन चन्द्र विपल्वी  भी सभा में उपस्थित रहे। विषय प्रवेश कर  समारोह का श्रीगणेश  करते हए  विपिन चन्द्र विपल्वी ने बौद्धिक मंच के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आने बाले 11 सितंबर  को हाजीपुर में बौद्धिक विचार मंच  का रजत जयंती समारोह  मनाया जाएगा।


जिसमें स्थानीय और राजधानी पटना के कई चिंतक, साहित्यकार और राजनेताओ  के पधारने की संभावना है। अध्यक्ष  रवीन्द्र कुमार रतन  ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य  में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिभावान छात्र- छात्राओं का चयन कर उन्हे  पुरस्कृत, और सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए  स्थानीय  विद्यालयों के प्राध्यापक एवं प्राचार्यों से संपर्क कर तय विषय पर आलेख आमंत्रित कर  सर्वश्रेष्ठ एवं प्रथम, द्वित्तीय  एवं तृतीय को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाएगा। मार्गदर्शन  विपिन  जी एवं अध्यक्ष  की राय से समिति में डाॅ शिवालक राय प्रभाकर जी को उपाध्यक्ष  एवं प्रो0 जनार्दन प्रसाद सिंह  को सलाह कार नियुक्त किया गया। समिति में आज मुख्य रुप से उपस्थित  प्रो0 जनार्दन प्रसाद सिंह, कवि शिवालय राय प्रभाकर, ओम प्रकाश साह, विपिन चन्द्र विपल्वी, रवीन्द्र कुमार रतन, चन्द्र भूषण सिंह शशि, अधिवक्ता रघुवीर प्रसाद सिंह, सुधीर कुमार सिंह, घूरन राय, शंभू प्रसाद सिंह, हृषीकेश कुमार सिंह एवं नीतेश कुमार सिंह आदि ने भी अपने-अपने विचारों एवं सुझावों से समिति को अवगत कराया ।


वरिष्ठ सदस्य अधिवक्ता रघुवीर सिंह ने आए सदस्यों का आभार एवं धन्यवाद प्रकट करते हुए  सभा की कार्रवाई समाप्त होने की घोषणा की ।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 14, 2025
Ahaan News

पहले कौन हटेगा अपने पद से - मोहन भागवत या नरेंद्र दामोदर दास मोदी

11 सितंबर को मोहन भागवत होंगे 75 साल के तो वहीं अगले 6 दिन बाद 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी होंगे 75 साल के

राजनीति एक ऐसी जगह है जहां नियम और कानून सिर्फ और सिर्फ जनता के लिए होता हैं। जनता को हर काम समय पर करना होगा नहीं तो आर्थिक दंड तो पहले और फिर मानसिक प्रताड़ना भी रखा गया है। वहीं भारत सरकार का सही संचालन भी बहुत बड़ी बात है क्योंकि संविधान सरकार पर लागू होता नहीं है। भारतीय संविधान को गंभीरता से देखते हैं तो आज तक भारत सरकार के संचालन की जिम्मेवारी जिसे सौंपी गई है वह पद होता हैं प्रधानमंत्री का। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के कार्यकाल पर नज़र डालें तो भारत की जनता के लिए वादों के अलावा कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने पिछले 11 वर्षों में इतनी योजनाओं का शिलान्यास किया कि उसे सही से लागू कर दिया जाता तो अमेरिका, चीन, रूस, जापान जैसे देशों की 10 वर्षों का संयुक्त बजट भी कुछ कम पड़ जाती। लेकिन भारतीय संविधान ने भारत की आम जनता को जिम्मेदार ठहराया है ना कि प्रधानमंत्री को, इसलिए प्रधानमंत्री कुछ भी बोले या कुछ भी करें उसे हटाया जा सकता है राजनीतिक दल की प्रतिष्ठा बचाने के लिए मगर सजा नहीं दी जाएगी।

इससे आगे बढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने RSS के प्रमुख एजेंडों को पिछले 11 वर्षों में लागू कराया जिसके लिए लोगों ने मतदान किया था। जिसके बाद धीरे-धीरे परिस्थितियों में बदलाव हुआ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को यह लगने लगा कि उनके ही नाम पर सबकुछ संभव हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने स्वयं को भगवान तक घोषित करने में देरी नहीं की और भाजपा और RSS के संगठनात्मक संरचना को भी स्वयं के भरोसे दिखाने का हर संभव प्रयास किया। जिसका परिणाम ही था कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (जे. पी. नड्डा) ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा कि - "वाजपेयी के समय में पार्टी को खुद को चलाने के लिए RSS  की जरूरत थी क्योंकि उस समय भाजपा कम सक्षम और छोटी पार्टी हुआ करती थी।"

जगत प्रकाश नड्डा उर्फ जे. पी. नड्डा के वक्तव्य के साथ ही RSS और BJP में बड़ा खाईं बन गई। जिसका परिणाम रहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में 400+ पार का नारा और RSS की जरूरत अब भाजपा को नहीं ने भाजपा को रोड पर खड़ा कर दिया। यह सब नरेंद्र दामोदर दास मोदी के इशारों पर उनकी कुछ जुमला टीम जैसे अमित शाह, जे. पी. नड्डा और सोशल मीडिया सब मिलकर RSS को ही बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। RSS के साथ हुए खेल को धरातल पर खड़े स्वयंसेवकों ने थोड़ा आंख दबा दिया और स्वयंसेवकों की चुप्पी ने आम मतदाताओं को जोड़ने की जगह छोड़ दिया। भारतीय जनता पार्टी की स्थापना और उसे मजबूती करने में RSS ने पूरी दुनिया झोंककर लगातार मजबूत करने का काम किया।

भारतीय जनता पार्टी को सींचने और मजबूती प्रदान करने के लिए जो ताकत नरेंद्र दामोदर दास मोदी को RSS ने दिया और उस ताक़त के आर में 75 साल से उपर के नेताओं का रिटायरमेंट तय करने की हिम्मत जुटा सकें थे 2014 में सत्ता में आने के साथ ही। वहीं 10 साल तो नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने बड़े मजे से काटे लेकिन अपनी ही लकीर में खुद ही फंस गए। नरेंद्र दामोदर दास मोदी को इतना घमंड हो गया था कि खुद को भगवान और सबसे ताकतवर मान लिया और सोशल मीडिया और मिडिया नेटवर्क का प्रयोग कर जन मानस के मन में मोदी और सिर्फ मोदी नाम बसा दिया। यहीं नरेंद्र दामोदर दास मोदी का घमंड आज उनके राजनीतिक भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया और अब मोदी का भी अब रिटायरमेंट तय हो गया है क्योंकि अब वह पूर्ण बहुमत में नहीं आ पाए और वहीं भाजपा को मजबूत रख पाने में विफलता पाई है। 

आपको जानना चाहिए कि भारतीय राजनीति में उम्र की सीमा नहीं रही हैं और भारतीय संविधान में कोई कानूनी व्यवस्था भी नहीं की गई हैं। लेकिन RSS ने जो ताक़त देकर नरेंद्र दामोदर दास मोदी मजबूत किया वहीं मोदी RSS के प्रमुख सर संघचालक मोहन भागवत के ही उपर हमलावर अपने गैंग के माध्यम से शुरू कर दिया। जिसमें यह बात उठाई गई कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी तो 17 सितंबर को 75 साल के हो रहे है वहीं मोहन भागवत तो मोदी से 6 दिन पहले ही 11 सितंबर को 75 साल पुरा कर रहे हैं। लेकिन नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने अपने उपर वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शन में रखा था और यह सोच़ कर की उनका दबाव नहीं रहें। उसी तरह मोहन भागवत को भी मार्गदर्शन मंडल में बैठाने में अपनी ताक़त और प्रोपगंडा टीम के माध्यम से ट्रोल करना शुरू कर दिया।

लेकिन अब यह तय है कि मोहन भागवत पर 75 साल का कोई बैरियर नहीं है लेकिन नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने जो खेला किया था उनके साथ वैसा ही होना तय है। बस देखना है कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी ताक़त के घमंड में स्वयं का सम्मान ना खत्म कर लें। इसलिए 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी की इज्जत के साथ विदाई समारोह हो जाए और साथ ही साथ RSS हमेशा मजबूत स्तंभ बनकर भाजपा को पोषित करती रहें यही समाज की ओर से आती आवाज़ हैं।

(नोट :- बिहार विधानसभा चुनाव तक संभवतः नरेंद्र दामोदर दास मोदी को रखा जा सकता हैं और उसके बाद ही नया प्रयोग शुरू हो)

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 13, 2025
Ahaan News

लद्दाख से लेकर पंचमहाभूत तक — पटना में भारत की सांस्कृतिक विरासत पर हुआ गहन संवाद

संगोष्ठी के दौरान उपस्थित छात्रों, शोधार्थियों और आम जनों ने विभिन्न सत्रों में अत्यंत रुचि दिखाई और संवाद-सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया।

पुरातत्व निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा बिहार संग्रहालय, पटना के ऑडिटोरियम सभागार में “भारत के शैलचित्र एवं पुरातत्व” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर से पुरातत्व, इतिहास एवं शैलचित्र विषयों के विख्यात विशेषज्ञों, विद्वानों, शोधार्थियों तथा छात्रों ने सक्रिय सहभागिता की।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से की गई, तत्पश्चात अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का स्वागत भाषण श्रीमती रचना पाटिल, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने संगोष्ठी की अवधारणा, महत्व एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। शैक्षणिक सत्रों में प्रो. वी. एच. सोनावाने, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, बड़ोदरा विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा “Glimpse of Indian Rock Art” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता एक जीवंत सभ्यता है।

प्रो. बंशी लाल मल्ला, पूर्व विभागाध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली द्वारा “Genesis of Indian Art” विषय पर प्रस्तुति दी। सभागार में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर धर्मों में अभिव्यक्ति को तस्वीरों के मदद से प्रदर्शित किया जाता है। आगे इन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन पंच महाभूत से जुड़ा हुआ है। हम लोग प्रकृति से बहुत नजदीकी से जुड़े हुए हैं।

डॉ. एस. बी. ओटा, सेवानिवृत्त संयुक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा “Earliest Inhabitants of Ladakh and Their Artistic Creativity” विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति के दौरान इन्होंने स्पष्ट किया कि लद्दाख में सबसे ज्यादा रॉक आर्ट है। डॉ. ऋचा नेगी, विभागाध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली ने “Rock Art and Ethnoarchaeology” विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने प्रस्तुति के दौरान इन्होंने कहा कि हमारी लोक परंपरा, लोकगीत और लोककलाओं में हमारा समृद्ध इतिहास छिपा है।

संगोष्ठी के दौरान उपस्थित छात्रों, शोधार्थियों और आम जनों ने विभिन्न सत्रों में अत्यंत रुचि दिखाई और संवाद-सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम का समापन सत्र अत्यंत गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की विशेष कार्य पदाधिकारी सुश्री कहकशाँ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी बिहार में सांस्कृतिक और पुरातात्विक चेतना को व्यापक स्तर पर जागृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 13, 2025
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भारतीय स्टेट बैंक पेंसनर्स एसोसिएशन पटना सर्किल के चयनित पदधिकरियों के स्वागत-सम्मान समारोह आयोजित मुख्य शाखा परिसर में हुआ

समारोह की अध्यक्षता वैशाली जिला ईकाई के अध्यक्ष सी वी सिंह एवं संचालन जिला ईकाई के सचिव भी पी विमल जी ने किया


भारतीय स्टेट बैंक, हाजीपुर  की मुख्य शाखा परिसर में भारतीय स्टेट बैंक पेंसनर्स एसोसिएशन पटना सर्किल के चयनित पदाधिकारियों, मुजफ्फरपुर के नेतागण  एवं हाजीपुर  के उत्कृष्ठ  सेवाधारी वरिष्ठ पेंसनरो को बूके देकर स्वागत एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित करने का समारोह आयोजित किया गया । समारोह की अध्यक्षता वैशाली जिला ईकाई के अध्यक्ष  सी वी सिंह एवं संचालन जिला ईकाई के सचिव भी पी विमल जी ने किया । सभा में मुख्य रुप से पटना सर्किल पेंसनर्स एसोसिएशन के सर्व मान्य नेता अध्यक्ष श्री सी पी सिंह, उपाध्यक्ष श्री टुनटुन बैठा एवं सबों के चहेते सचिव श्री हरेन्द्र प्रसाद जी के साथ-साथ पटना एवं मुजफ्फरपुर  के दर्जन नेता पेन्शनर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि के रुप में उपस्थित रहे।


सबो को अंगवस्त्र  एवं बूके तथा माला पहना कर स्वागत और सम्मानित किया गया । स्वागत सम्मान और अभिनंदन  करते हुए पेंसनर्स एसोसिएशन के जिला ईकाई के उपाध्यक्ष एवं हिन्दी बज्जिका के वरिष्ठ साहित्यकार रवीन्द्र कुमार रतन  ने सर्किल अध्यक्ष  श्री सी पी सिंह  को भारतीय स्टेट बैंक पेंसनर्स एसोसिएशन के सदस्यों
का ' हिर्दय सम्राट ‘ कहा और उनकी भावना को अपने शब्दो मे कहा:- ’जीना तेरी गली में ,मरना तेरी गली में , मरने के बाद चर्चा भी तेरी गली  (स्टेट बैंक समाज) में । सचिव श्री हरेन्द्र प्रसाद  जी की तुलना डाॅ राजेन्द्र प्रसाद  की सादगी ,सरलता एवं सहजता से करते हुए उन्हे सेवा और कर्मक्षेत्र  का पुजारी कहा । समयाभाव  के कारण बकिए सभी 25  चयनित और उत्कृष्ठ  कार्य  करने बालों सहित उपस्थित सारे लोगों का स्वागत औरअभिवंदन किया।

अपने अभिनंदन और स्वागत से अभिभूत  हो नेता श्री सी पी सिंह  ने कहा भारतीय स्टेट बैंक हमारा परिवार था ,है और रहेगा । बधाई  हमारी नही आप सबकी है जिसके स्नेह ,सहयोग और प्यार  के बल पर इस भारी  जिम्मेवारी  को निभाने की ताकत  मिलेगा । वरिष्ठ सदस्य अनिल श्रीवास्तव, अमर नाथ सिंह, विमल जी, नरेन्द्र  जी आदि ने सदस्यों की समस्या कीब ओर ध्यान आकृष्ट कराया जिसे दूर करने का सबने वादाकिया। सभा में मुख्य  रुप से शैलेन्द्र यादव, अमरनाथ सिंह, लक्ष्मीनारायण लाल दास ,जवाहर लाल  विद्यार्थी, नागदेव राय, आर बी दास,राम प्रवेश पटेल, जितेन्द्र सिंह, शैलेस कुमार सिंह  ,बी पी सिंह, ब्रह्मचारी जी, जगन्नाथ प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद दास, अशोक कुमार सिंह, अनिल श्रीवास्तव, दिनेश कुमार, रामचन्द्र प्रसाद, चौधरी साहब, यू एन दास, रवीन्द्र कुमार रतन, भी पी विमल, सी वी सिंह , निरंजन सिंहा, काले बादल, नरेन्द्र सिंह आदि ने भी अपने- अपने विचार रखे ।


अन्त में नरेन्द्र कुमार सिंह  ने धन्यवाद ज्ञापन  कर सबसे खाना खा कर ही जाने का अनुरोध कर सभा समाप्त होने की घोषणा की।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 13, 2025
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नित्यानंद राय, राघोपुर के बाद राजीव प्रताप रूडी भी सोनपुर से लड़ सकते हैं विधानसभा चुनाव

भाजपा देश के कई राज्यों में कमजोर पड़ती विधानसभा सीटों पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से उठाकर व सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ा चुकी हैं

नरेंद्र दामोदर दास मोदी का दौड़ समाप्ति पर हैं और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री भारत सरकार माननीय अमित शाह ने भी अपनी रिटायर्ड होने के संकेत दे दिए हैं। RSS ने नरेंद्र मोदी के साथ अमित शाह को लंबे समय तक भाजपा की बागडोर संभालने के लिए सुपूर्द किया लेकिन अब वह दौर समाप्त हो रहा है। RSS के प्रमुख सर सह संचालक मोहन भागवत ने एक अपने ब्यान में स्पष्ट कर दिया कि 75 की उम्र के बाद जगह स्वत: छोड़कर आने वाली पीढ़ियों को रास्ता देना जरूरी हो जाता हैं। इसके बाद बड़े बदलाव की स्थिति बन चुकी हैं और बहुत तेजी से बदलता हुआ संघ और भाजपा दिखने वाला है।

आपको जानना चाहिए कि जहां एक बड़ी सोशल मीडिया टीम भाजपा के पास हैं और उसका नेतृत्व नरेंद्र दामोदर दास मोदी के साथ हैं तो वहीं दूसरी ओर मोहन भागवत का संघ को मजबूती प्रदान करने वाला घर-घर तक संगठन हैं। अब जब मोहन भागवत ने उम्र को लेकर बात उठाई तो भाजपा के ट्रोल टीम ने मोहन भागवत को भी ट्रोल का हिस्सा बनाने में कोताही नहीं बरती हैं। आपको बता दें कि 11 सितंबर को मोहन भागवत होंगे 75 साल के तो वहीं अगले 6 दिन बाद 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी होंगे 75 साल के। 

नरेंद्र दामोदर दास मोदी को जिस तरह से संघ का साथ मिला और संघ ने हर क़दम पर मजबूती प्रदान किया उसी संघ से बड़े होने का दर्जनों बार नरेंद्र मोदी ने प्रयास किया है। जिसके कारण अब यह स्थिति बन गई है कि नरेंद्र मोदी और उनके भरोसे पर चलने वाले सांसदों की बहुत जबरदस्त राजनीतिक जीवन में बदलाव आने वाले हैं। जहां नरेंद्र दामोदर दास मोदी 75 साल के होने वाले हैं वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी सीट बचाते बचाते बचें। वहीं बिहार में आधा दर्जन सांसद हैं जिनका राजनीतिक भविष्य बदलने वाला है क्योंकि उनके संसदीय क्षेत्र से आने वाले रिपोर्ट और 2024 में हारते-हारते बचकर संसद में पहुंचना मायने रखता है

RSS कहें, संघ कहें या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ही नाम बस अलग-अलग तरीके से हम जानते हैं। संघ ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद धरातलीय हकीकत को जानने में दिलचस्पी दिखाई और हर एक का रिपोर्टकार्ड तैयार करवाया। इसी में जैसा कि हमने अपने आलेख संख्या 40 में (लिंक - https://ahaannews.com/Blog/Details/40 ) बताया था कि हाजीपुर के पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद उजियारपुर व केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय का राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना संभावित है। 

वैसे ही हार को छू कर निकलने वाले और राजशाही व्यवहार रखने वाले सारण के सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी का राजनीतिक सफ़र अब थमने वाला है। लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ बिहार में प्रमुख रूप से सवर्ण समाज वोट करता है और वहीं अन्य जातियों के जबरदस्त समर्थन के बावजूद राजीव प्रताप रूढ़ी ने लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या से महज़ 13661 वोटों से ही जीत हासिल कर पाएं थें। वहीं समाज में एक संदेश तो स्पष्ट हो गया कि वर्तमान सरकार ने राजीव प्रताप रूढ़ी का क़द बहुत छोटा कर दिया है।

ख़बर सबसे मजेद्दार यह हैं कि अपनी पुत्री के लिए सोनपुर विधानसभा क्षेत्र का सीट चाहने वाले राजीव प्रताप रूढ़ी अब खुद ही इसी सीट से उम्मीदवार बनाये जा सकते हैं। आपको जानना चाहिए कि सोनपुर के पूर्व भाजपा विधायक लगातार 2015 और 2020 का चुनाव हार कर अपनी दावेदारी को कमजोर कर चुके हैं। इसी का फायदा उठाने के चक्कर में राजीव प्रताप रूढ़ी ने अपनी पुत्री के लिए सोनपुर विधानसभा क्षेत्र का सीट चाह रहे थे। जिसके कारण अब सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में आपसी लड़ाई ना हो इसके लिए सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से राजीव प्रताप रूढ़ी को लाने की तैयारी हैं।

भाजपा का कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष बने लेकिन संगठन ने कई स्तरों पर निर्माण लेने में संघ के भी सर्वे रिपोर्ट पर मंथन कर रही हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक दो बार नरेंद्र दामोदर दास मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन भाजपा का लगातार स्तर कम होता चला गया है वहीं तीसरे चुनाव में संघ अपनी उपस्थिति दर्ज करेगी ताकि भाजपा मजबूत हो। और इसीलिए कई सांसदों को लोकसभा से निकाल कर बिहार विधानसभा चुनाव में लाने की तैयारी कई राज्यों में हुए प्रयोग के आधार पर संभावित है।

धैर्य के साथ आने वाली बिहार विधानसभा चुनाव को लोगों को देखने की जरूरत है और यह समझते हुए कि - "हर दिन होत ना एक समाना"!

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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July 11, 2025
Ahaan News

पटना वीमेंस कॉलेज में ‘स्वाहा: इन द नेम ऑफ फायर’ की विशेष स्क्रीनिंग, बिहार की महिलाओं को समर्पित ऐतिहासिक आयोजन

‘स्वाहा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की एक मजबूत आवाज है।

बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना को उजागर करने वाली पहली पूर्णत: मगही भाषा में बनी फिल्म ‘स्वाहा: इन द नेम ऑफ फायर’ की विशेष स्क्रीनिंग आज पटना वीमेंस कॉलेज के प्रतिष्ठित वेरोनिका ऑडिटोरियम में हुई। यह आयोजन बिहार में इस फिल्म की पहली औपचारिक प्रदर्शनी थी और खासतौर पर राज्य की कामकाजी महिलाओं को समर्पित किया गया था। स्क्रीनिंग का विधिवत शुभारम्भ  मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के मुख्य सूचना आयुक्त श्री त्रिपुरारी शरण के साथ, गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में श्री परवेज अख्तर वरिष्ठ थिएटर डायरेक्टर, स्मिता कुमारी, डीन आर्ट्स एंड ह्यूमेनिटीज, पटना वीमेंस कॉलेज के द्वारा संयुक्त रूप से की गयी।

उक्त अवसर पर बिहार के मुख्य सूचना आयुक्त श्री त्रिपुरारी शरण ने कहा कि सिनेमा कला के एक माध्यम के रूप में समाज को प्रतिबिम्बित करता है। यह एक सशक्त माध्यम है किसी फिल्म को कहने का। उन्होंने कहा कि फिल्म ‘स्वाहा: इन द नेम ऑफ फायर’, मुंबईया सिनेमा नहीं है, मगर इसे बेहद गहराईयों से बहुत सोच – समझ कर बनाया गया है। यह आम फिल्मों से हट कर है, जिसमें आज हमारे समाज में औरतों का स्टेट्स क्या है, इस लाइन पर यह फिल्म केन्द्रित है। सबों को यह फिल्म देखनी चाहिए। मेरी बहुत सारी शुभकामनाएं हैं। मैं फिल्म के निर्देशक अभिलाष शर्मा और निर्माता विकास शर्मा को कहूँगा कि इस फिल्म को हर प्लेटफ़ॉर्म पर दिखाएँ।  

प्रजना फिल्म्स द्वारा निर्मित फिल्म ‘स्वाहा: इन द नेम ऑफ फायर’ का निर्माण बिहार (राजगीर और गयाजी) में किया गया है और यह एक ऐसी महिला की मार्मिक कहानी को बयां करती है जो भय, चुप्पी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष करती है। फिल्म की पृष्ठभूमि बिहार की आत्मा से जुड़ी हुई है और यह महिला सशक्तिकरण की मजबूत आवाज बनकर उभरी है। इसको लेकर निर्देशक अभिलाष शर्मा ने बताया कि इस फिल्म की प्रेरणा मुझे उत्तर प्रदेश में बनी एक शार्ट एनिमेशन फिल्म देख कर मिली थी। इसमें बिहार के कलाकारों ने काम किया है। हमें उम्मीद है कि हमारी फिल्म को बिहार सरकार से भी प्रोत्साहन मिलेगी।

उन्होंने ‘स्वाहा’ मेरे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं, आत्मा की आवाज़ है। इसकी प्रेरणा मुझे "Animator vs. Animation" जैसी शॉर्ट फिल्म से मिली, जहाँ रचनाकार और रचना के बीच संघर्ष को दिखाया गया था। यही विचार धीरे-धीरे एक माँ और उसके बच्चे के बीच संघर्ष की कहानी में बदल गया — एक ऐसी माँ जो समाज के बोझ तले दबती चली जाती है। यह फिल्म विशेष रूप से बिहार के वंचित समुदायों, खासकर मुसहर समुदाय की पीड़ा को उजागर करती है। मैं मानता हूँ कि धर्म, जाति और गरीबी मिलकर कैसे लोगों को हाशिए पर धकेलते हैं — यही 'स्वाहा' का असली मतलब है: बलिदान।



फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट में शूट करने का फैसला भावनात्मक प्रभाव को गहराई देने के लिए था। ‘स्वाहा’ पूजा की आग में नहीं, ज़िंदगी की आग में जलने की कहानी है — एक माँ की, जो अपने बच्चे और समाज के लिए खुद को होम कर देती है। यह फिल्म बौद्ध दर्शन — दुःख, करुणा और निर्वाण — से गहराई से प्रभावित है। छोटे बजट में बनी यह फिल्म इस बात का प्रमाण है कि सिनेमा का असली जादू संसाधनों में नहीं, बल्कि सच्ची भावना और ईमानदार दृष्टि में होता है। 'स्वाहा' बनाना मेरे लिए आत्मिक अनुभव था — एक यात्रा, जिसमें मैंने न सिर्फ एक कहानी कही, बल्कि खुद को भी जाना, समझा और बदला।

विदित हो कि फिल्म ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी जबरदस्त पहचान बनाई है। इसे अब तक 30 से अधिक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया जा चुका है और यह कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुकी है। शंघाई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और अभिनेता का ‘गोल्डन गोब्लेट अवॉर्ड’ से सम्मान, न्यूयॉर्क के सोशल्ली रेलेवेंट फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ कथा फिल्म और इमैजिन इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (स्पेन) में 'लाइफ अवॉर्ड' जैसे सम्मान इसकी उत्कृष्टता के प्रमाण हैं।

स्क्रीनिंग से पूर्व ‘वूमन ऑफ सब्सटेंस’ सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें तीन प्रेरणादायी महिलाओं को उनके सामाजिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। पद्मश्री सुश्री सुधा वर्गीज (‘नारी गुंजन’), सुश्री ज्योति परिहार (‘किलकारी बिहार बाल भवन’) और सुश्री चेतना त्रिपाठी (‘चेतना फाउंडेशन’) को उनके अद्वितीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने बिहार की क्षेत्रीय भाषाओं, खासकर मगही के माध्यम से सशक्त फिल्म निर्माण की दिशा में यह फिल्म मील का पत्थर साबित होने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह फिल्म आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन सकती है, विशेषकर महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए।

‘स्वाहा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की एक मजबूत आवाज है। यह बिहार की मिट्टी, उसकी बोली और उसकी नारी शक्ति का प्रतीक है। आयोजकों ने मीडिया से अपील की कि वे इस फिल्म को राज्य के कोने-कोने तक पहुँचाने में सहयोग करें, ताकि यह सिनेमा बदलाव की एक नई लहर ला सके।

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July 11, 2025
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महाराष्ट्र में भाजपा ने जनादेश चोरी किया बिहार में चोरी रोकेंगे : तुषार गांधी

इस कार्यक्रम के साथ श्री अरविंद मोहन द्वारा लिखी पुस्तक "चंपारण में गांधी"का लोकार्पण भी तुषार गांधी के हाथों हुआ।

'बदलो बिहार, नई सरकार' अभियान के तहत आज महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी 12 जुलाई से 19 जुलाई तक 8 दिवसीय दौरे पर मुजफ्फरपुर पहुंचे। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा बिहार के चुनाव को चोरी करने का जो षड्यंत्र किया जा रहा है, उसके प्रति बिहार के नागरिकों को सजग करने के लिए वे यह दौरा कर रहे हैं।


उन्होंने कहा कि बिहार ना केवल चंपारण आंदोलन की धरती है बल्कि संपूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम से भी जाना जाता है।

उन्होंने आशा व्यक्त की है कि ऐसे बिहार के जागरूक मतदाता इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे। तुषार गांधी ने कहा कि मेरे परदादा महात्मा गांधी का जिस तरह का आत्मीय रिश्ता आजादी के आंदोलन के दौरान बिहार से रहा है, मैं उस रिश्ते की विरासत को आगे बढ़ाने आया हूँ l उन्होंने कहा कि मैंने महाराष्ट्र में जनादेश को चोरी होते हुए देखा है, उस चोरी को महाराष्ट्र के मतदाताओं ने पकड़ लिया था, इसके बावजूद भी चुनाव आयोग ने उनके साथ न्याय नहीं किया। बिहार में हम जनादेश चोरी नहीं होने देंगे।

तुषार गांधी ने कहा कि बिहार चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्देश दिया गया है यह गरीबों ,दलितों अतिपिछड़ों, अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने का प्रयास है। जबकि आजादी के बाद की सरकारों ने अधिकतम 
मतदाताओं को चुनाव से जोड़ने का काम किया था । उस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड जोड़ने का सुझाव दिया है। बेहतर होता कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को सुझाव देने की जगह आदेश देता। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ऐसा फैसला देगा जिससे बिहार का एक भी मतदाता अपने मताधिकार से वंचित नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के माध्यम से सरकार नागरिकता के मुद्दे पर अहम निर्णय करने का प्रयास कर रही है, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यह कार्य चुनाव आयोग का नही, गृह मंत्रालय का है।

उन्होंने कहा है कि देश में किसान आंदोलन एमएसपी की कानूनी गारंटी है और बिहार में मंडी व्यवस्था की बहाली की मांग कर रहे है। उसके समर्थन में किसानों को अपनी संगठित ताकत दिखानी चाहिए।


       
तुषार गांधी ने कहा कि बेरोजगारी युवाओं का सबसे बड़ा सवाल है। सरकार ने बेरोजगारी के सवाल को नजर अंदाज किया है, इस चुनाव में युवाओं को रोजगार को मुद्दा बनाकर मतदान करना चाहिए।

प्रेस वार्ता में समाजवादी चिंतक  विजय प्रताप,  किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीलम, हम भारत के लोग से शेख अलाउद्दीन और गुड्डी, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के मंथन और प्रवीर पीटर शामिल हुए। प्रेस वार्ता का संचालन मुजफ्फरपुर स्थानीय साथी शाहिद कमाल ने किया।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
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