
"अब हर ब्राह्मण, दूसरे ब्राह्मण का साथी बनेगा और पूरी दुनिया को दिखा देगा कि ब्राह्मण एक है, और अजेय है।" इसी संदेश के साथ श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल 17 अगस्त 2025 के ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन में गवाही दे रहा था कि भूमिहार समाज का स्वाभिमान जिंदा है, अटल है और अजेय है। ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन पटना की सरजमीं पर इतिहास बन गया है। डॉ. संजीव कुमार सिंह, विधायक, परबत्ता, खगड़िया के नेतृत्व में उमड़ा जन सैलाब, मंच से लेकर हॉल की हर कुर्सी तक उमड़े लोगों का जुनून साफ कर दिया कि हमारा स्वाभिमान अब दबने वाला नहीं है। साढ़े चार साल से डॉ. संजीव कुमार ने विधानसभा में हर उस मुद्दे को उठाया जो कि ब्रह्मर्षि स्वाभिमान के लिए आवश्यक है।
डॉ. संजीव कुमार ने चाहे वो समाज के इतिहास से छेड़छाड़ का विषय हो या किसानों की पीड़ा को लेके हो या EWS छात्रों की बात हो सभी विषयों पर बिहार विधानसभा में बात रखी।

डॉ. संजीव कुमार कहते हैं कि ये लड़ाई वोट बैंक की नहीं, स्वाभिमान की है। 17 अगस्त 2025 को पटना की गूंज ने साबित कर दिया कि भूमिहार समाज साथ देने के लिए पीछे सिर्फ खड़ा नहीं है…बल्कि संग - संग कंधे से कंधा मिलाकर चलने और लड़ने को तैयार है। सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए ये चेतावनी से भरी हुई थी श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पटना। है। बिहार की राजनीति अब भूमिहारों को नकारकर नहीं चलेगी, यह संदेश सभी ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन में आये ब्रह्मर्षियों ने दिखा दिया। भारतीय राजनीति में श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पटना की बैठक उनकी सोच को धक्का दे गई। अब भूमिहारों को दरकिनार कर कोई सत्ता तक नहीं पहुँच सकता, यह प्रतिकात्मक सन्देश के लिए ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन को याद किया जाएगा।
डॉ. संजीव कुमार आगे बढ़ते हुए कहते हैं कि जो हमें नकारेगा वो राजनीति से ही नकार दिया जाएगा। हम किसी जाति समाज का हक नहीं मारते, बल्कि मदद करते आयें हैं ! पर अपने ब्रह्मर्षि समाज का हक मारने भी नहीं दूंगा ! चाहे मेरी जान क्यों न चली जाए!

मुजफ्फरपुर से आये हुए अमर पाण्डेय कहते हैं कि आज श्रीकृष्ण मेमोरीयल हाॅल, पटना में सभा को सम्बोधित करने का मौका मिला ! आज की इस आयोजित ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन के आयोजनकर्ता माननीय डा.संजीव कुमार, परबत्ता विधायक का मैं तहे दिल से धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूं ज़िन्होने इस तरह का आयोजन करने का सुकार्य किया है ! इसमें भूमिहार ब्राह्मण समाज की कुछ मांगों को केंद्रिय व राज्य सरकार से रखा गया हैं, जिसपर सरकार अनदेखी करती रही है ! हमसब ब्रह्मर्षि भुमिहार ब्राह्मण समाज मांगों को सरकार द्वारा स्वीकार नहीं करने पर आंदोलन भी करने को मजबूर होंगे ! हम लड़ना भी जानते है और मदद करना भी जानते है !
हमलोग अपनी हकमारी नहीं होने देंगें नहीं किसी जाति की हकमारी करेंगे !

सरकार हमारे साथ चाल खेला रहा है कि पहले 15 बीघा से ज्यादा किसी के नामित जमीन नहीं रहेगा, ऐसा नियम को लाया गया ! अब सरकारों का सोच है की 02 बीघा का नियम लाने का प्रयास है ताकि भूमिहार ब्राह्मण की जमीने छीन ली जाये ! हमलोग ऐसा नहीं होने देंगें ! कुछ माँगे मेरे द्वारा" ब्रह्मर्षि राष्ट्र महासंघ " के बैनर तले रखी गई है। जो भूमिहार समाज का शेर – डॉ. संजीव कुमार एक मात्र लाडला एक मात्र सच्चा सपूत के द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।
अमर पाण्डेय आगे कहते हैं कि डॉ. संजीव कुमार एक मात्र लाडला एक मात्र सच्चा सपूत जो हर पल समाज के लिए जीता है, जो हर आवाज़ पर सबसे पहले खड़ा होता है, वो है – डॉ. संजीव कुमार। आज कि राजनीति में भूमिहार का एकलौता बेटा, जो पूरे समाज का सच्चा रखवाला है। जब भी भूमिहार समाज की बात आती है, जब भी कोई संकट या आवश्यकता होती है, एक नाम सबसे पहले दिल और ज़ुबान पर आता है — डॉ. संजीव कुमार। वहीं आगे कहते हैं कि डॉ. संजीव कुमार न केवल एक होनहार डॉक्टर हैं, बल्कि वे भूमिहार समाज के लिए समर्पित योद्धा भी हैं। समाज की सेवा, युवाओं का मार्गदर्शन, बुज़ुर्गों का सम्मान और हर एक वर्ग की चिंता – यह सब उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है।

भूमिहार समाज का एकलौता ऐसा बेटा जो दिन-रात समाज के उत्थान के लिए लगा रहता है, जो हर कार्यक्रम, हर समस्या में सबसे आगे रहता है। उनका सपना है – एक शिक्षित, संगठित और स्वाभिमानी भूमिहार समाज। हम सबको गर्व है कि हमारे समाज में डॉ. संजीव कुमार जैसे कर्मठ, विद्वान और सच्चे नेता हैं।
डॉ. संजीव कुमार अपने वक्तव्य में कहते हैं कि मैं जदयू में हूं और यहीं रहकर अपनी बात रखता रहूंगा। वहीं पार्टी के कई बड़े नेता ने यह फोन और विभिन्न माध्यमों से संदेश भेजा कि आप ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन नहीं करें। लेकिन डॉक्टर संजीव कुमार, विधायक, परबत्ता खगड़िया ने कहा कि - जी बोले। वहीं कहा कि पार्टी के कई नेता अपना - अपना जाति का सम्मेलन किए तो किसी को कोई समस्या नहीं हुआ। हम अपना जाति का सम्मेलन कर रहे है तो पार्टी में बैठे कई लोगो को दर्द क्यों शुरू हो गया? इन्होंने बोला अब रैली नहीं रैला होगा और आज आप सभी कि उपस्थिति ने सभी को जबाब दे दिया है ।

आगे बताते हैं कि बस इतना ही बात है कि उसके बाद EOU का नोटिस सरकार ने भेजा हैं। एक बात सरकार जान ले सरकार जितना डरायेगी उतना यह भूमिहार शेर मजबूती से समाज के लिए लड़ेगा। नोटिस का जबाब देने का और सरकार के तारीख का इंतजार किए बगैर अगले दिन ही जबाब दे दिया और जैसे जबाव दिया सबकी बोलती बंद हो गई।
डॉ. संजीव कुमार कहते हैं कि - बाभन शब्द से हमारा एक बहुत पुराना और मजबूत इतिहास रहा है। ऐसे में भूमिहार ब्राह्मण की जगह भूमिहार बाभन उच्चारित करना ज्यादा अच्छा है। चुकी देहात में भी बाभन ही कहा जाता है। हमलोग को कुछ पूर्वांचल साइड थोड़ा अलग वातावरण है लेकिन बिहार के बाभन भूमिहार ही हैं, अब इतिहास को बचाते बचाते नाम तक भी नहीं बच रहा है। हमें आने वाले पीढ़ी को सावधान करना चाहिए कि भूमिहार तो नया शब्द है उससे पहले तो हम सब बाभन ही कहे जाते थे। आज के डेट में हमें इस परंपरा को बचाए रखना चाहिए।
17 अगस्त 2025 की प्रमुख मांगे

1. डॉ श्री कृष्ण सिंह (श्री बाबू को भारत रत्न क्यों नहीं ? जब बिहार सरकार के कहने पर श्री कर्पूरी ठाकुर को दिया जा सकता है तो श्री बाबू को क्यों नहीं ?
2. EWS स्टूडेंट्स के लिए, वो व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती है जो OBC स्टूडेंट्स के लिए है ? जैसे उम्र सीमा में छूट, फॉर्म भरने के पैसे में डिस्काउंट, इत्यादि,
3. आप हर जिले में एससी एसटी ओबीसी में छात्रावास की घोषणा कर रहे हैं, तो EWS के स्टूडेंट्स के लिए क्यों नहीं ?
4. एक बहुत आवश्यक विषय- जाति हमारी रही भूमिहार ब्राह्मण या बाभन, अब आपने बना दिया भूमिहार, इसकी लड़ाई अंग्रेज़ों से भी लड़ी गई थी उनके समय में, हमारे जितने पुराने दस्तावेज हैं, अंग्रेज़ ज़माने के, या आज़ादी के समय के खेत खलिहान ज़मीन के, उसको देखिए उसमे हमारी जाती लिखी गई है भूमिहार ब्राह्मण या कहीं कहीं। बाभन, अब आपने कास्ट सर्वे किया उसमे हमे लिखा भूमिहार, अब आप लैंड सर्वे कर रहे है, जहाँ जहाँ पुराने दस्तावेज की आवश्यकता होगी वहाँ यदि हम अपने पुराने दस्तावेज दिखायेंगे, तो सरकार को कहने में देर नहीं लगेगी, या जहाँ हमारी संख्या बल कम है वहाँ सर्वेयर कह देंगे ये काग़ज़ तो आपके हैं नहीं, इसलिए हमे भूमिहार ब्राह्मण की श्रेणी में हो रहने दें। ( आप सभी को बता दूँ की इस पर कोर्ट में भी लड़ाई लड़ी जा रही है )
5. हमारे पूर्वजों ने जो ज़मीने दान दी है, जिसपर कॉलेज और स्कूल आपने जयप्रकाश नारायण या कर्पूरो ठाकुर या किसी अन्य के नाम पर कर रखे हैं, या जहाँ नाम नहीं हैं, वैसे जगह में हमारे पूर्वजों का नाम आना चाहिए, जैसे अभी बेतिया राज की ज़मीन पर आप मेडिकल कॉलेज बना रहे है तो उसका नाम महारानी जानकी कुँवर के नाम पर रखिए, ज़मीने हमारी, और इतिहास से हम ही गायब ??
6. हर ज़िले में एक लाइब्रेरी की व्यवस्था बच्चों के लिए करवाई जाय जिसका नाम रामधारी सिंह दिनकर लाइब्रेरी रखी जाय !

डॉ. संजीव कुमार ने उपरोक्त सभी विषयों पर गंभीरता से चर्चा कि और लोगों के बीच रखा। उन्होंने कहा कि यही कुछ मुद्दे है, ग़ैर राजनैतिक हैं लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण से आवश्यक है ! ये और कुछ अन्य मुद्दे जो समाज से उभर कर आयेंगे, वो सरकार में कानों तक पहुंचानी हैं !
17 अगस्त 2025 के ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन के महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं। जिसमें अंकित चंद्रयान का सराहनीय प्रयास रहा और हर एक से बढ़कर आगे संवाद कर आमंत्रित किया। वह कहते हैं कि - हम भूमिहार के लिए ही बने है। हमको राजनीति समझ में ही नहीं आता।हमको बस एक ही बात समझ में आता है वह अपना भूमिहार समाज।