खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) - 13

सीईसी ज्ञानेश गुप्ता की पाठशाला

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
August 19, 2025
Gyanesh Kumar appointed new Chief Election Commissioner says Law Ministry  ज्ञानेश कुमार होंगे अगले मुख्य चुनाव आयुक्त, नए कानून से नियुक्त होने वाले  पहले CEC, India News in Hindi - Hindustan

कानून के अनुरूप हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन से ही होता है तो फिर चुनाव आयोग उन्ही राजनीतिक दलों से भेदभाव कैसे कर सकता है। चुनाव आयोग के लिए ना तो कोई विपक्ष है ना कोई पक्ष है सब समकक्ष हैं। चाहे किसी भी राजनीतिक दल का कोई भी हो चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा (यानी ज्ञानेश ज्ञान दे रहे हैं कि चुनाव आयोग हर पंजीकृत राजनीतिक दल का बाप है और उसके लिए सारे लड़के बराबर हैं मगर वे यह भूल गए कि बाप की नजर में कोई लड़का ज्यादा प्यारा भी होता है वैसे ही चुनाव आयोग की नजर में कोई दल ज्यादा लाडला भी है जिसे सत्ता में बनाये रखने के लिए वह वोट की हेराफेरी जैसे काम भी कर सकता है)। जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनीतिक दल और बीएलओ मिलकर एक पारदर्शी तरीके से कार्य कर रहे हैं, सत्यापित कर रहे हैं, हस्ताक्षर भी कर रहे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्ष और उनके द्वारा नामित बीएलए के सत्यापित दस्तावेज, उनकी आवाज उनके स्वयं के राज्य स्तर के या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक या तो पहुंच नहीं पा रही है या फिर जमीनी सच को नजरअंदाज करते हुए भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। (क्या चुनाव आयोग के कानों में बीएलओ को आने वाली रुकावटों की बात पहुंच रही है) सच तो यह है कि सभी कदम से कदम मिलाकर बिहार में एसआईआर को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए कटिबद्ध हैं, प्रयत्न कर रहे हैं और कठिन परिश्रम कर रहे हैं। एसआईआर हड़बड़ी में कराने का भ्रम फैलाया जा रहा है। मतदाता सूची चुनाव से पहले शुध्द की जाती है चुनाव के बाद नहीं। इसका अधिकार चुनाव आयोग को लोक प्रतिनिधित्व कानून देता है कि हर चुनाव से पहले आपको मतदाता सूची शुध्द करनी होगी। ये चुनाव आयोग का कानूनी दायित्व है। कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूची की त्रुटियों को साझा ना किया जाय, मतदाता द्वारा अपना प्रत्याशी चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर ना की जाय और फिर चोरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास किया जाय तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है ? समय पर गलतियों को बताना, समय परिध के बाद गलतियां बताना (राजनीतिक स्टेटमेंट), समय बाद गलतियों को बतला कर मतदाताओं और चुनाव आयोग पर चोरी का आरोप लगाना तीनों में फर्क है। रजिस्ट्रेशन आफ इलेक्शन रूल्स का रूल 20(3)(b) में दिए गए निर्देशों के मुताबिक साक्ष्य के साथ शिकायत करनी चाहिए। संविधान के पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है लेकिन लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत चुनाव आयोग तो एक छोटा सा 800 लोगों का एक समूह है। चुनाव के दौरान हर जिले के अधिकारी और कर्मचारी चुनाव आयोग के भीतर डेपुटेशन पर काम करते हैं। जहां तक मशीन रीडेबल मतपत्र सूची का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में कहा था कि मतदाता की निजता का हनन हो सकता है। तो क्या चुनाव आयोग को सीसीटीवी वीडियो साझा करना चाहिए ? बिहार में बताये गये मृत मतदाता की संख्या पिछले 20 वर्षों सहित है। मतदाता सूची और मतदान अलग - अलग विषय है। कई लोगों के पास घर नहीं होता है लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में होता है उन्हें फर्जी मतदाता कहना उनके साथ खिलवाड़ करने के समान है । कम्प्यूटर फीडिंग में वह बिना मकान नम्बर वाले मतदाता के पते पर घर का नम्बर जीरो रीड करता है। इसका मतलब ये नहीं है कि वे मतदाता नहीं है। मतदाता बनने के लिए पते से ज्यादा नागरिकता और 18 वर्ष की आयु का पूरा होना आवश्यक है। एक दो शिकायत होती है तो स्वत: संज्ञान लेकर भी जांच कर ली जाती है लेकिन डेढ़ लाख शिकायतों की जांच करने के लिए बिना सबूत, बिना शपथ पत्र कैसे नोटिस जारी कर दिये जांय। इसका नियम ही नहीं है। मतदाता सवाल कर सकता है कि आपने हमें बिना सबूत कैसे बुलाया है तो ऐसे में हमारी साख गिरेगी या बढ़ेगी ? बिना सबूत किसी का भी नाम मतदाता सूची से नहीं कटेगा। चुनाव आयोग मतदाता के साथ चट्टान की तरह खड़ा है। हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी तीसरा विकल्प नहीं है। अगर 7 दिन में हलफनामा नहीं मिला तो इसका मतलब होगा कि सारे आरोप निराधार हैं।

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ये वो बातें हैं जो देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक में बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र की एक विधानसभा महादेवपुरा की वोटर लिस्ट का 6 महीने तक गहन विश्लेषण करने के बाद कैसे 5 तरीकों डुप्लीकेट वोटर्स (11965), फेक इनवेलिड अड्रेस (40009), वल्क वोटर्स इन सिंगल अड्रेस (10452), इन वेलिड फोटोज (4132), मिस यूज फार्म-6 (33692) से वोटों की चोरी करके बीजेपी के कैंडीडेट को जिताया गया। खास बात यह है कि ये सारे आंकड़े चुनाव आयोग द्वारा दी गई मेनुअल वोटर लिस्ट के भीतर से ही निकाले गए हैं। देशभर में चुनाव आयोग के साथ ही बीजेपी और सरकार की छीछालेदर हुई। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी द्वारा बताये गये आंकड़ों पर स्पष्टीकरण देने के बजाय राहुल गांधी को चल रही प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच ही नोटिस जारी कर शपथ-पत्र देने को कह दिया। चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से देश को कोई सफाई नहीं दी बल्कि बीजेपी के नेता गोदी मीडिया चैनलों पर बैठ कर चुनाव आयोग की कारगुजारियों का बचाव करते देखे गए। बीजेपी की ओर से सांसद अनुराग ठाकुर ने प्रेस कांफ्रेंस में जो कुछ कहा उसने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए वोट चोरी के आरोप पर मुहर लगा दी। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने तो एक ही विधानसभा में वोट चोरी के आंकड़े चुनाव आयोग द्वारा दी गई वोटर लिस्ट की छानबीन के बाद बताये लेकिन बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने तो बिना किसी सबूत या आंकड़ों के ही एक दो नहीं पांच - पांच लोकसभा और एक विधानसभा में वोट चोरी के आरोप लगा कर चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया। सांसद अनुराग ठाकुर की प्रेस कांफ्रेंस नासमझ दोस्त से समझदार दुश्मन ज्यादा बेहतर होता है कि तर्ज पर बीजेपी के लिए बोझ बन गई है।

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सीईसी ज्ञानेश गुप्ता की यह पहली प्रेस कांफ्रेंस थी वह भी चुनाव आयोग की रीति - नीति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों का जवाब देने के लिए। 17 अगस्त रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त अपने लावलश्कर के साथ हाजिर होकर सामने आये तो देश ने यही सोचा था कि वे कुछ ऐसा जवाब देंगे कि ना केवल राहुल गांधी बल्कि बीजेपी को छोड़कर सारी पार्टियां बिल्ली को देखकर चूहे की तरह बिल में छिप जायेंगी मगर जैसे-जैसे पत्रवार्ता आगे बढ़ती गई खुद चुनाव आयोग भीगी बिल्ली में तब्दील होता चला गया या कहें सीईसी ज्ञानेश गुप्ता की पत्रवार्ता सीईसी ज्ञानेश गुप्ता की पाठशाला बनती चली गई। उन्होंने ना तो कांग्रेस नेता एवं लीडर आफ अपोजीशन राहुल गांधी के द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया ना ही भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा लगाये गये आरोपों का जवाब दिया। सीईसी ज्ञानेश ने तो राहुल गांधी को 7 दिन के भीतर हलफनामा दिये जाने की चेतावनी दी मगर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को तो हफ्ता होने को आया अभी तक चिट्ठी तक जारी नहीं की ना ही कोई जिक्र किया। और उस पर मुख्य चुनाव आयुक्त फरमाते हैं कि उनकी नजर में ना कोई विपक्ष है ना ही कोई पक्ष है बल्कि सभी समकक्ष हैं। गजब की समकक्षता है सीईसी ज्ञानेश गुप्ता की । सीईसी ने राहुल गांधी के इस दावे का कोई जवाब नहीं दिया कि फार्म 6 जो कि पहली बार मतदाता बनने वाले 18 साल से 22 - 23 साल आयु वाले युवाओं द्वारा भरा जाता है उसमें कैसे सौ दौ सौ, हजार दो हजार नहीं तैंतीस हजार छै सौ बानबे 20-30 साल के नहीं बल्कि 90 और 90 से ज्यादा आयु के लोग कैसे शामिल किये गये। ना ही ग्यारह हजार नौ सौ पैंसठ डुप्लीकेट वोटर्स कैसे हो गये, चार हजार एक सौ बत्तीस इनवैलिड फोटोज वाले वोटर्स पर कोई सफाई दी। सीईसी ज्ञानेश गुप्ता तो इस बात का रोना लेकर बैठ गए कि चुनाव आयोग तो 800 लोगों का एक छोटा सा समूह है और उसके कांधे पर पूरे देश का बोझ लाद दिया गया है। सीसीटीवी वीडियो देने की बात पर वे बहू - बेटियों के आंचल में जाकर छुप गये। ऐसा लगा कि जैसे वे कह रहे हैं कि छोटे - मोटे अपराध करना पाप है लार्ज स्केल पर घपला करिये कुछ नहीं होगा यानी वो अफलातून की इस बात पर सही का निशान लगा रहे हैं कि यह दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है कि कानून सबके लिए बराबर है, कानून के जाल में केवल छोटी मछलियां फंसती हैं बड़े मगरमच्छ तो जाल फाड़ कर निकल जाते हैं।

CEC Shri Gyanesh Kumar & ECs Dr. Sukhbir Singh Sandhu & Dr. Vivek Joshi had  an interaction with Aam Aadmi Party led by its National Convener,Shri  Arvind Kejriwal. Meeting is in continuation

वरिष्ठ पत्रकार डा. मुकेश कुमार ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्यूट किया है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए किस निष्ठा के साथ बैटिंग कर रहा है ज्ञानेश गुप्ता... कह रहा है कि बहू बेटियों का फुटेज साझा करना चाहिए क्या...... क्यों नहीं करना चाहिए........ चुनाव आयोग पोलिंग बूथ पर वीडियो रिकार्डिंग क्यों करवाता है...... इसीलिए ना कि धांधली को रोका जाय और अगर हो तो धांधली करने वाले को पकड़ा जा सके। मगर ये आदमी इमोशनल ब्लैकमेलिंग पर उतारू है। मोदी सरकार के ऐजेंट की तरह कुतर्क पर कुतर्क दिए जा रहा है। साफ दिख रहा है कि धांधली को छिपाने के लिए ज्ञानेश कितना गिर गया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सीईसी ज्ञानेश की पाठशाला में सवालों को भेजते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तो अपनी पत्रवार्ता के माध्यम से आपके (चुनाव आयोग) सामने तमाम प्वाइंट जो आपके द्वारा ही दिए गए दस्तावेजों से निकल कर आये हैं वह भी 6 महीने की मशक्कत के बाद रखे । मगर आपने महादेवपुरा असेंबली का जवाब नहीं दिया। बिहार में आपके द्वारा कराई जा रही एसआईआर पर कई शंकाएं जाहिर की मगर आपने उनको हवा में उड़ा दिया। आपके ना - ना करने के कारण देश की सबसे बड़ी अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा। आपने जिन लोगों को मरा हुआ घोषित कर दिया वो राहुल गांधी के साथ चाय पी रहे हैं। तब भी आपको शर्म नहीं आई। प्रेस कांफ्रेंस में आपने माफी भी नहीं मांगी। आप कह रहे हैं कि आप पक्ष विपक्ष को बराबर मानते हैं तो बताईये अनुराग ठाकुर को नोटिस कब दे रहे हैं । राहुल गांधी को तो आपने प्रेस कांफ्रेंस के बीच में ही नोटिस दे दिया था। अब आपकी आयु बीजेपी के ऐजेंट बनने की नहीं है। अपने पद की मान-मर्यादा का ख्याल रखिए। आपको शायद ये लालच होगा कि रिटायर्मेंट के बाद कुछ पद वगैरह मिल जायेगा तो ये आपका भरम है। अब आप तो चलाचली की बेला में हैं मगर अपने से जुड़े बहुतायत अधिकारियों - कर्मचारियों का भविष्य तो खराब मत करिए। आप कहते हैं सीसीटीवी फुटेज जारी कर देंगे तो महिलाओं की इज्जत खराब हो जायेगी। किस तरह का तर्क दे रहे हैं । सच तो यह है कि आप सीसीटीवी फुटेज डिलीट करके चुनाव आयुक्त, चुनाव आयोग, लोकतंत्र, चुनाव की इज्जत पर बट्टा लगा रहे हैं। अगर सीसीटीवी के फुटेज निजता भंग करते हैं तो उन्हें बनाते ही क्यों हैं.? चुनाव सम्पन्न होने के 45 दिन तक निजता भंग नहीं होती है और 46 वें दिन से निजता भंग होने लगती है। बड़ा बचकाना सा तर्क है आपका।

देश से माफ़ी मांगनी होगी...' 'वोट चोरी' के दावे पर सीईसी ज्ञानेश कुमार की  राहुल गांधी को बड़ी चुनौती - शीर्ष 10 टिप्पणियाँ | आज समाचार

सीईसी ज्ञानेश गुप्ता ने अपनी डेढ़ घंटे की प्रेस कांफ्रेंस में इस बात का जवाब नहीं दिया कि क्या बीजेपी ने 2024 का लोकसभा चुनाव फर्जी तरीके से जीता है और उसमें चुनाव आयोग की सहभागिता थी ? चुनाव आयुक्त ने इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव होने के पहले 6 महीने के भीतर लाखों की तादाद में नये वोटरों का इजाफा क्यों और कैसे हो गया ? क्या चुनाव आयोग ने शाजिसन वोटरों का इजाफा करके बीजेपी को चुनाव जिताने में मदद की ? चुनाव आयुक्त ने इसका भी समाधान नहीं किया कि ईवीएम में जितने वोट पड़े थे हजारों ईवीएम मशीनों ने उससे ज्यादा और कम वोट कैसे उगले ? मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता ने तो एक ऐसा हास्यास्पद तर्क दिया जो शायद आज तक दुनिया में किसी ने नहीं दिया होगा। राहुल गांधी अगर 7 दिनों में हलफनामा नहीं देते या देश से माफी नहीं मांगते तो उनके आरोप निराधार माने जायेंगे। यानी सीईसी ज्ञानेश गुप्ता किसी आरोप की एक्सपायरी डेट तय कर रहे हैं। ये तो ऐसे ही जैसे कोई किसी से कहे खाओ विद्या कसम नहीं तो हफ्ते भर में खत्म हो जाओगे। तो क्या राहुल गांधी के पहले भी जितने नेताओं ने आरोप लगाये हैं वे सभी निराधार मान लिए गये हैं। सीईसी ज्ञानेश गुप्ता के प्रवचन से तो यही लगा कि उन्होंने खुद सहित तमाम नेताओं की माफी मांगने का भार राहुल गांधी पर डाल दिया है। ऐसा लगता है कि सीईसी की प्रेस कांफ्रेंस ने गोदी मीडिया का संड़े खराब करके दिया क्योंकि वह विपक्ष पर हमलावर नज़र नहीं आया। उसका जवाब आक्रामक ना होकर प्रियात्मक दिखा। प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित मीडिया कर्मियों ने भी देश को निराश नहीं किया। सभी ने चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल पूछे। यह अलग बात है कि कुछ सवालों के जवाब आये, कुछ सवालों के जवाब नहीं आये, सभी सवालों के जवाब नहीं आये। प्रेस कांफ्रेंस का सार इतना ही है कि चुनाव आयोग के पास जवाब ही नहीं हैं क्योंकि उसके पास मात्र 800 लोग हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रेस कांफ्रेंस कहीं चुनाव आयोग के पतन का एतिहासिक दस्तावेज ना बन जाये क्योंकि विपक्ष सीईसी ज्ञानेश गुप्ता के खिलाफ महाभियोग लाने पर विचार कर रहा है ! 

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता 
स्वतंत्र पत्रकार

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